विश्व का कल्याण, भारतीय सोच को लेकर भावी शिक्षक तैयार करना : महिपाल ढांडा

विश्व का कल्याण, भारतीय सोच को लेकर भावी शिक्षक तैयार करना : महिपाल ढांडा

2047 तक भारत को विकसित भारत बनाना हमारा लक्ष्यः शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा
दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ समापन

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श्रीनारद मीडिया, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, हरियाणा

हरियाणा के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने कहा कि विश्व का कल्याण तभी होगा जब भारतीय सोच को लेकर भावी शिक्षक तैयार किए जाएंगे। इसी सोच के तहत पूरी दुनिया के सामने हमने लक्ष्य रखा है कि 2047 तक भारत को विकसित भारत बनाएंगे। विकसित भारत का रास्ता शिक्षकों ने तय करना है क्योंकि शिक्षा हर विषय के मूल में हैं।

जब शिक्षक अपना धर्म निभाते हुए अच्छे शिष्य तैयार करेंगे और वो शिष्य उच्च शिक्षा ग्रहण कर भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में आगे बढेंगे तो निश्चित तौर पर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो सपना देखा है वह विकसित भारत का सपना 2047 में साकार होगा। हमें अपने संकल्प को सिद्धि तक ले जाना है। तभी विश्व में आदर्श भारत का निर्माण होगा। पूरे विश्व में भारत की नई पहचान बनी है व भारत ने पूरे विश्व को नई दिशा दी है।

हरियाणा के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा मंगलवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में ऑडिटोरियम हॉल में नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन, हरियाणा स्टेट हायर एजुकेशन काउंसिल तथा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में शिक्षक शिक्षा में परिवर्तन विकसित भारत 2047 की दिशा विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन अवसर पर बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे।

शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने कहा कि भारत के विकास में कौशल आधारित शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान है। हमें मजबूत राजनीतिक सोच व छात्रों की प्रतिभा को पहचान कर आगे बढ़ना होगा। भारत की सोच बदल रही है। भारत के साथ नवीन चिंतन के साथ आगे बढ़ना होगा। किसी भी कालखंड में हम कमजोर नहीं थे। हम डटे रहे व मुकाबला किया। भारत की परम्परा को आगे बढ़ाकर विश्व गुरु बनाना हमारा संकल्प है। इस संकल्प को सिद्धि तक ले जाना हमारा कर्तव्य है।

शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने कहा कि आज दुनिया में कब्जा करने की होड़ लगी हुई है। संवेदनाएं समाप्त हो गई है। सारी दुनिया को भारत ने चुनौती दी है। भारतीय सोच जीवन दर्शन को आगे बढ़ाना है हमने किसी पर आक्रमण नहीं किया, किसी के जीवन में दखल नहीं दी। हमारे आचार-व्यवहार से किसी को नुकसान नहीं हुआ। हमारा संकल्प देश को शान्ति प्रदान करना है। हमारे विचार के कारण सारी दुनिया हमारे आगे झुक रही है।

हमें चुनौतियों का सामना कर आगे बढ़ना है। अपने अंदर संकल्प व ईमानदारी लेकर आगे बढ़ना है। शिक्षक का कार्य व्यक्ति निर्माण करना है। भारत का नवनिर्माण कर दुनिया का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बनाना हमारा संकल्प है।

एनसीटीई के चेयरपर्सन प्रो. पंकज अरोड़ा ने कहा कि एनसीटीई राष्ट्र के सभी प्रदेशों को जोड़ते हैं और इस राष्ट्रीय मिशन का हिस्सा बनाते है। अध्यापक शिक्षा के माध्यम से हम विकसित भारत के उद्देश्य की तरफ बढ़ रहे हैं। एनईपी-2020 ने आज से पांच साल पहले विकसित भारत का बीज बो दिया है। अब हमारी जिम्मेवारी है कि हम अपने-अपने संस्थान से इसमें अपना योगदान दे सकें। विकसित भारत-2047 के विजन को साकार करने के लिए शिक्षक-शिक्षा में परिवर्तन लाना है।

एंटरप्रेन्योरशिप व कौशल विकास की तरफ बढ़ना है। क्लासरूम में होने वाले प्रोसेस आने वाले भविष्य के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। यहां से नवीन भावना हमारे साथ जाएगी जो भारत के विश्व गुरु का रास्ता खोलेगा।

हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. कैलाश चन्द्र शर्मा ने कहा कि आईटीईपी के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर कैसे हो यह सोचने का विषय है। इसमें क्षमतावान शिक्षक एनईपी के अनुसार होने चाहिए। कैम्पस बहुसंकायी प्रकार के होने चाहिए। यदि किसी राष्ट्र की अवस्था जाननी है तो वो राष्ट्र की शिक्षा निर्धारित करती है। समाज को आगे बढ़ाने का प्रमुख दायित्व शिक्षक का है। आने वाली बाधाओं को पार करते हुए हम आगे जाएंगे। गुरु एक श्रेष्ठ स्थान होता है। गुरु एक देवत्व का स्थान होता है। कोई भी कर्म स्थिर बुद्धि से करना होगा। हमें दुनिया का अंधकार छोड़कर आगे बढ़ने वाला व्यक्ति बनना है।

समापन सत्र में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने मुख्यातिथि हरियाणा के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा का स्वागत करते हुए कहा कि शिक्षक ही असली मायने में देश के भविष्य का निर्माता है। अगर युवा देश का भविष्य है तो इन युवाओं का निर्माण करना ही गुरुजनों के हाथ में है। इस दो दिवसीय सम्मेलन का भी यही उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि हरियाणा के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा के नेतृत्व में केयू ने एनईपी 2020 को सभी प्रावधानों के साथ अपने यूजी एवं पीजी सहित संबंधित महाविद्यालयों में पूरे देश में सर्वप्रथम लागू किया गया। भारत विश्व का सबसे युवा देश है जहां 15 से 29 आयु के 37 करोड़ युवा हमारी ताकत है और इस ताकत के सही उपयोग की जिम्मेदारी शिक्षक की है।

इस युवा शक्ति के माध्यम से ही विजन 2047 के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद, नई दिल्ली तथा हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद, पंचकूला के सहयोग से सफल संचालन हुआ। कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि केयू में इंटीग्रेटेड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम (आईटीईपी) के सेकेंडरी स्तर प्रोग्राम को आर्टस, कॉमर्स एवं साइंस प्रोग्राम्स में लगाया गया है।

उन्होंने कहा कि आईटीईपी प्रोग्राम में बीए के साथ बीएड तथा संबंधित आईटेप में एमकॉम, एमएससी आदि पीजी भी कर सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने 2030 तक आईटीईपी प्रोग्राम को शिक्षक शिक्षा के लिए अनिवार्य होने की बात कही। उन्होंने कहा कि 12वीं के बाद शिक्षक बनने वाले के मन में बच्चों को उद्यमिता एवं स्किल, स्वरोजगार अच्छे नागरिक बनाने एवं राष्ट्र निर्माण के योग्य बनाने का दायित्व भी होना चाहिए।

एनसीटीई की सदस्य सचिव अभिलाषा झा मिश्रा ने कहा कि शिक्षक का महत्व समाज में बहुत अधिक होता है। वे छात्रों को ज्ञान प्रदान करते हैं, उन्हें भविष्य के लिए तैयार करते हैं, और उन्हें समाज में एक बेहतर व्यक्ति बनने में मदद करते हैं। शिक्षक न केवल छात्रों के शिक्षा में मार्गदर्शन करते हैं, बल्कि वे उनके जीवन के हर पहलू में भी सहायक होते हैं।

अध्यापक शिक्षा को वास्तव में सशक्त व सक्षम शक्ति में परिवर्तित करें। आईआईटीआर की प्राचार्या प्रो. अनिता दुआ ने दो दिवसीय सम्मेलन की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। सम्मेलन में उपस्थित प्रतिभागियों ने ‘शिक्षक शिक्षा में परिवर्तन विजन 2047 की दिशा में’ अपने अनुभव एवं विचार साझा किए। अंत में प्रो. के.के. अग्निहोत्री ने सभी अतिथियों का आभार प्रकट किया।

इस अवसर पर एडवाईजर प्रो. के.के. अग्निहोत्री, एनसीटीई की सदस्य सचिव अभिलाषा झा मिश्रा, डॉ. सुरेन्द्र गक्खड़, प्रो. दिब्याज्योति महंता, कुलसचिव डॉ. वीरेन्द्र पॉल, डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. दिनेश कुमार, डीन ऑफ कॉलेजिज प्रो. ब्रजेश साहनी, प्रो. संजीव शर्मा, प्रो. परमेश कुमार, प्रो. रीटा, प्रो. अनिता दुआ, प्रो. लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया, डॉ. नीरज बातिश सहित 9 राज्यों के प्रतिनिधिमंडल सदस्य मौजूद थे।

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