मन की बात में PM मोदी ने किया जिक्र

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ के 127वें एपिसोड में स्वच्छता अभियान पर प्रकाश डाला। उन्होंने देश के अलग-अलग हिस्सों में चल रही दो मज़बूत पहलों का ज़िक्र किया, जिन्हें देखकर यह साफ होता है कि अगर संकल्प लिया जाए तो बदलाव संभव है।

1. छत्तीसगढ़ — प्लास्टिक-कचरे से भोजन तक

छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर में एक अनूठा प्रयास हुआ है। यहां  Municipal Corporation द्वारा ऐसे “गार्बेज कैफे” खोले गए हैं, जहाँ अगर कोई व्यक्ति प्लास्टिक कचरा लेकर आता है तो उसे भोजन दिया जाता है। मतलब यदि व्यक्ति 1 किलो प्लास्टिक कचरा देता है, तो उसे दोपहर या रात का भरपेट खाना मिलता है। इसके अलावा यदि वह ½ किलो प्लास्टिक कचरा जमा करता है, तो उसे नाश्ता मिलता है। यह पहल स्वच्छता को प्रोत्साहन देने का बेहतरीन तरीका है।

2. कर्नाटक — झीलों को नया जीवन

दूसरी प्रेरणादायक कहानी है बेंगलुरु की। यहाँ इंजीनियर कपिल शर्मा और उनकी टीम ने शहर और आसपास के 40 कुओँ तथा 6 झीलों को पुनर्जीवित किया। इस मिशन में उन्होंने न सिर्फ स्थानीय लोगों को बल्कि कॉरपोरेट्स को भी शामिल किया। इसके साथ-साथ पेड़ लगाने का काम भी किया गया, जिससे न सिर्फ जल स्रोतों को सुधार मिला बल्कि पर्यावरण संबंधी भागीदारी भी बढ़ी।

3. सोशल-मीडिया के नए चेहरों की तारीफ

प्रधानमंत्री मोदी ने उन युवाओं की भी सराहना की जो अपनी भाषा और संस्कृति में वीडियो बनाकर सोशल-मीडिया पर सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे इनफ्लुएंसर्स ने लोगों में अपनी-अपनी भाषा और संस्कृति को लेकर गर्व जताने का नया तरीका पाया है, जो बेहद सकारात्मक संकेत है।

4. स्वच्छता सिर्फ जिम्मेदारी नहीं, अवसर भी

पीएम मोदी ने कहा कि स्वच्छता को केवल एक कर्तव्य की तरह नहीं बल्कि बदलाव और सामाजिक भागीदारी का उपाय मानना चाहिए। उदाहरण-स्वरूप अम्बिकापुर और बेंगलुरु की पहलकदमी दिखाती है कि जब हम ठान लें, तो छोटे-छोटे कदम से भी बड़े बदलाव संभव हैं।

5. स्थानीय भागीदारी का महत्व

उन्होंने यह बात भी उभारी कि स्थानीय नागरिक, पर्यावरण-प्रेमी, कॉरपोरेट और सरकारी संस्थाएँ — सब मिलकर जब काम करें, तो परिणाम बेहतर निकलते हैं। बेंगलुरु में झीलों और कुओँ की सफाई में यही सामूहिक भागीदारी काम में आई।

6. प्रेरणा-पथ कहानियां

दोनों कहानियां — एक प्लास्टिक कचरा जमा करने से भोजन तक का अभियान, और दूसरी जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने की पहल — यह दिखाती हैं कि बदलाव सिर्फ सरकारी इंतज़ाम से नहीं बल्कि जनता के साथ मिलकर करने से होता है। मोदी ने कहा कि ये उदाहरण “जब ठान लिया जाए तो बदलाव आकर ही रहता है” का जीता-जागता प्रमाण हैं।

7. आगे क्या?

प्रधानमंत्री ने नागरिकों से आह्वान किया कि वे स्वच्छता के यह प्रयास सिर्फ देखने नहीं बल्कि अपने-अपने शहर, मोहल्ला और क्षेत्र में उन्हें अपनाएँ। साथ ही, उन्होंने कहा कि भाषा-संस्कृति में काम कर रहे युवाओं को आगे आने के लिए प्रोत्साहन देना चाहिए, ताकि हमारी विविधता-भरी संस्कृति और मजबूत हो सके।

कोरापुट कॉफी पीएम मोदी ने की तारीफ

PM मोदी ने कहा कि कुछ समय पहले ओडिशा के कई किसानों ने भी कोरापुट कॉफी के बारे में अपनी भावनाएं उनके साथ साझा की थीं. उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने उन्हें पत्र लिखकर कहा है कि ‘मन की बात’ में कोरापुट कॉफी पर भी चर्चा होनी चाहिए. प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे बताया गया है कि कोरापुट कॉफी का स्वाद अद्भुत है, और केवल इतना ही नहीं, स्वाद के अलावा, कॉफी की खेती से वहां किसानों को लाभ भी हो रहा है.

कॉफी की खेती के कई किसानों की बदली जिंदगी

उन्होंने आगे कहा कि कोरापुट में ऐसे किसान हैं जो अपने जुनून से कॉफ़ी की खेती कर रहे हैं, वे कॉर्पोरेट जगत में अच्छी-खासी नौकरियां कर रहे थे, लेकिन उन्हें कॉफी इतनी पसंद आई कि वे इस क्षेत्र में आ गए और अब इसमें सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं. कई महिला किसान भी हैं जिनके जीवन में कॉफी ने सुखद बदलाव लाया है. उन्होंने कॉफी के ज़रिए सम्मान और समृद्धि दोनों हासिल की है.

कोरापुट कॉफी वाकई लाजवाब है- पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सही कहा गया है, कोरापुट कॉफी वाकई लाजवाब है! यह वाकई ओडिशा का गौरव है. यह कहते हुए कि भारतीय कॉफी दुनिया भर में बहुत लोकप्रिय हो रही है, उन्होंने कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल के उन स्थानों का ज़िक्र किया जहां कॉफी की खेती की जाती है. PM मोदी ने कहा कि भारतीय कॉफी की विविधता वाकई अद्भुत है.

इसके अलावा, पूर्वोत्तर भी कॉफी की खेती में प्रगति कर रहा है, जिससे दुनिया भर में भारतीय कॉफी की पहचान और मजबूत हो रही है. इसलिए कॉफी प्रेमी कहते हैं. भारत की कॉफ़ी अपनी सबसे बेहतरीन कॉफ़ी है. इसे भारत में बनाया जाता है और दुनिया इसे पसंद करती है.

 

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