हमारे कंधे काफी मजबूत हैं- सुप्रीम कोर्ट

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 मेरा मुंह मत खुलवाओ, आपको अच्छा नहीं लगेगा

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

एसबीआई चुनावी बॉन्ड मामलों से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। भारत के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने एसबीआई को चुनावी बॉन्ड से संबंधित सभी विवरणों का खुलासा करने का निर्देश भी दिया। चुनावी बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सोशल मीडिया पर वायरल किए जाने के आरोप पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस तरह की टिप्पणियों से निपटने के लिए अदालत हमेशा तैयार है। एक संस्था के रूप में हमारे कंधे काफी मजबूत हैं।

सबको बहस का अवसर मिलता है

चुनावी बॉन्ड मामले की सुनवाई कर रही पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ का नेतृत्व कर रहे मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि एक बार जब अदालत फैसला सुना देती है, तो यह राष्ट्र की संपत्ति बन जाती है, बहस के लिए सबको अवसर मिलता है। सीजेआई ने कहा कि शीर्ष अदालत केवल अपने 15 फरवरी के फैसले में दिए गए निर्देशों को लागू करने के बारे में चिंतित थी।

राजनीतिक फंडिंग की अनुमति

सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को अपने ऐतिहासिक फैसले में केंद्र की चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था। केंद्र ने इस योजना में गुमनाम राजनीतिक फंडिंग की अनुमति दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक कहा था और चुनाव आयोग को दानदाताओं उनके द्वारा दान की गई राशि और प्राप्तकर्ताओं के बारे में 13 मार्च तक खुलासा करने का आदेश दिया था।

  • कोर्ट ने निर्देश दिया था कि भारतीय स्टेट बैंक 12 अप्रैल 2019 के अदालत के अंतरिम आदेश के बाद से आज तक खरीदे गए चुनावी बॉन्ड का विवरण चुनाव आयोग को प्रस्तुत करेगा।

15 मार्च को शीर्ष अदालत ने अधूरी जानकारी प्रस्तुत करने के लिए एसबीआई को फटकार लगाई थी और चुनावी बॉन्ड से जुड़ी पूरी जानकारी देने के लिए बैंक को नोटिस जारी किया था।

अदालत के फैसले के बाद हुआ हुआ सब जानते हैं

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड का ब्योरा चुनाव आयोग को देने के लिए एसबीआई की याचिका पर 30 जून तक का समय दिया गया था। 18 अप्रैल यानी सोमवार को सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 11 मार्च के आदेश के बाद अदालत के समक्ष उन लोगों ने प्रेस साक्षात्कार देना शुरू कर दिया, जो जानबूझकर अदालत को शर्मिंदा कर रहे हैं, क्योंकि इस तरफ से कोई भी उसका खंडन नहीं कर सकता।

सीजेआई बोले- एक संस्था के रूप में हमारे कंधे काफी मजबूत

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सोशल मीडिया पर कई चीजों को तोड़-मरोड़कर पेश किए गए। अन्य आंकड़ों के आधार पर किसी भी तरह की पोस्ट की जा रही हैं। मुझे पता है कि आप इसे नियंत्रित नहीं कर सकते। इसपर CJI ने कहा कि अदालत केवल फैसले में जारी अपने निर्देशों को लागू करने के बारे में चिंतित है।न्यायाधीश के रूप में हम संविधान के अनुसार निर्णय लेते हैं। हम कानून के शासन द्वारा शासित होते हैं। हम सोशल मीडिया और प्रेस में टिप्पणियों का विषय भी हैं। लेकिन निश्चित रूप से एक संस्था के रूप में हमारे कंधे काफी मजबूत हैं।

बहस के लिए सब को अवसर मिलता है

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारी अदालत को उस राजनीति में एक संस्थागत भूमिका निभानी है जो संविधान और कानून के शासन द्वारा शासित होती है। यही एकमात्र काम है। सीजेआई ने कहा कि एक बार जब अदालत फैसला सुना देती है तो यह देश की संपत्ति बन जाती है और बहस के लिए सब को अवसर मिलता है।

वकील ने कोर्ट को चुनावी बॉन्ड के फैसले पर स्वतः संज्ञान लेने की मांग की थी। बता दें कि शीर्ष न्यायालय ने एसबीआई से 21 मार्च तक चुनावी बॉन्ड्स की पूरी जानकारी सार्वजनिक करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता अदीश सी अग्रवाल ने पत्र लिखकर शीर्ष अदालत से चुनावी बांड विवरण के खुलासे पर फैसले की स्वत: समीक्षा की मांग की थी। इसपर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, एक वरिष्ठ वकील होने के अलावा, आप एससीबीए के अध्यक्ष हैं। आप प्रक्रिया जानते हैं। ये सभी चीजें एक पब्लिसिटी स्टंट है और हम इसकी अनुमति नहीं देंगे। सीजेआई ने आगे कहा कि आप मुझे और कुछ बोलने पर मजबूर न करें, वो आपको सुनने में अच्छा नहीं लगेगा।

वकील की बात से सॉलिसिटर जनरल मेहता दूरी बनाते दिखे। उन्होंने कहा कि अग्रवाल ने जो लिखा है, उससे मैं खुद को पूरी तरह अलग करता हूं। यह पूरी तरह से अनुचित और गलत सलाह है।

सुप्रीम कोर्ट ने आज दिया ये निर्देश

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने आज अधूरी जानकारी देने के लिए एसबीआई को फटकार लगाई और चुनावी बॉन्ड के यूनिक अल्फान्यूमेरिक नंबरों का खुलासा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने एसबीआई के चेयरमैन को 21 मार्च तक सारी जानकारी सार्वजनिक करने को कहा है।

कोर्ट ने कहा कि बैंक चुनिंदा जानकारी साझा नहीं कर सकता है। पीठ ने इसी के साथ बैंक को आदेश दिया कि वो एक हलफनामा भी दायर करे, जिसमें यह बताया गया हो कि उसने सारी जानकारी साझा कर दी है।

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