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मशरक के सेवानिवृत्त प्राचार्य  हीरालाल 'अमृतपुत्र' ने पीएम मोदी  से बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन का नाम बदलने का किया मांग, पीएम ने कहा कर रहें है विचार  - श्रीनारद मीडिया

मशरक के सेवानिवृत्त प्राचार्य  हीरालाल ‘अमृतपुत्र’ ने पीएम मोदी  से बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन का नाम बदलने का किया मांग, पीएम ने कहा कर रहें है विचार 

मशरक के सेवानिवृत्त प्राचार्य  हीरालाल ‘अमृतपुत्र’ ने पीएम मोदी  से बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन का नाम बदलने का किया मांग, पीएम ने कहा कर रहें है विचार

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श्रीनारद मीडिया, विक्‍की बाबा, मशरक, सारण (बिहार):

सारण जिले के मशरक प्रखंड क्षेत्र के बंगरा पंचायत के चरिहारा गांव निवासी सेवानिवृत्त प्राचार्य हीरालाल ‘अमृतपुत्र’ ने भारत के प्रधानमंत्री को बीते महीने पहले एक साधारण नागरिक की तरह बात रखते हुए तीन सूत्री याचिका भेजी थी जिसमें पहले स्थान पर बिहार के बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की अपील की है। बख्तियार खिलजी के नाम पर रखे स्टेशन के नाम को परिवर्तिन करने के दौरान इतिहास के पन्नों को याद दिलाते हुए बताते है कि बख्तियार खिलजी के द्वारा नालंदा विश्वविद्यालय को ध्वस्त कर लाखों-लाख के बेशकीमती पुस्तकों को जलाकर राख कर दिया था।

वह आततायी आज भी बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन के नाम से जीवित है। उस नाम को तत्काल प्रभाव से बदलकर ‘आम्रपाली’ रखने का सुझाव भी दिया। दुसरी याचिका में बिहार के एक औद्योगिक स्थान का जिक्र करते हुए याचिका करते हुए कहते है कि बिहार ही नहीं, भारत में ब्रिटिश शासन के जमाने में सारण जिला स्थित मढ़ौरा एक औद्योगिक स्थान था। वहां चीनी मिल थी।

जिसकी चीनी सबसे अच्छी गुणवत्ता वाली होती थी। साथ ही विदेशों तक निर्यात होने वाली माॅर्टेन चॉकलेट के निर्यात को पुनर्जीवित करने की अपील की है। जिससे वहां के हजारों लोगों को रोजगार भी मिल सके।

तीसरी और आखिरी याचिका में ब्रिटिश शासन के जमाने में बने छपरा के हवाई अड्डा बंद पड़ा हुआ है। जिसकी ओर ध्यान केंद्रित करते हुए कहते है कि दरभंगा में नया हवाई अड्डा बन गया, वह नया है। अच्छी बात है। लेकिन ब्रिटिश जमाने के बंद पड़ी हवाई अड्डे कब से जीवंत होगा? इस क्षेत्र के लोगो को हवाई सफर के लिए पटना जाना होता है।

अमृतपुत्र ने सरकार को इन सभी याचिकाओं की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहते हैं कि आजाद हुआ भारत के बाद से न जानें कितनी सरकारें आयीं और गयी लेकिन इन सब पर किसी का ध्यान नहीं गया। और तत्कालीन सरकार से इस विश्वास के साथ आग्रह किया है।

जिसके जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय से अमृतपुत्र को उनके याचिका पर यथोचित कार्यवाई के लिए अग्रेषित किया गया है। मौके पर शुक्रवार को सेवानिवृत्त प्राचार्य हीरालाल ‘अमृतपुत्र’ ने मीडिया को बताया कि उन्होंने बिहार की महत्त्वपूर्ण तीन मांगों के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र भेजा था जिसका जबाब उनके द्वारा उन्हें दिया गया जिसमें उन्होंने लिखा है कि आपकी मांगों पर विचार किया जा रहा है। वही उनकेे मांगों पर विचार करने की खबर सुनकर बधाई देने वालों का ताता लग गया।

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