ऑपरेशन सिंदूर PM की छवि बचाने को था- राहुल गांधी
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क




ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने दावा किया कि विपक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चट्टान की तरह सरकार के साथ खड़ा रहा। उन्होंने कहा कि एक क्रूर हमला (पहलगाम), एक निर्दयी हमला जो स्पष्ट रूप से पाकिस्तानी सरकार द्वारा आयोजित और सुनियोजित था। युवाओं और बुजुर्गों की निर्मम हत्या कर दी गई। हम सभी, इस सदन के प्रत्येक व्यक्ति ने मिलकर, पाकिस्तान की निंदा की है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर शुरू होते ही, बल्कि शुरू होने से पहले ही, विपक्ष ने, सभी दलों ने, यह प्रतिबद्धता जताई थी कि हम सेना और भारत की निर्वाचित सरकार के साथ चट्टान की तरह खड़े रहेंगे।
राहुल ने कहा कि हमने उनके कुछ नेताओं की ओर से कुछ व्यंग्यात्मक टिप्पणियाँ सुनीं। लेकिन हमने कुछ नहीं कहा। यह एक ऐसी बात थी जिस पर इंडिया गठबंधन के सभी वरिष्ठ नेतृत्व सहमत थे। हमें बहुत गर्व है कि एक विपक्ष के रूप में, हम एकजुट रहे, जैसा कि हमें होना चाहिए था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान का हवाला देते हुए कहा कि सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के तुरंत बाद पाकिस्तान को बताया कि हम संघर्ष को आगे नहीं बढ़ाना चाहते, एक तरह से सरकार ने कह दिया कि हमारे पास राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि पहलगाम आतंकी घटना होने के बाद मैं करनाल में नरवाल जी के घर गया। उनके बेटे नेवी में थे और वो CRPF में थे। मुझे ऐसा लगा कि मैं अपने परिवार के साथ बैठा हूं। उन्होंने अपने बेटे का फोटो एल्बम दिखाया, उसके बारे में बताया कि वो बहुत हंसी-मजाक करता था। बहन ने कहा- मैं दरवाजे की ओर देखती हूं, लेकिन मेरा भाई नहीं आता है और कभी नहीं आएगा। इसके साथ ही उन्होंने आगे कहा कि उसके बाद मैं यूपी में एक और परिवार से मिला, जिसमें पति को पत्नी के सामने गोली मार दी गई थी। ये देखकर हर हिंदुस्तानी को दर्द होता है, दुख होता है। जो हुआ, बहुत गलत हुआ।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार ने पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर हमला नहीं करने का आदेश देने की गलती की, हमारे पायलटों के हाथ बांध दिए गए। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य प्रधानमंत्री की छवि को बचाना था। उन्होंने कहा कि दो शब्द हैं – ‘राजनीतिक इच्छाशक्ति’ और ‘कार्रवाई की स्वतंत्रता’। अगर आप भारतीय सशस्त्र बलों का उपयोग करना चाहते हैं, तो आपके पास 100% राजनीतिक इच्छाशक्ति और पूरी तरह से कार्रवाई की स्वतंत्रता होनी चाहिए।
कल, राजनाथ सिंह ने 1971 और सिंदूर की तुलना की। मैं उन्हें याद दिलाना चाहता हूँ कि 1971 में राजनीतिक इच्छाशक्ति थी। सातवां बेड़ा हिंद महासागर के रास्ते भारत की ओर बढ़ रहा था। तत्कालीन प्रधानमंत्री ने कहा था कि हमें बांग्लादेश के साथ जो भी करना है, करना होगा, जहाँ भी आना हो, आओ… इंदिरा गांधी ने जनरल मानेकशॉ से कहा था कि 6 महीने, 1 साल, जितना भी समय चाहिए, ले लो क्योंकि तुम्हें कार्रवाई और युद्धाभ्यास की स्वतंत्रता होनी चाहिए। 1 लाख पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया और एक नया देश बना।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम कराने का दावा 29 बार किया है, अगर वह गलत हैं तो प्रधानमंत्री यहां सदन में कहें कि ट्रंप असत्य बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर नरेंद्र मोदी में इंदिरा गांधी जैसी 50% भी हिम्मत है तो सदन में बोल दें कि ट्रंप सीजफायर को लेकर झूठ बोल रहे हैं।