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श्रीकृष्ण ने महिला नेतृत्व को मजबूत किया  -  मधुकर - श्रीनारद मीडिया

श्रीकृष्ण ने महिला नेतृत्व को मजबूत किया  –  मधुकर

श्रीकृष्ण ने महिला नेतृत्व को मजबूत किया  –  मधुकर

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श्रीनारद मीडिया, जीरादेई, सीवान (बिहार):

सीवान जिले के जीरादेई प्रखण्ड क्षेत्र के बंथू श्रीराम गांव में चल रहे माँ काली प्रतिष्ठान महायज्ञ के चौथेदिन कथा वाचक आचार्य मधुकर महाराज ने शुक्रवार को कहा कि श्री कृष्ण ने महिला नेतृत्व को मजबूत किया ।

 

उन्होंने बताया कि  कृष्ण ने अपने नेतृत्व को महाभारत की पांच महान नारियों के साथ बांटा ।ये थी राधा,यशोदा,रुक्मिणी,कुंतीऔर द्रौपदी ।मधुकर ने कहा कि राधा की भक्ति समर्पण की थी ।वे गोप और गोपिकाओं का नेतृत्व करने में बराबर की साझीदार थी परन्तु उनकी भूमिका कृष्ण के प्रति सम्पूर्ण समर्पण पर यकीन करती थी । वही यशोदा की भक्ति वात्सल्य प्रकृति की थी ।

 

कृष्ण के मामले में यशोदा सदा अपने पति नन्द को सफलता पूर्वक प्रभावित करती थी ।नन्द और यशोदा को जो पारिवारिक नेतृत्व प्राप्त हुआ उसमें कृष्ण हमेशा शामिल रहे ।आचार्य मधुकर ने बताया कि कृष्ण की पत्नी रुक्मिणी ने परिवार की छवि को और अधिक तेजस्विता प्रदान की क्योंकि उन्होंने परिवार प्रशासन को पूर्ण रूपेण एकीकृत और पारदर्शी बना दिया ।

 

उन्होंने बताया कि रुक्मिणी द्वारका में कृष्ण के सामुदायिक नेतृत्व में  सहयोग किया ।जब भी कृष्ण किसी सामाजिक व राजनैतिक उद्देश्य से द्वारिका से बाहर जाते थे,तब रुक्मिणी परिवार से सम्बंधित उत्तरदायित्व का निर्वहन करती थी । सबसे महत्वपूर्ण कार्य था कृष्ण के पत्नियों को खुश रखना ,परन्तु वे सभी बहनों की तरह रुक्मिणी के नेतृत्व में खुश रहती थी ।

महाराज ने बताया कि कृष्ण ने कुंती का पथ प्रदर्शन कठिन परिस्थितियों में भी किया ताकि वे अपने पुत्रों का ममतावश ही नहीं तार्किक दृष्टिकोण से भी नेतृत्व कर सके ।उन्होंने बताया कि महाभारत में सबसे अधिक तेजस्वी,विजयपरक महिला नेतृत्व द्रौपदी का था ।उसका भी एक नाम कृष्ण था ।उसका जन्म द्रुपद के यहाँ एक विशिष्ट यज्ञ द्वारा हुआ था ।

उन्होंने ने कहा कि  द्रौपदी ने कृष्ण के क्षत्रिय धर्म को मूर्त रूप देते हुए पांडवों की इच्छा शक्ति को प्रज्वलित रखा ताकि वे अपने अंतिम लक्ष्य को हासिल कर सके । इस प्रकार कृष्ण ने महाभारत के पात्रों की तमाम महिलाओं को नेतृत्व करने का अवसर दिया है  तथा महिला शसक्तीकरण का  कोई वास्तविक जनक है तो वह भगवान श्री कृष्ण ।

उन्होंने बताया कि श्री कृष्ण प्रकृति प्रेमी थे उनका जीवन दर्शन अनेक बुराईयों व बीमारियों से लड़ने का सीख देता है तथा कोरोना हो या कोई असाध्य बीमारी इनके बताये रास्ते पर चलने से स्वतः समाप्त हो जाते है । उन्होंने भक्तों से कोरोना जैसे महामारी से लड़ने का संदेश दिया तथा सबको संयमित जीवन जीने ,सात्विक आहार लेने व सफाई पर ध्यान देने का सुझाव दिया ।

इस मौके बृजनन्दन सिंह, प्रशांत कुमार,तेजनारायण सिंह ,महाराजा सिंह आदि उपस्थित थे ।

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