“शिक्षा के क्षेत्र में भारतीयता का पुनरुत्थान आवश्यक” — गोविन्द चंद्र मोहंती

“शिक्षा के क्षेत्र में भारतीयता का पुनरुत्थान आवश्यक” — गोविन्द चंद्र मोहंती

विद्या भारती के बिहार क्षेत्रीय अभ्यास वर्ग का समापन समारोह संपन्न

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श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):

विद्या भारती बिहार द्वारा आयोजित क्षेत्रीय स्तरीय पांच दिवसीय पूर्णकालिक कार्यकर्ता अभ्यास वर्ग का भव्य समापन समारोह गुरुवार को महावीरी सरस्वती विद्या मंदिर, विजयहाता, सिवान में सम्पन्न हुआ। समापन समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसे विद्या भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री  गोविन्द चन्द्र मोहंती, क्षेत्रीय मंत्री रामअवतार नारसरिया, क्षेत्रीय संगठन मंत्री  ख्यालीराम जी, क्षेत्रीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. शरद चौधरी, समाजसेवी रमेश कुमार सिंह, उत्तर बिहार प्रांत के सचिव रामलाल सिंह, दक्षिण बिहार प्रांत के सचिव प्रदीप कुमार कुशवाहा, झारखंड प्रांत के सचिव नकुल कुमार शर्मा तथा बिहार धार्मिक न्यास परिषद के सदस्य प्रोफेसर अभिमन्यु सिंह ने संयुक्त रूप से संपन्न कराया।

 

समारोह को संबोधित करते हुए श्री गोविन्द चन्द्र मोहंती ने कहा कि विद्या भारती का कार्य वर्ष 1952 में प्रारंभ हुआ था, जो आज एक व्यापक और प्रभावशाली स्वरूप ले चुका है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष की ओर अग्रसर होते हुए हमें शिक्षा के क्षेत्र में नवदृष्टि के साथ नई ऊंचाइयों को छूना है।

 

उन्होंने कहा कि हमें केवल भाषण नहीं, कार्य के माध्यम से समाज को दिशा देनी है। एक ऐसी शिक्षा व्यवस्था का निर्माण करना है जो पूर्णतः भारतीय मूल्यों पर आधारित हो। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) को भारतीय परंपराओं का पुनरुत्थान बताते हुए कहा कि यह नीति औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति दिलाकर भारतीय संस्कृति को पुनर्स्थापित करती है।

मोहंती जी ने कहा कि यह नई शिक्षा व्यवस्था ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना पर आधारित है, जो शिशुओं के समग्र विकास का मार्ग प्रशस्त करती है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि ज्ञान का उद्देश्य केवल सूचना प्राप्त करना नहीं, बल्कि ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों को जाग्रत करते हुए व्यक्तित्व का संपूर्ण विकास करना है।

 

अपने प्रेरणादायी संबोधन में उन्होंने कहा कि विद्या भारती का प्रमुख उद्देश्य सुसंस्कारित बालकों का निर्माण करना है। इसके लिए शिशु वाटिकाओं का विकास आवश्यक है। जहां ऐसे केंद्र हैं, उन्हें और उत्कृष्ट बनाया जाए तथा अन्य स्थानों पर भी इनकी स्थापना की जाए। उन्होंने महिला सशक्तिकरण पर विशेष बल देते हुए “मातृशक्ति संगम” जैसे आयोजनों की आवश्यकता बताई, जिसमें 250-300 माताओं की सहभागिता सुनिश्चित की जाए। ऐसे आयोजनों में मंच केवल महिलाओं के लिए आरक्षित हो ताकि उनमें नेतृत्व क्षमता और जागरूकता विकसित हो सके।

उन्होंने कार्यकर्ताओं को आगाह करते हुए कहा कि समाज को तोड़ने वाले तत्व सदैव सक्रिय रहते हैं, लेकिन हमें विवादों से दूर रहकर अपने कार्यों द्वारा समाज को संगठित करना है। जब मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार संतुलन में होंगे, तभी एक संस्कारवान और जागरूक नागरिक का निर्माण संभव हो सकेगा।

समापन समारोह में उत्तर बिहार, दक्षिण बिहार एवं झारखंड प्रांतों से आए सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की। कार्यक्रम में विद्या भारती प्रचार-प्रसार विभाग की केन्द्रीय टोली के सदस्य आलोक तिवारी, क्षेत्रीय मीडिया समन्वयक नवीन सिंह परमार, विद्यालय के सचिव ओमप्रकाश दूबे, कोषाध्यक्ष पारस नाथ सिंह एवं प्रधानाचार्य शम्भू शरण तिवारी विशेष रूप से उपस्थित रहे।

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