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सदस्यता गंवाने वाले पूर्व एमएलसी सुनील सिंह को आरजेडी ने किया सम्मानित - श्रीनारद मीडिया

सदस्यता गंवाने वाले पूर्व एमएलसी सुनील सिंह को आरजेडी ने किया सम्मानित

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सीएम नीतीश कुमार की मिमिक्री करने के आरोप में एमएलसी की सदस्यता गंवाने वाले बिस्कोमान के पूर्व चेयरमैन सुनील सिंह का आज पटना स्थित आरजेडी कार्यालय में सम्मान समारोह किया गया। इस मौके पर राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह समेत पार्टी के पदाधिकारी मौजूद रहे। जगदानंद ने सुनील सिंह पर की गई कार्रवाई को लोकतंत्र की हत्या करार दिया। और कहा कि राजद के कार्यकर्ता सड़क से सदन तक इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे।

वहीं सम्मान समारोह में पहुंचे सुनील सिंह ने कहा कि आरजेडी के करोड़ों कार्यकर्ता उनके साथ हैं। और अपना आंदोलन जारी रखेंगे। वहीं पार्टी के नेताओं ने इस कार्रवाई को साजिश करार दिया है। आपको बता दें आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के परिवार के करीबी सुनील सिंह विधान परिषद की सदस्यता रद्द हो गई है। सीएम नीतीश की मिमिक्री के आरोप में विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था। विपक्षी सदस्यों ने राजद के सुनील कुमार सिंह की सदस्यता समाप्त नहीं कर माफी देने की अपील की थी। लेकिन सदन की सहमित नहीं सकी।

दरअसल सुनील कुमार ने नीतीश कुमार की मिमिक्री करते हुए उपहास किया था। 13 फरवरी 2024 को राज्यपाल की अभिभाषण पर नीतीश कुमार के धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान सुनील कुमार पर अभद्र टिप्पणी करने का आरोप लगा। जेडीयू के एमएलसी भीष्म सहनी ने इस मामले में आचार समिति के समक्ष याचिका दायर की थी।  विधान परिषद की आचार समिति को जांच का जिम्मा दिया गया था।

आचार समिति के अध्यक्ष सह विधान परिषद के उप सभापति प्रोफेसर रामवचन राय ने सभापति को अपनी रिपोर्ट सौंप दी जिसमें एमएलसी पर लगाए गए आरोपों को सही करार दिया और अनुशासनात्मक कार्रवाई के अनुशंसा कर दी। इससे पहले सोशल मीडिया पर भी सुनील सिंह सीएम नीतीश पर तंज कसते आए हैं। वहीं आरजेडी इस पूरी कार्रवाई को साजिश करार दे रहा है। और सड़क से सदन तक आंदोलन की बात कही है।

ठाकुर समाज ने इस पर नाराजगी जताई है। छपरा में राजपूत समाज के नेता और सारण विकास मंच के संयोजक शैलेंद्र प्रताप सिंह ने सुनील सिंह को बिहार विधान परिषद से हटाए जाने को दुखद और चिंताजनक बताया। उन्होंने कहा कि सुनील सिंह को सदन से बर्खास्त करने के साथ ही बिस्कोमान के चेयरमैन पद से भी हटा दिया गया है।

ये दोनों घटनाएं साफ दिख रही हैं कि कैसे मौजूदा सिस्टम क्षत्रिय नेताओं के खिलाफ काम कर रहा है। बता दें कि अगले साल बिहार विधानसभा का चुनाव होना है। सारण के अलावा उत्तर और दक्षिण बिहार के कई जिलों में राजपूत वोटरों की संख्या अच्छी खासी है। ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के लिए ठाकुरों की नाराजगी चिंताजनक साबित हो सकती है।

सारण विकास मंच के शैलेंद्र प्रताप सिंह ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि आरजेडी के सुनील सिंह को अपने सिद्धांतों पर अड़िग रहने का खामियाजा भुगतना पड़ा। यह मामला सिर्फ सुनील सिंह का नहीं, बल्कि उनके जरिए पूरे क्षत्रिय समाज को यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि सत्ता के विरोध का स्वर हर हाल में कुचला जाएगा। केंद्र और बिहार दोनों ही सरकारों में क्षत्रियों की उपेक्षा का एक दौर शुरू हुआ है और इस दौर में हर उस आवाज को कुचलने की कोशिश की जा रही है, जो विपरीत धारा में आजाद रहना चाहती है।

उन्होंने कहा कि सुनील सिंह की विधान परिषद सदस्यता रद्द करने का जो कारण बताया गया, वो गले तो नहीं उतरता है। बिहार विधानमंडल में पूर्व में ऐसे कई बयान सुने गए हैं और रिकॉर्ड हैं, जिसने विधानमंडल के सदस्यों को ही नहीं पूरे बिहार को शर्मसार किया। मगर तब उन मामलों पर सदन की किसी आचार समिति ने न कुछ सुना, न  कुछ देखा और न ही उस पर कोई फैसला दिया। लेकिन जैसे ही इस मामले में एक क्षत्रिय नेता को फंसाने की हल्की गुंजाइश दिखी, सभी सक्रिय हो गए और ऑन द स्पॉट फैसला कर दिया गया।

सिंह ने आरोप लगाए कि बिहार में क्षत्रियों को न सिर्फ दंडित किया जा रहा है बल्कि उन्हें सोची समझी रणनीति के तहत हीन भावना का शिकार भी बनाया जा रहा है। लोकसभा चुनाव में मौजूदा एनडीए की सरकार में शामिल पांच क्षत्रिय नेताओं को बिहार की जनता ने जिताया लेकिन इनमें से किसी को केंद्र में मंत्री नहीं बनाया गया। क्षत्रिय समाज के खिलाफ प्रताड़ना और दुत्कार का दौर चलाने की इन कोशिशों की क्षत्रिय समाज को समीक्षा करनी होगी क्योंकि क्षत्रिय धर्म सम्मान की रक्षा करना और अपमान का प्रतिकार करना है।

 

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