सीवान में पुस्तकालयों के पुनर्जीवन की रणनीति पर गंभीर विचार मंथन

सीवान में पुस्तकालयों के पुनर्जीवन की रणनीति पर गंभीर विचार मंथन

जिला पुस्तकालय संघ के तत्वावधान में कन्हैयालाल जिला पुस्तकालय में विचार गोष्ठी सह सम्मान समारोह का हुआ आयोजन

WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
01
previous arrow
next arrow
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
01
previous arrow
next arrow

पूर्व विधायक और सांसद पति रमेश कुशवाहा ने पुस्तकालयों के आधारभूत संरचना के विकास में सहयोग का दिया आश्वाशन

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सीवान जिला पुस्तकालय संघ के तत्वावधान में रविवार को कन्हैयालाल जिला केंद्रीय पुस्तकालय में विचार गोष्ठी सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इसमें नगर के प्रबुद्धजनों ने पुस्तकालय को पुनर्जीवन प्रदान करने की रणनीति पर गंभीर विचार मंथन किया गया। इस अवसर पर जिले के पुस्तकालयों को पुस्तकें देने के लिए पहल करने वाले पूर्व विधायक सह सांसद पति रमेश कुशवाहा को सम्मानित किया गया।

मौके पर जिला पुस्तकालय संघ के अध्यक्ष द्वारिका राम और महासचिव डॉक्टर के डी रंजन द्वारा प्रस्ताव दिया गया कि सांसद निधि से जिले के प्रत्येक पुस्तकालयों को कुछ फर्नीचर दिए जाएं। जिसे स्वीकार करते हुए पूर्व विधायक रमेश कुशवाहा ने कहा कि वे अपने स्तर से पुस्तकालयों के लिए बुनियादी ढांचा के सृजन के संदर्भ में हरसंभव मदद करेंगे।

इस अवसर पर जदयू महासचिव इंद्रदेव सिंह पटेल, लोजपा जिलाध्यक्ष महादेव पासवान, आरएलएम जिलाध्यक्ष अब्दुल रिजवान भी मौजूद रहे। विचार गोष्ठी में डॉक्टर अशोक प्रियंवद, डॉक्टर गणेश दत्त पाठक, राजेश पांडेय, अंजनी पांडेय, युगल किशोर दुबे, नीरज पाठक, अभिषेक उपाध्याय, रामनाथ सिंह, राम नरेश सिंह, रामाशीष यादव, प्रेमशंकर सिंह, गुलाम मोहम्मद रशीद, विवेक कुशवाहा, रुद्रनारायण, नंद भगत, मुरलीधर मिश्रा, प्रदीप कुमार, रमाशंकर प्रसाद, डॉक्टर अनिल कुमार श्रीवास्तव आदि ने अपनी बातें रखी।

कन्हैया लाल जिला केंद्रीय पुस्तकालय में आयोजित विचार गोष्ठी में उपस्थित बुद्धिजीवियों ने पुस्तकालयों के पुनर्जीवन की रणनीति पर व्यापक विचार मंथन किया। यह तथ्य संजीदगी से महसूस किया गया कि आज के मोबाइल के दौर में युवाओं में पुस्तकें पढ़ने का शौक खत्म होता जा रहा है। पुस्तकालय ज्ञान के प्रकाश के अहम स्रोत होते हैं।

पुस्तकें पढ़ने से वैचारिक आयाम को व्यापकता हासिल होती है। इस विचार गोष्ठी में सुझाव आया कि सभी प्रबुद्धजन नियमित तौर पर पुस्तकालय आएं और कुछ समय यहां बिताए ताकि समाज में पुस्तकालय के महत्व के बारे में संदेश का संचार हो। साथ ही, इस बात पर भी सहमति बनी कि प्रशासन का सहयोग इस संदर्भ में लिया जाय। यह बात भी सामने आई कि पुस्तकालयों के बारे में भावनाओं का जागृत होना भी अनिवार्य तथ्य है। जब पुस्तकालयों को पुनर्जीवन प्राप्त होगा तो समाज में सकारात्मकता का संचार भी होगा। जैसा जामताड़ा जिले में देखा गया है। सीवान के पुस्तकालयों के पुनर्जीवन हेतु सार्थक, समन्वित प्रयासों पर सहमति भी बनी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!