टीबी उन्मूलन में निजी चिकित्सकों की सहभागिता आवश्यक: सिविल सर्जन

टीबी उन्मूलन में निजी चिकित्सकों की सहभागिता आवश्यक: सिविल सर्जन
• एक दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन
• मार्च माह को जन-आंदोलन के रूप में मनाया जायेगा
• कुपोषण टीबी का सबसे बड़ा कारण
• निक्षय योजना से मरीजों को आर्थिक मदद

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श्रीनारद मीडिया‚ पंकज मिश्रा‚  सारण (बिहार)

टीबी उन्मूलन में निजी चिकित्सकों की सहभागिता आवश्यक है। निजी चिकित्सकों को टीबी मरीज की सूचना स्वास्थ्य विभाग को देनी होगी। निजी चिकित्सकों के पास टीबी का मरीज इलाज करवा रहा है तो ऐसे मरीजों का नोटिफिकेशन करना अनिवार्य है। नए टीबी रोगी के नोटिफिकेशन पर निजी चिकित्सकों को प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी। उक्त बातें सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने एक निजी होटल में आयोजित कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कही। उन्होंने कहा कि भारत सरकार का लक्ष्य है कि पूरे देश को 2025 तक टीबी मुक्त बनाना है। जिसके लिए टीबी हारेगा, देश जीतेगा का नारा भी दिया गया है। अब निजी और सरकारी चिकित्सक मिलकर टीबी रोगियों की खोज कर उसे सरकारी अस्पताल में इलाज एवं जांच के लिए प्रेरित करेंगे । सीएस डॉ. झा ने कहा कि वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन के लिए निर्धारित महत्वाकांक्षी लक्ष्य की दिशा में किए जा रहे प्रयासों पर कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण स्वाभाविक रूप से आघात पहुंचा है। अब स्वास्थ्य विभाग ने टीबी उन्मूलन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। विभाग के द्वारा मार्च महीने को जन आंदोलन के रूप में मनाया जाएगा। जिसके तहत प्रखंड स्तर पर कई गतिविधियों का आयोजन किया जायेगा।

कुपोषण टीबी का सबसे बड़ा कारण:

जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. अजय कुमार शर्मा ने कहा कि टीबी को हराने के लिए सबसे पहले हमारे समाज को आगे आने की जरूरत है। वहीं गरीबी और कुपोषण टीबी के सबसे बड़े कारक हैं। इसके बाद अत्यधिक भीड़, कच्चे मकान, घर के अंदर प्रदूषित हवा, प्रवासी, डायबिटीज, एचआईवी, धूम्रपान भी टीबी के कारण होते हैं। टीबी मुक्त करने के लिए सक्रिय रोगियों की खोज, निजी चिकित्सकों की सहभागिता, मल्टीसेक्टरल रेस्पांस, टीबी की दवाओं के साथ वैसे समुदाय के बीच भी पहुंच बनानी होगी, जहां अभी तक लोगों का ध्यान नहीं जा पाया है। इस कार्यशाला में सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा, जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. अजय कुमार शर्मा, आईएमए के अध्यक्ष व सचिव, सदर अस्पताल के उपाधीक्षक, चाई (जीत प्रोजेक्ट) के फील्ड ऑफिसर राम प्रकाश कुमार, ऑपरेशन लीड अभिषेक कुमार समेत कई निजी चिकित्सक मौजूद थे।

निक्षय योजना से मरीजों को आर्थिक मदद:

जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. अजय कुमार शर्मा ने कहा कि निक्षय योजना के तहत प्रत्येक टीबी मरीज को पूरे इलाज के दौरान 500 रुपये दिए जाते हैं ताकि वह अपने पोषण की जरूरतों को पूरा कर सके। यह राशि सीधे टीबी मरीजों के बैंक खाते में जाती है जो कि बिल्कुल ही पारदर्शी व्यवस्था से गुजरती है।

जीत प्रोजेक्ट कर रहा है सहयोग:

जीत प्रोजेक्ट के ऑपरेशन अभिषेक कुमार ने बताया कि केंद्र सरकार ने 2025 तक टीबी को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, लेकिन ऐसे मरीजों ने चिंता बढ़ा रखी है जो सरकारी अस्पतालों में न तो जांच कराने आते हैं और न इलाज के लिए संपर्क कर रहे हैं। काफी लोग निजी अस्पतालों में जाते हैं, मगर इलाज महंगा होने के कारण बीच में ही दवा खाना बंद कर देते हैं। ऐसे मरीज दूसरे के लिए खतरा बन रहे थे। ऐसे में सरकार ने जीत प्रोजेक्ट लांच किया। जी प्रोजेक्ट को प्राइवेट अस्पतालों व केमिस्टों के यहां पहुंचने वाले मरीजों के डेटा जुटाने का दायित्व सौंपा गया है।

 

 

 

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