Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
बलिदान दिवस : चंद्रशेखर आजाद जो सदा आजाद रहे - श्रीनारद मीडिया

बलिदान दिवस : चंद्रशेखर आजाद जो सदा आजाद रहे

बलिदान दिवस : चंद्रशेखर आजाद जो सदा आजाद रहे

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:


भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानियों में चन्द्रशेखर आजाद का नाम सदा अग्रणी रहेगा। उनका जन्म २३ जुलाई, १९०६ को ग्राम माबरा (झाबुआ, मध्य प्रदेश) में हुआ था। उनके पूर्वज गाँव बदरका (जिला उन्नाव, उत्तर प्रदेश) के निवासी थे; पर अकाल के कारण इनके पिता श्री सीताराम तिवारी माबरा में आकर बस गये थे।

बचपन से ही चन्द्रशेखर का मन अंग्रेजों के अत्याचार देखकर सुलगता रहता था। किशोरावस्था में वे भागकर अपनी बुआ के पास बनारस आ गये और संस्कृत विद्यापीठ में पढ़ने लगे।

बनारस में ही वे पहली बार विदेशी सामान बेचने वाली एक दुकान के सामने धरना देते हुए पकड़े गये। थाने में हुई पूछताछ में उन्होंने अपना नाम आजाद, पिता का नाम स्वतन्त्रता और घर का पता जेलखाना बताया। इस पर बौखलाकर थानेदार ने इन्हें १५ बेंतों की सजा दी। हर बेंत पर ये ‘भारत माता की जय’ बोलते थे। तब से ही इनका नाम ‘आजाद’_ प्रचलित हो गया।

आजाद हूं, आजाद रहूंगा और आजाद ही मरुंगा यही नारा था भारत की स्वतंत्रा के लिए अपना बलिदान देने वाले देश के महान क्रान्तिवीर स्वतंत्रता सेनानी चन्द्रशेखर आजाद का, चन्द्रशेखर आजाद का जीवन ही नही उनकी मौत भी प्रेरणा देने वाली है, चन्द्रशेखर आजाद ने अंग्रेजो के पकड में न आने की शपथ के चलते स्वयं को कनपटी पिस्तौल रखकर गोली मार ली थी, आजाद जबतक आजाद रहे उन्हें कोई कैद नही कर पाया।

आगे चलकर आजाद ने सशस्त्र क्रन्ति के माध्यम से देश को आजाद कराने वाले युवकों का एक दल बना लिया। भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु, बिस्मिल, अशफाक, मन्मथनाथ गुप्त, शचीन्द्रनाथ सान्याल, जयदेव आदि उनके सहयोगी थे।

आजाद तथा उनके सहयोगियों ने नौ अगस्त, १९२५ को लखनऊ से सहारनपुर जाने वाली रेल को काकोरी स्टेशन के पास रोककर सरकारी खजाना लूट लिया। यह अंग्रेज शासन को खुली चुनौती थी, अतः सरकार ने क्रान्तिकारियों को पकड़ने में पूरी ताकत झोंक दी।

पर आजाद को पकड़ना इतना आसान नहीं था। वे वेष बदलकर क्रान्तिकारियों के संगठन में लगे रहे। ग्वालियर में रहकर इन्होंने गाड़ी चलाना और उसकी मरम्मत करना भी सीखा।

१७ दिसम्बर, १९२८ को इनकी प्रेरणा से ही भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु आदि ने लाहौर में पुलिस अधीक्षक कार्यालय के ठीक सामने सांडर्स को यमलोक पहुँचा दिया। अब तो पुलिस बौखला गयी; पर क्रान्तिवीर अपने काम में लगे रहे।

कुछ समय बाद क्रान्तिकारियों ने लाहौर विधानभवन में बम फेंका। यद्यपि उसका उद्देश्य किसी को नुकसान पहुँचाना नहीं था। बम फेंककर भगतसिंह तथा बटुकेश्वर दत्त ने आत्मसमर्पण कर दिया। उनके वीरतापूर्ण वक्तव्यों सेे जनता में क्रान्तिकारियों के प्रति फैलाये जा रहे भ्रम दूर हुए। दूसरी ओर अनेक क्रान्तिकारी पकड़े भी गये। उनमें से कुछ पुलिस के अत्याचार न सह पाये और मुखबिरी कर बैठे। इससे क्रान्तिकारी आन्दोलन कमजोर पड़ गया।

वह २७ फरवरी, १९३१ का दिन था। पुलिस को किसी मुखबिर से समाचार मिला कि आज प्रयाग के अल्फ्रेड पार्क में चन्द्रशेखर आजाद किसी से मिलने वाले हैं। पुलिस नेे समय गँवाये बिना पार्क को घेर लिया। आजाद एक पेड़ के नीचे बैठकर अपने साथी की प्रतीक्षा कर रहे थे। जैसे ही उनकी निगाह पुलिस पर पड़ी, वे पिस्तौल निकालकर पेड़ के पीछे छिप गये।

कुछ ही देर में दोनों ओर से गोली चलनेे लगी। इधर चन्द्रशेखर आजाद अकेले थे और उधर कई जवान। जब आजाद की पिस्तौल में एक गोली रह गयी, तो उन्होंने देश की मिट्टी अपने माथे से लगायी और उस अन्तिम गोली को अपनी कनपटी में मार लिया। उनका संकल्प था कि वे आजाद ही जन्मे हैं और मरते दम तक आजाद ही रहेंगे। उन्होंने इस प्रकार अपना संकल्प निभाया और जीते जी पुलिस के हाथ नहीं आये।

यह भी पढ़े

विद्यालय के वार्षिकोत्सव पर सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश कर बच्चों ने मोहा मन

जगह नहीं होने के बावजूद सब्जी की ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं सतीश

मशरक  की खबरें :  सड़क दुघर्टना में 2 युवकों की मौत, 1 घायल

वारदात को अंजाम देने की फिराक में थे दो युवक, पुलिस ने एक को हथ‍ियार के साथ दबोचा; दूसरा फरार

सोनपुर थानान्तर्गत डॉ० उदय कुमार उज्जवल के सभी अपहरणकर्ताओं को किया गया गिरफ्तार 

 मधुबनी जिले के सभी होटलों में की गई जांच पड़ताल, दो महिलाओं और एक नवयुवक को संदेह के आधार पर हिरासत में लिया  

आपराधिक घटना को अंजाम देने जा रहा हिस्ट्रीशीटर पिस्तौल और जिंदा कारतूस के साथ गिरफ्तार

Leave a Reply

error: Content is protected !!