नियमित रूप से दवा का सेवन कर और बीमारी को मात देकर सरसी का विक्रम बना टीबी चैंपियन 

नियमित रूप से दवा का सेवन कर और बीमारी को मात देकर सरसी का विक्रम बना टीबी चैंपियन

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टीबी चैंपियन ने नौ महीने  में लगभग दो सौ मरीजों को किया जागरूक, अभियान जारी:
बीमारी का पता लगने के साथ ही समय पर जांच एवं उपचार के बाद पूरी तरह से स्वस्थ्य हुआ: विक्रम
फरवरी- 2022 से टीबी चैंपियन के रूप में ग्रामीणों को कर रहे हैं जागरूक:

श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):


अगर किसी व्यक्ति को लगातार सूखा खांसी की शिकायत हो, तो जल्द ही अपने नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जांच करवा लें। समय पर जांच एवं उपचार कराने से आप पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं। कुछ इसी तरह की परेशानियों से मुझे  भी जूझना पड़ा था। हालांकि अब स्वस्थ होकर बनमनखी प्रखंड के स्कूल, कॉलेज, चौक चौराहों के अलावा सामाजिक स्तर पर ग्रामीणों को जागरूक करने का बीड़ा उठा चुका हूं। विगत फ़रवरी से लेकर नवंबर तक क्षेत्र में भ्रमण कर 108 मरीजों को नियमित रूप से दवा का सेवन करने एवं पौष्टिक आहार लेने के लिए जागरूक किया हूं। अनुमंडलीय अस्पताल बनमनखी में बैठ कर स्पोर्ट हब के माध्यम से 75 मरीजों को जागरुक करने में अपनी सेवाएं दे रहां हूं।

धमदाहा प्रखंड के सरसी गांव निवासी योगेंद्र यादव के 32 वर्षीय पुत्र विक्रम कुमार यादव वैश्विक महामारी कोविड-19 से पहले पंजाब के भटिंडा में चावल फैक्ट्री में मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते थे। लेकिन जब सूखी खांसी, बुख़ार के अलावा फेफड़े में पानी होने की शिकायत का पता चला तो  उनके पैर के नीचे से जमीन ही खिसक गई। किसी भी इंसान को जवानी में किसी तरह की गंभीर बीमारी हो जाए तो सभी के लिए मुश्किल खड़ी हो जाती है।

 

बीमारी का पता लगने के साथ ही समय पर जांच एवं उपचार के बाद पूरी तरह से स्वस्थ्य हुआ: विक्रम
विक्रम ने बताया कि मुझे टीबी कैसे और कब हुआ, इसकी जानकारी नहीं हुई। लेकिन जो मेरे साथ हुआ, वह तेजी से और बदतर हो गया। लगातार सूखी खांसी एवं बुखार के साथ काफ़ी तेजी से वजन भी गिरने लगा। घर परिवार के लोग काफ़ी चिंतित रहने लगे। हमने भी मन में ठान लिया था कि समय से जांच कराने के बाद ही इलाज़ भी कराऊंगा। हालांकि मुझे भी भविष्य को लेकर थोड़ी बहुत शंका पैदा हो गयी। लेकिन अस्पताल से मिलने वाली दवाओं को नियमित रूप से लगातार छः महीने तक खाया। उस दौरान पौष्टिक आहार लेने पर भी ध्यान दिया। जिस कारण जल्द ही स्वस्थ भी गया।

 

नियमित रूप से दवा का सेवन करने के बाद ही टीबी जैसी बीमारी को दिया मात:
विक्रम ने बताया कि भटिंडा के चावल फैक्ट्री  में काम करता था। अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाया। जिस कारण नाक, मुंह एवं अन्य माध्यमों से शरीर के अंदर चावल का धूलकण प्रवेश कर गया। इसके बाद वर्ष 2020 में मुझे सूखी खांसी, बुख़ार एवं फेफड़े में पानी की शिकायत हुई तो मेडिकल कॉलेज भटिंडा में जाकर चिकित्सक से दिखाया, जांच कराया गया तो टीबी की बीमारी का पता चला। दो महीने तक दवा खाने के बाद कोरोना के समय ही मई 2020 में जैसे तैसे घर वापस आ गया। यहां आने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र बनमनखी से दवा लेकर नियमित रूप से सेवन करने लगा। तब जाकर टीबी जैसी बीमारी से छुटकारा मिल पाया।

 

फरवरी- 2022 से टीबी चैंपियन के रूप में ग्रामीणों को कर रहे हैं जागरूक
टीबी बीमारी से ठीक होने के बाद विक्रम को रीच इंडिया की ओर से जनवरी 2022 में टीबी चैंपियन बनाया गया। दरभंगा में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद वे फरवरी से लेकर अभी तक बनमनखी अस्पताल आने वाले टीबी मरीज़ों एवं क्षेत्र में भ्रमण कर संक्रमित मरीजों से मुलाक़ात कर जागरूक करने में जुटे हुए हैं। बनमनखी प्रखंड के दर्जनों पंचायतों में भ्रमण कर विभिन्न पंचायतों के मुखिया, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य, वार्ड एवं पंच सदस्यों के साथ समन्वय स्थापित कर सामुदायिक स्तर पर बैठक का आयोजन कर टीबी मरीज़ों के अलावा आम ग्रामीणों को जागरूक करने की जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं।

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