राजेश कुमार राम बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए

राजेश कुमार राम बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह को पार्टी ने उनके पद से हटा दिया है. उनकी जगह पार्टी ने राजेश कुमार को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. बिहार विधान सभा चुनाव को लेकर कांग्रेस की ओर से बढ़ती चहलकदमी के बाद से इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि कांग्रेस बिहार में अपनी पुरानी जमीन को तलाशने का प्रयास कर रही है.

राहुल गांधी ने अपने करीबी कृष्णा अलावरू को बिहार भेजकर इसका सख्त संदेश भी दिया था. इसके साथ ही लालू प्रसाद के विरोध के बाद भी पप्पू यादव को कांग्रेस में शामिल कर राहुल गांधी ने यह साफ कर दिया था कि कांग्रेस आला कमान अब स्थानीय कांग्रेस नेताओं के प्रभाव में नहीं आने वाला है और न ही लालू परिवार के प्रभाव में. बिहार विधान सभा चुनाव में कन्हैया कुमार की इंट्री को भी इससे ही जोड़कर देखा जा रहा है.

दरअसल, कांग्रेस लोकसभा चुनाव परिणाम के आधार पर बिहार में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में वर्ष 2024 में हुए चुनाव में कांग्रेस की स्थिति बिहार में मजबूत हुई है. कांग्रेस कटिहार, किशनगंज और सासाराम में जीत दर्ज की है. जबकि पूर्णिया में कांग्रेस पार्टी के समर्थक पप्पू यादव की जीत हुई है. यह जीत 2004 के बाद कांग्रेस के हाथ आयी है. इससे कांग्रेस बिहार में अपनी पुरानी जमीन को तलाशने के लिए पहल शुरु कर दी है.वहीं पिछली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 19 विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी. जबकि 2015 में कांग्रेस पार्टी को 27 सीटों पर जीत मिली थी.

दलित वोटरों को साधने की तैयारी

कांग्रेस ने राजेश कुमार को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बिहार में चुनाव से पहले दलित वोटरों को साधने का प्रयास किया है. राजेश कुमार पुराने कांग्रेसी है और गांधी परिवार से उनका पुराना रिश्ता रहा है.

बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ गई है.राजनीतिक दलों की चुनाव को लेकर बैठक तेज हो गई है.कई राजनीतिक दल अपनी रणनीति को अन्तिम रुप देने में लगे हैं. इस बीच पटना की सड़कों पर कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार के पोस्टर के बाद कई तरह की चर्चा शुरु हो गई है.कांग्रेस खेमे में कहीं खुशी तो कहीं गम का नजारा है.

पार्टी सूत्रों का कहना है कि बिहार में इस दफा कांग्रेस अपना जमीन तैयार करने में लगी है. यही कारण है कि पिछले दो माह में राहुल गांधी दो दफा बिहार दौरा कर चुके हैं. बिहार के कांग्रेस प्रभारी बदल दिया गया. नए कांग्रेस प्रभारी निरंतर बिहार का दौरा कर रहे हैं. महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष बिहार का दौरा कर चुकी हैं. इस बीच दिल्ली में राहुल गांधी से भेंट से पहले पटना की सड़कों पर कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार का पोस्टर बिहार की राजनीतिक तापमान को बढ़ा दिया है.

कन्हैया को मिल सकती है बड़ी जिम्मेवारी

कांग्रेस के सीनियर नेताओं का कहना है कि कन्हैया कुमार को बिहार विधान सभा चुनाव में एक बड़ी जिम्मेवारी मिल सकती है. हालांकि इस बात का संकेत पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने कुछ दिन पहले ही किया था. इसके बाद से ही इस बात की चर्चा तेज हो गई थी कि कांग्रेस बिहार में अपने दम पर और अपनी शर्तो पर चुनाव लड़ना चाह रही है. पार्टी के सीनियर नेताओं का कहना है कि प्रदेश संगठन या सहयोगी दल इस दफा चुनाव का संचालन नहीं करेगी.

कांग्रेस पार्टी खुद दिल्ली से पूरे चुनाव का संचालन करेगी. चुनाव को धार देने के लिए कांग्रेस कई सीनियर नेताओं की टोली इस दफा बिहार में कैंप करेगी. इसी कड़ी में कहा जा रहा है कि कन्हैया विधानसभा चुनाव से पहले इस महीने की 16 तारीख से बिहार में यात्रा पर आ सकते हैं. इस यात्रा के फाइनल अप्रूवल को लेकर संभवतः 12 मार्च को राहुल गांधी से दिल्ली में उनकी मुलाकात होगी. 12 मार्च को ही दिल्ली में बिहार कांग्रेस नेताओं की चुनावी तैयारियों और रणनीति के लिए राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के साथ बैठक हो सकती है.

बिहार में कांग्रेस क्यों हुई सक्रिय?

दरअसल कांग्रेस लोकसभा चुनाव परिणाम के आधार पर बिहार में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में वर्ष 2024 में हुए चुनाव में कांग्रेस की स्थिति बिहार में मजबूत हुई है. कांग्रेस कटिहार, किशनगंज और सासाराम में जीत दर्ज की है. जबकि पूर्णिया में कांग्रेस पार्टी के समर्थक पप्पू यादव की जीत हुई है. यह जीत 2004 के बाद कांग्रेस के हाथ आयी है. इससे कांग्रेस बिहार में अपनी पुरानी जमीन को तलाशने के लिए पहल शुरु कर दी है.वहीं पिछली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 19 विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी. जबकि 2015 में कांग्रेस पार्टी को 27 सीटों पर जीत मिली थी.

 

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