वरिष्ठ भोजपुरी साहित्यकार डॉ. तैय्यब हुसैन ‘पीड़ित जी’ के स्वर्गवास हो गइल
तैय्यब साहब के विनम्र श्रद्धांजलि
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
तैयब हुसैन जी ना रहनी. तबीयत खराब चलत रहे. तैयब जी के इ तसवीर बिहारनामा आयोजन के ह,जब उहां के हमनी के बिहार म्यूजियम में संवाद खातिर निहोरा कर के आदर से बोलवले रहीं जा. तैयब जी के रूप में भोजपुरी के प्रतिबद्ध, समर्पित आ ईमानदार सर्जक के नुकसान भइल, उहां के सशरीर ना रहला से. हमरा से केहू कबो पूछो कि एगो नाम बताईं,
भोजपुरी साहित्य के फलां पक्ष पर बतकही करे के बा, इंटरव्यू करे के बा, हम तैयबजी के नाम सबसे पहिले लेत रहनी. असल तैयबजी ओह बांचल—खुचल परंपरा के विशिष्ट व्यक्ति रहनी, जे स्वप्रचार,आत्मप्रचार,आत्ममुग्धता आ ज्ञान के अहंकार भा बोझ से अपना के बचा के रखले रह गइनी जीवन भर. तैयब हुसैन जी के पहिलका बेर आज से करीब 20 साल पहिले जननी. आपन प्रिय संघतिया,भाई चाहे लोक के विषय पर हमार मेंटरिंग करे में अहम भूमिका निभावेवाला अश्विनी पंकज के माध्यम से उहां के जाने के मौका मिलल रहे.
तब हम बिदेसिया वेबसइट के शुरुआत करत रहीं. बिदेसिया शुरुआत करावे में अश्विनी पंकज के भूमिका सबसे अहम रहल. ओही घरी अश्विनी बिदेसिया प्रति के भी देले. बिदेसिया पत्रिका के दो ही अंक निकल सकल रहे. एक प्रवेशांक आ, दोसरका ओकर बंद होखे के एलान. अश्विनी अपना पढ़ाई के दिन में एह पत्रिका के निकाले शुरू कइले रहले आ पहिलके अंक में भिखारी ठाकुर पर कई गो शानदार लेख रहे,
जेकरा में एक लेख तैयब हुसैन के रहे. ओह लेख के पढ़ के हम तैयबजी के बारे में पूछनी. अश्विनी बतवले. तैयब जी के उ लेख भिखारी ठाकुर के अलग—अलग फ्रेम में राखि करल गइल अध्ययन रहे. अद्भुत लेख. हालांकि बाद में जननी कि भिखारी ठाकुर पर विधिवत अध्ययन करेवाला पहिलका स्कॉलर भी उहें के रहनी. उहां से संपर्क भइल. फिर रिश्ता बनल. उहां के आखिरी किताब भी भिखारी ठाकुर पर ही आइल. भिखारी ठाकुर अनगढ़ हीरा नाम से. बाकिर उहां के अध्ययन खाली भिखारी ठाकुर तक सीमित ना रहे.
भिखारी ठाकुर पर भी उहां के जब भी बात कइनी, कबो ई कोशिश ना कइनी कि भिखारी ठाकुर के देवत्व के परिधि में लावल जाए. एक रचनाकार के तौर पर ही हमेशा अध्ययन कइनी आ योगदान के रेखांकित कइनी. बिना संकोच के भिखारी ठाकुर के सामर्थ्य के बतवनी त सीमा के भी. उहां के कवि भी रहनी. इ कुल तो तो एक बात बा. कृतित्व के दुनिया विशाल बा उहां के. बाकि ओकरा से अलग उहां के व्यक्तित्व बहुत अलग तरीका के रहे. कबो ना देखनी कि उहां के अपना के विशिष्ट बतावत होखीं. कबो ना देखनी कि मिलला पर आपन योगदान के बारे में बात करत होखीं.
कबो ना देखनी कि उहां के इ कहीं कि भिखारी ठाकुर पर चाहे भोजपुरी पर हमार काम अहम बा. एह वजह से तैयब जी हमेशा हमार पसंदीदा सर्जक रहनी भोजपुरी में. उहां के गइला से एक युग के अंत भइल. जाना तो सबके बा एह नश्वर संसार से. बस एही बात उमेद के संचार करत रहेला कि पांडेय कपिल, हरेराम द्विवेदी, तैयब जी के बनावल राह पर चलेवाला एके—दु लोग सही, बाकि भोजपुरी में अभी भी बा.
अइसन बात करत हमरा सबसे पहिले Prakash Uday प्रकाश उदय भइया के ही इयाद आवत बा. उहां में हम एक साथे भोजपुरी के कई सिरमौर पुरखाा के छवि देखिना. ओही तरह के संयम, आत्मप्रचार से दूर रहे के धैर्य, विनम्रता, ज्ञान के अहंकार भा बोझ से मुक्त मानुष.
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