सीवान के स्थल, जिससे मिली राष्ट्रीय आंदोलन को ऊर्जा
स्वतंत्रता आंदोलन के बौद्धिक और क्रांतिकारी आयाम को गढ़ने में सीवान की रही विशेष भूमिका
✍️गणेश दत्त पाठक
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
देश के स्वतंत्रता संग्राम में सिवान की विशेष भूमिका रही है। यहां के स्वतंत्रता सेनानियों ने राष्ट्रीय आंदोलन के बौद्धिक और क्रांतिकारी आयाम को गढ़ने में बड़ी भूमिका निभाई। सिवान के कुछ स्थल ऐसे रहे जहां देश के स्वतंत्रता आंदोलन की रणनीतियों को गढ़ा गया। यहां देश के महान स्वतंत्रता सेनानी आते रहे। राष्ट्रीय नेताओं के आने के कारण यहां राष्ट्रीय चेतना का संचार भी खूब हुआ। यह अलग बात है कि इन स्थलों का समुचित विकास अब तक नहीं हुआ।आइए जानते हैं सिवान जिले के उन स्थलों के बारे में जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन को ऊर्जस्वित किया:
जीरादेई: देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली जीरादेई में चंपारण सत्याग्रह के पूर्व राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी आए। यहां देश के अन्य राष्ट्रीय नेता आते रहे। यह स्थल राष्ट्रीय स्तर के नेताओं का एक प्रमुख विचार मंथन का स्थल था।
फरीदपुर: यहां देश के महान स्वतंत्रता सेनानी मौलाना मज़हरुल हक साहब का आशियाना स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों के लिए एक सुरक्षित पनाह स्थल थी । यहां मदन मोहन मालवीय , अबुल कलाम आजाद, फली नरीमन जैसे राष्ट्रीय नेता आते रहे।
श्रीनगर: यह महान स्वतंत्रता सेनानी ब्रजकिशोर प्रसाद की निवास स्थली थी। यहीं से उनकी पुत्री प्रभावती देवी ने भी महिलाओं के बीच राष्ट्रीय चेतना का संचार किया था। राजेंद्र बाबू, मौलाना मज़हरुल हक साहब जैसे नेता यहां नियमित तौर पर आते रहे।
शहीद सराय चौक: 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान तिरंगा फहराने के क्रम में यहां तीन अमर बलिदानियों बच्चन प्रसाद, छठू गिरी, झगड़ू साह ने अपना सर्वोच्च बलिदान मां भारती की सेवा में अर्पित किया।
बड़हुलिया: यहां 30 दिसंबर 1930 को अमर बलिदानी गंगा प्रसाद राय ने अपना सर्वोच्च बलिदान मां भारती की सेवा में अर्पित किया था।
महराजगंज थाना: यहां पर फुलेना बाबू और देवशरण सिंह, भृगुनाथ ठाकुर, किशोरी प्रसाद स्वर्णकार, शुभलाल महतो, चंद्रमा महतो आदि अमर बलिदानियों ने अपनी शहादत से मां भारती की सेवा की थी। यहां तिरंगा फहराने के क्रम में फिरंगी पुलिस की गोलियों के शिकार हमारे कई क्रांतिकारी हुए थे। महराजगंज में 1927 महात्मा गांधी के भी आने की बात बताई जाती रही है।
मैरवा: मैरवा में गांधी जी के आने पर मैरवा स्टेशन के पास एक जनसभा भी आयोजित की गई थी। यहां की महिलाओं ने राष्ट्रीय आंदोलन को ऊर्जा प्रदान करने के लिए उन्हें अपने आभूषण तक सौंप दिए थे। यहां मैरवा रेलवे स्टेशन पर रामदेन कुर्मी ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था।
ठेपहां रेलवे स्टेशन: 23 अगस्त 1942 को ठेपहां रेलवे स्टेशन पर फिरंगी सेना को लेकर जा रही ट्रेन पर स्थानीय क्रांतिकारियों ने धावा बोल दिया। इस मुठभेड़ में बोधा बरई, सीताराम भगत, रामसेवन राम आदि शहीद हो गए और सत्यनारायण साह आदि घायल हो गए।