रेलवे में यात्रियों को नहीं होगी सीट की परेशानी- अश्विनी वैष्णव

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श्रीनारद  मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारतीय रेलवे को देश की लाइफ लाइन कहा जाता है। देश में रोजाना 2 करोड़ 40 लाख से ज्यादा लोग ट्रेन से सफर करते हैं। इतनी बढ़ी तादाद में लोगों का रोज सफर करना भारतीय रेलवे के लिए कोई चुनौती से कम नहीं है। अक्सर यात्रियों की शिकायत रहती है कि त्योहारों और छुट्टियों में उनकी टिकट कनफर्म नहीं हो पाती है। यात्रियों को थोड़ी राहत पहुंचाने के लिए भारतीय रेलवे ने एक बड़ा ऐलान किया है। भारतीय रेलवे ने जानकारी दी है कि देश में 10,000 नॉन एसी कोच बनने वाले हैं। रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह ऐलान किया।

ज्यादातर डिब्बे जनरल श्रेणी के बनाए जाएंगे

उन्‍होंने बताया कि साल 2024-25 में 4,485 और  साल 2025-26 में 5,444 डिब्बे बनाए जाएंगे। इनमें से ज्‍यादातर डिब्बे जनरल श्रेणी के होंगे। वित्त वर्ष 2025-26 में, रेलवे ने अमृत भारत जनरल कोच सहित 2,710 सामान्य कोच बनाने की योजना बनाई है।

वही, अमृत भारत स्लीपर कोच सहित 1910 नॉन एसी स्लीपर, अमृत भारत एसएलआर कोच सहित 514 एसएलआर कोच, 200 उच्च क्षमता पार्सल वैन और 110 पेंट्री कार बनाने की योजना है।

रेलवे राज्य मंत्री ने रेलवे बोर्ड कैंटीन का किया औचक निरीक्षण

इस बीच केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने गुरुवार को रेलवे बोर्ड कैंटीन का औचक निरीक्षण किया। दोपहर के भोजन के समय हुई इस यात्रा में मंत्री ने कैंटीन में सुविधाओं और सेवाओं की समीक्षा की। निरीक्षण के दौरान रेलवे बोर्ड के सचिव और रेलवे बोर्ड के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

राज्य मंत्री बिट्टू ने कैंटीन प्रबंधक और कर्मचारियों से बातचीत की और संचालन और सेवाओं के बारे में पूछताछ की। उन्होंने कैंटीन के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा किया, जिसमें कैश काउंटर जहां कर्मचारी भोजन कूपन जारी किए जाते हैं, रसोई क्षेत्र जहां भोजन तैयार किया जाता है, और जूस काउंटर शामिल हैं। उन्होंने दोपहर के भोजन के अवकाश के दौरान रेलवे बोर्ड के कर्मचारियों के साथ बातचीत की और भोजन की गुणवत्ता के बारे में व्यक्तिगत रूप से पूछताछ की।

रेलवे मंत्री ने दिए ये निर्देश

बातचीत के दौरान, रेलवे बोर्ड के कर्मचारियों ने कैंटीन सेवाओं पर संतुष्टि व्यक्त की। हालांकि, स्वच्छता और सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले भोजन के महत्व पर जोर देते हुए, मंत्री ने कैंटीन प्रबंधक को इन उच्च मानकों को बनाए रखने का निर्देश दिया।

ट्रेन से सफर करने वाले यात्रियों के लिए बड़ी खबर है. अब ट्रेन में कन्‍फर्म सीट की समस्‍या से उन्‍हें जल्‍द ही छुटकारा मिलेगा. रेल यात्रा को बेहतर बनाने के लिए सरकार की तरफ से मेगा प्‍लान तैयार किया गया है. अगले दो वर्षों स्‍लीपर कोच के प्रोडक्‍शन पर सरकार का पूरा फोकस रहेगा. इसके लिए भारतीय रेलवे ने 10,000 नॉन-एसी कोचों के उत्पादन की योजना बनाई है. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ये ऐलान किया है.

रेलमंत्री ने रेलवे का मेगा प्‍लान बताते हुए कहा कि रेलवे का फोकस हमेशा लोअर/लोअर मिडिल और मिडिल सेगमेंट में रहा है. इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है. इसे राजनीतिक रूप देकर नए तरह का नरेशन तैयार किया जा रहा है. स्लीपर कोच का उत्पादन बढ़ा रहे हैं. आम यात्रियों के जीवन को आसान बनाने के लिए भारतीय रेलवे ने अगले दो वर्षों में लगभग 10,000 नॉन-एसी कोचों के उत्पादन की योजना बनाई है.

17 जोन में से 11 जोन की पंक्चुअलिटी बेहतर है. इसको और बेहतर करेंगे. हम 24*7 यात्रियों के लिए काम कर रहे हैं, कर्मचारियों के लिए सरकार और मंत्रालय भी उपलब्ध है. मैं रेलवे और कर्मचारियों को आश्वासन देता हूं, उन्‍हें सभी तरह की सहायता और सहयोग मिलेगा. जो राजनीति और False Narrative बनाने का प्रयास कर रहे हैं उनको उसी भाषा में जवाब दें.

ये है अगले दो सालों की योजना

अधिकारियों के अनुसार- वित्त वर्ष 2024-25 और 2025-26 के दौरान लगभग 10000 कोचों को अंतिम रूप दिया जा रहा है, जिसमें रिकॉर्ड संख्या में 5300 से अधिक जनरल कोच शामिल हैं. वित्त वर्ष 2024-25 में रेलवे की योजना अमृत भारत जनरल कोचों सहित 2605 जनरल कोच, अमृत भारत स्लीपर कोचों सहित 1470 नॉन एसी स्लीपर, अमृत भारत एसएलआर कोचों सहित 323 एसएलआर कोच, 32 उच्च क्षमता वाले पार्सल वैन और 55 पेंट्री कार बनाने की है.

वित्त वर्ष 2025-26 में, रेलवे ने अमृत भारत जनरल कोच सहित 2710 जनरल कोच, अमृत भारत स्लीपर कोच सहित 1910 नॉन एसी स्लीपर, अमृत भारत एसएलआर कोच सहित 514 एसएलआर कोच, 200 उच्च क्षमता वाले पार्सल वैन और 110 पेंट्री कार बनाने की योजना बनाई है. रेल सेवा की मांग गतिशील है और मौसमी बदलावों, यात्री यातायात की वृद्धि आदि के आधार पर घटती/बढ़ती रहती है. कोचों की आवश्यकता इन कारकों पर आधारित होती है और वार्षिक कोच उत्पादन कार्यक्रम में शामिल हो जाती है. कोचों का उत्पादन आम तौर पर आवश्यकता के अनुरूप होता है.

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