पीएम मोदी ने देश में वन्यजीव को बढ़ावा देने के लिए कई बड़े घोषणा किए

पीएम मोदी ने देश में वन्यजीव को बढ़ावा देने के लिए कई बड़े घोषणा किए

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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देश में वन्यजीवों की तेजी से बढ़ती आबादी पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुशी जताई और कहा है कि यह देश के लिए गर्व का विषय है। इसके साथ ही उन्होंने वन्यजीवों के बेहतर प्रबंधन और मानव के साथ उनके बढ़ते संघर्ष को थामने के लिए देश में एक्सीलेंस सेंटर बनाने का एलान किया है।
यह सेंटर तमिलनाडु के कोयंबटूर स्थित सलीम अली पक्षी विज्ञान एवं प्राकृतिक इतिहास केंद्र (एसएसीओएन) में स्थापित होगा। तमिलनाडु को साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यह पीएम की ओर से बड़ा तोहफा मिला है।

एशियाई शेरों की गणना की घोषणा

यही नहीं, इस दौरान पीएम ने इसी वर्ष मई में एशियाई शेरों की गणना कराने की भी घोषणा की। इससे पहले सुबह मोदी ने गिर में टाइगर सफारी का आनंद लिया। उन्होंने एक पोस्ट में कहा कि सामूहिक प्रयासों के कारण एशियाई शेरों की जनसंख्या में लगातार वृद्धि हुई है और एशियाई शेरों के आवास को संरक्षित करने में आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों और महिलाओं के योगदान सराहनीय है।

प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को गुजरात के गीर अभयारण्य में आयोजित सातवीं राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक में देश में वन्यजीवों की स्थिति और उनसे जुड़े प्रोजेक्टों की समीक्षा की है। इसके साथ ही कई बड़े ऐलान भी किए हैं।

पीएम ने ली चीता प्रोजेक्ट की जानकारी

पीएम ने बोर्ड की बैठक में चीता प्रोजेक्ट की प्रगति की भी जानकारी ली और देश में चीतों को आने वाली नई खेप को अब मध्य प्रदेश के गांधी सागर अभयारण्य और गुजरात के बन्नी स्थित घास के मैदानों में बसाने को मंजूरी दी है। चीतों की पहली दो खेप को अभी मध्य प्रदेश के कूनो अभयारण्य में रखा गया है। जहां उनका कुनबा तेजी से बढ़ रहा है। बैठक में वन्यजीवों के साथ मानव के संघर्ष को थामने के लिए सेंटर खोलने के ऐलान को काफी अहम माना जा रहा है।
वैसे भी देश में यह समस्या दिनों-दिन काफी गंभीर रूप ले रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में अकेले हाथियों के साथ संघर्ष में हर साल छह सौ से अधिक लोगों की मौतें हो रही है, जबकि करीब सौ हाथियों को भी इस संघर्ष और आपसी झगडे में जान गंवानी पड़ रही है।

डॉल्फिन की संख्या में उत्तर प्रदेश शीर्ष पर

देश में डॉल्फिन की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। जो दो हजार से बढ़कर अब 6327 हो गई है। आठ राज्यों में डॉल्फिन को लेकर कराए गए व्यापक सर्वेक्षण ने यह जानकारी सामने आयी है। पीएम मोदी ने सोमवार को गीर में इस सर्वेक्षण रिपोर्ट को जारी किया है। डॉल्फिन की बढ़ी संख्या में नदियों की सुधर रही सेहत से जोड़कर देखा जाता है।

माना जाता है कि स्वच्छ नदियों में ही डॉल्फिन का विकास होता है। रिपोर्ट के मुताबिक देश में डॉल्फिन मुख्य रूप से गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदियों में पाई जाती हैं। वर्ष 2020 में शुरू किए गए प्रोजेक्ट डॉल्फिन के बाद यह सफलता मिली है। भारत में डाल्फिन की मीठे पानी की दो प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें गंगा डॉल्फिन और सिधु डॉल्फिन है। यह सर्वेक्षण आठ राज्यों की 28 नदियों में 8,507 किमी के क्षेत्र में किया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 2,397 डॉल्फिन पायी गई है जबकि बिहार में 2,220 और पश्चिम बंगाल में 815 डॉल्फिन मिली है। वहीं असम में 635, झारखंड में 162, राजस्थान और मध्य प्रदेश में 95 डॉल्फिन दर्ज की गईं। पंजाब में सबसे कम सिर्फ तीन डॉल्फिन पाई गईं।

पीएम ने बैठक में किए कुछ और अहम ऐलान

  • गीर में शेरों की बढ़ती आबादी को देखते हुए उसके पास बरडा अभयारण्य को भी उनके नए ठिकाने के रूप में विकसित किया जाएगी। पीएम ने इस लेकर मंजूरी दी है। इसके साथ एशियाई शेरों के इस साल सर्वेक्षण को भी मंजूरी दी गई है।
  • ग्रेड इंडियन बस्टर्ड ( सोनचिरैया) के संरक्षण, घडियाल संरक्षण के नए प्रोजेक्ट को भी मंजूरी दी गई है। देश में मौजूदा समय में सोनचिरैया विलुप्त होने की कगार पर है।
  • गीर में शेरों और तेंदुओं के बेहतर रहवास और विकास की सफल कहानी का दस्तावेजीकरण करने को भी मंजूरी दी गई है।
  • जूनागढ़ में वन्यजीवों के रेफरल सेंटर की भी आधारशिला पीएम ने रखी है। जहां देश भर के गंभीर रूप से बीमार व घायल वन्यजीवों की उपचार किया जाएगा।
  • वन्यजीवों के संरक्षण में अपने पुराने तौर-तरीकों और पद्धतियों का भी दस्तावेजीकरण करने को मंजूरी दी गई है।

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