SIR पर विपक्ष ने सिर्फ जमीन पर मचाया शोर,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) द्वारा चलाए जा रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत आयोग ने मतदाता सूची में नाम जोड़ने और हटाने के लिए दावे और आपत्तियों की प्रक्रिया के संबंध में दैनिक बुलेटिन जारी किया है. ईसीआई की तरफ से जारी किए गए रिपोर्ट में बताया गया है कि 1 अगस्त से शुरू हुए (एसआईआर) के तहत 26 दिन बाद सिर्फ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्ससिस्ट-लेनिनिस्ट) (लिबरेशन) की ओर से 10 आपत्तियां मिली हैं. इसके अलावा किसी और पार्टी ने कोई आपत्ति नहीं दर्ज कराई है. बता दें कि एसआईआर के मुद्दे पर कांग्रेस और राजद ने बिहार में इन दिनों वोटर अधिकार रैली निकाला हुआ है.

आपत्तियां दर्ज कराने के लिए 6 दिन बाकी

चुनाव आयोग के मुताबिक, 1 अगस्त 2025 (दोपहर 3 बजे) से 26 अगस्त (सुबह 10 बजे) तक की अवधि में प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, दावे और आपत्तियां दर्ज कराने के लिए अब केवल 6 दिन शेष हैं और इन 26 दिनों के दौरान सिर्फ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्ससिस्ट-लेनिनिस्ट) (लिबरेशन) की तरफ से आपत्तियां मिली हैं, जिनका निपटारा 7 दिन में किया जाएगा.

4 लाख से ज्यादा मिले आवेदन

ईसीआई ने बताया कि 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के नए मतदाताओं से फॉर्म 6 (घोषणा-पत्र सहित) के तहत कुल 4,33,214 आवेदन प्राप्त हुए हैं. इनका निस्तारण अभी शेष है. साथ ही, योग्य मतदाताओं को शामिल करने और अयोग्य मतदाताओं को हटाने के लिए ईआरओ द्वारा अब तक कोई दावा या आपत्ति प्राप्त नहीं हुई है.

इसके अलावा, मतदाताओं से सीधे प्राप्त दावों और आपत्तियों की संख्या 1,62,453 है, जिनमें से 17,516 का निस्तारण 7 दिनों के बाद किया गया है. नियमों के अनुसार, दावों और आपत्तियों का निस्तारण संबंधित ईआरओ या एआरओ द्वारा पात्रता सत्यापन और 7 दिन की नोटिस अवधि पूर्ण होने के बाद ही किया जाएगा.

बिना जांच नहीं हटाया जाएगा किसी का भी नाम

1 अगस्त 2025 को प्रकाशित प्रारूप मतदाता सूची से किसी भी नाम को बिना जांच और उचित अवसर दिए हटाया नहीं जा सकता. इसके लिए स्पष्ट आदेश पारित करना अनिवार्य है. प्रारूप मतदाता सूची में शामिल न किए गए नामों की सूची (कारण सहित) जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ/डीएम) और मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की वेबसाइट पर ईपीआईसी नंबर के साथ खोज योग्य रूप में उपलब्ध है. असंतुष्ट व्यक्ति आधार कार्ड की प्रति के साथ अपने दावे प्रस्तुत कर सकते हैं.

राहुल गांधी ने कहा कि संविधान में लिखा है- हिंदुस्तान के हर नागरिक को एक वोट मिलेगा। अंबानी का बेटा हो या देश का गरीब युवा- दोनों को एक समान वोट मिलता है। अंबानी जैसे पूंजीपतियों को वोट की जरूरत नहीं है, बैंक के दरवाजे उनके लिए खुले हैं, उनका कर्ज माफ हो जाता है। देश में वोट की जरूरत गरीबों को है, क्योंकि इसके बिना आपको कोई अधिकार नहीं मिल सकता।

उन्होंने कहा कि आजादी से पहले जब लोगों के पास वोट नहीं था, तो कोई अधिकार भी नहीं थे। दलितों, पिछड़ों की सिस्टम में कोई भागीदारी नहीं थी, लेकिन आजादी के बाद संविधान ने सभी को हक और भागीदारी दी। इसलिए- जिस दिन वोट का अधिकार ख़त्म हो गया, उस दिन से लोगों के पास कोई शक्ति नहीं बचेगी। संविधान सिर्फ किताब नहीं है, हिंदुस्तान की शक्ति है।

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