सीवान डीईओ मिथिलेश कुमार डीपीओ औरंगाबाद रहने के दौरान भी लगे है भ्रष्‍टाचार के गंभीर आरोप

सीवान डीईओ मिथिलेश कुमार डीपीओ औरंगाबाद रहने के दौरान भी लगे है भ्रष्‍टाचार के गंभीर आरोप

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औरंगाबाद के तत्कालीन जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल ने निगरानी विभाग के आरक्षी अधीक्षक और शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव पत्र लिख कर निगरानी विभाग, आर्थिक अपराध इकाई तथा शिक्षा विभाग की राज्य स्तरीय अधिकारियों से जाँच करने की किया था अनुशंसा

मिथिलेश कुमार का भ्रष्‍टाचार से चोली दामन का है रिश्‍ता

भ्रष्‍टाचार के कई संगीन मामले होने के बाद सरकार अभ तक नहीं किया कार्रवाई

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

बिहार प्रदेश के सीवान में जिला शिक्षा पदाधिकारी के सिवान स्थित आवास-कार्यालय और पटना आवास पर निगरानी की छह सदस्यीय टीम छापेमारी कर रही है।निगरानी डीएसपी अभय कुमार रंजन के मीडिया को  बताया कि निगरानी थाना कांड संख्या 36/2023 के आधार पर गोपनीय जाँच में आय से अधिक संपत्ति का अनुमान था।इसी पर निगरानी विभाग की छह सदस्यीय टीम ने सुबह 9 बजे से सिवान स्थित इनके आवास, कार्यालय और पटना स्थित आवास छापेमारी की है,जो कि अभी चल रही है।

सिवान स्थित आवास से 14 लाख रूपये नगद बरामद हुए हैं।सिवान स्थित कार्यालय और आवास से कोई कागजात बरामद नहीं हुआ है।पटना स्थित आवास पर छापेमारी चल रही है।अभी इनको गिरफ्तार नहीं किया गया है।

सीवान आए छह सदस्यीय टीम में निगरानी डीएसपी आदित्य राज, डीएसपी गोपाल कृष्ण, इंस्पेक्टर विंध्याचल,सब इंस्पेक्टर देवीलाल श्रीवास्तव तथा महिला एस आई रेणु देवी शामिल हैं।

पूर्व में इनके ऊपर औरंगाबाद में डीपीओ रहते हुए अनुमंडल पदाधिकारी आशीष कुमार सिन्हा (वरीय उप समाहर्ता) औरंगाबाद, जिला परिवहन पदाधिकारी अनिल कुमार सिन्हा औरंगाबाद तथा वरीय उप समाहर्ता फतेह फयाज की तीन सदस्यीय जिला स्तरीय टीम ने अपनी जाँच रिपोर्ट वहाँ के समाहर्ता को समर्पित की थी।

सिवान में भी पूर्व डीएम अमित कुमार पांडेय ने भी इनके खिलाफ जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी विपिन राय से इनके खिलाफ जाँच कर अपनी रिपोर्ट समर्पित की थी।

औरंगाबाद में इनके ऊपर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और निष्ठा प्रशिक्षण में प्राप्त पांच करोड़ की राशि का 50% बतौर रिश्वत रखने और शेष राशि स्थानीय आयोजकों को लूट की छूट देने, मुख्यालय से प्राप्त वेतन की राशि से एरियर देने, विद्यालय मे विद्युतीकरण  नहीं कराने,आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने,145 फर्जी शिक्षकों के नियोजन में भूमिका होने,रंगदारी कर अवैज्ञानिक संपत्ति अर्जित करने,घूसखोरी के चक्कर में नियमित वेतन को अवरुद्ध कर शिक्षक को प्रताड़ित करने , वहाँ के लिपिक के विजय कुमार गुप्ता के माध्यम से रिश्वत मांगने का आडियो वायरल होने आदि की शिकायत पर जाँच हुई थी।

इसकी जाँच रिपोर्ट को औरंगाबाद के तत्कालीन जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल ने निगरानी विभाग के आरक्षी अधीक्षक और शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव पत्र लिख कर निगरानी विभाग, आर्थिक अपराध इकाई तथा शिक्षा विभाग की राज्य स्तरीय अधिकारियों से जाँच करने की अनुशंसा की थी।

यही नहीं शिक्षक के बकाया वेतन विवाद में एक शिक्षक सुधीर कुमार को प्रथम मंजिल से नीचे फेंकने का आरोप भी लगा था।जिसमें इनके और इनके लिपिक के ऊपर हत्या के प्रयास का केस भी दर्ज हो चुका है।

यही नहीं औरंगाबाद में डीपीओ रहने के दौरान बिहार के जाने-माने आरटीआई कार्यकर्ता शिवप्रकाश राय ने शिक्षा विभाग के एक अधिकारी मिथिलेश कुमार के खिलाफ साक्ष्य के साथ लगाये गए आरोपों की जांच के लिए मुख्यमंत्री,शिक्षामंत्री व अन्य अधिकारियों को पत्र लिखा है।

उन्होंने कहा है कि औरंगाबाद के तत्कालीन डीपीओ मिथिलेश कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्य कर बनाये गए अकूत संपत्ति के खिलाफ जांच के लिए आर्थिक अपराध इकाई, निगरानी अन्वेषण ब्यूरो, निगरानी विभाग, विशेष निगरानी इकाई और उनके अधिकारियों को पूरे प्रमाण के साथ आवेदन दिया गया।

साक्ष्य में यह उल्लेख किया गया कि शिक्षा विभाग के अधिकारी मिथिलेश कुमार भ्रष्टाचार, वित्तीय अनियमितता तथा आय से अधिक कई गुणा अकूत अवैध संपत्ति अर्जित करने की शिकायत थी। इसकी प्रतिलिपि विभागीय वरीय अधिकारियों को भी दी गई थी पर व्यवस्था की जड़ता इतनी अधिक है कि इसमें गति उत्पन्न हो हुई और सिवान में भी इनके ऊपर जाँच बैठी।लेकिन कथित सुशासनी सरकार ने ऐसे अधिकारियों को बर्खास्त करने के बावजूद जिला शिक्षा पदाधिकारी का पद देकर सम्मानित करती रही।

हमारे विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार सिवान में भी अमान्य संस्था पर कार्यरत शिक्षको को हटाने की बजाय कमीशन के खेल में बिना जाँच-पड़ताल, बिना नोट शीट के अगस्त 2022 से स्थगित वेतन को एरियर सहित भुगतान करने, थर्ड पार्टी के नाम से कंप्लेन करा कर उगाही करने, घटिया बेंच स्वयं भेजवा कर प्रधानाध्यापकों से दबाव देकर चेक कटवा लेना प्राय: करते है।  विद्यालयों में घटिया फर्स्ट एड किट और खेलो इंडिया किट आपूर्ति कराने,आउटसोर्सिंग में वसूली करने संबंधित मामले को लेकर, प्राधिकार से गलत तरीके से बहाल लोगों के खिलाफ राज्य प्राधिकरण और हाईकोर्ट में अपील की बजाय वेतन भुगतान पर जोर देने संबंधित आरोप लगाया गया है।अब देखते हैं कि सुशासन की सरकार कहाँ तक ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कारवाई करती है।

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