मौसम पूर्वानुमान में सीवान के लाल का कमाल
सीवान के डॉक्टर अतुल सहाय ने मौसम की दो से चार सप्ताह पूर्व सटीक अनुमान लगानेवाले मॉडल को किया तैयार
शोध से मौसम और जलवायु की गंभीर गुत्थियां सुलझाने वाले सिवान के लाल डॉक्टर अतुल सहाय ने हासिल की है प्रतिष्ठापूर्ण उपलब्धि
मौसम और जलवायु के अनुसंधान में वरिष्ठतम वैज्ञानिक डॉक्टर अतुल सहाय की मेधा का लोहा माना अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय ने
सीवान के मूल निवासी वरिष्ठतम मौसम वैज्ञानिक डॉक्टर अतुल सहाय पर विशेष आलेख
लेखक,: गणेश दत्त पाठक (वरिष्ठ पत्रकार)
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
सीवान मेधा की धरती रही हैं। डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद से लेकर सत्येंद्र दुबे तक ने अपने मेधा के माध्यम से विशेष तौर पर एक छाप छोड़ी। यहां हम एक ऐसे विभूति की बात करने जा रहे हैं, जो अपने शोध और अनुसंधान के बदौलत भारतीय मौसम और जलवायु परिवर्तन की गुत्थियों को सुलझाने में रत रहे हैं। जिन्होंने भारतीय मौसम वैज्ञानिकों के लिए सबसे महत्वपूर्ण चुनौती में शुमार मौसम पूर्वानुमान के लिए मॉडल निर्माण में सक्रिय भागीदारी निभाकर सिवान का नाम अंतराष्ट्रीय पटल पर रोशन कर दिया है। ग्रामीण परिवेश से निकल कर देश के वरिष्ठतम वैज्ञानिक तक का उनका सफर बेमिसाल हैं, प्रेरणा का स्रोत हैं, जीवटता की बानगी हैं, अथक परिश्रम की कहानी है, हौसले की दास्तां है । हम बात कर रहे हैं इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटीरोलॉजी, पुणे के वरिष्ठतम वैज्ञानिक डॉक्टर अतुल सहाय के बारे में। डॉक्टर अतुल सहाय ने अपनी विलक्षण प्रतिभा से देश ही नहीं अंतराष्ट्रीय वैज्ञानिक जगत को भी प्रभावित किया है।
मौसम के सटीक पूर्वानुमान के मॉडल निर्माण में रही भागीदारी
भारत में मौसम का पूर्वानुमान भारतीय वैज्ञानिकों की बड़ी चुनौती रही हैं। डॉक्टर अतुल सहाय ने देश के मौसम के दो से चार सप्ताह पूर्व सटीक आकलन के लिए विशेष मॉडल के निर्माण में सहभागिता निभाई हैं। यह मॉडल अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा हासिल कर चुका है तथा दक्षिण एशिया के लिए बेहद सटीक साबित हो चुका हैं। इससे अत्यधिक बारिश, लू तथा शीतलहर, चक्रवात जनन,अत्यधिक अंतराल पर बारिश का पूर्वानुमान संभव हो पाया हैं। इससे कृषि, स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन में विशेष सहायता प्राप्त होने की उम्मीद जताई जा रही हैं। सिवान के लाल की इस महान उपलब्धि ने सिवान को गौरांवित होने का सुअवसर प्रदान कर दिया हैं।
शुरुआती परिस्थितियां नहीं रही अनुकूल
डॉक्टर अतुल सहाय का जन्म सिवान जिले के जीरादेई प्रखंड के रुइया बंगरा गांव में प्रतिष्ठित सहाय परिवार में हुआ। पिता स्वर्गीय अंबिका चरण सहाय के पुत्र डॉक्टर अतुल सहाय को सादगी, संवेदना और सरलता विरासत में मिली, जो देश के शीर्ष स्तर के वैज्ञानिक होने के बावजूद आज भी यथावत हैं। शुरुआती दिनों में इन्हें जिंदगी ने संघर्ष की jपरिस्थितियां दी लेकिन मेधा इनका उत्साहवर्धन करती रही और दृढ़ इच्छाशक्ति इनका मार्गदर्शन। पैतृक गांव रुइया बंगरा से सातवीं तक की पढ़ाई कर आपने राष्ट्रीय ग्रामीण छात्रवृत्ति प्राप्त कर नवगठित सीवान जिले के डीएवी स्कूल से उच्च माध्यमिक स्तर पर अध्ययन किया। परिस्थितियों के अनुकूल नहीं होने पर भी इन्होंने कभी हार नहीं मानी बल्कि उत्साह और उमंग के साथ परिस्थितियों के साथ सामंजस्य बनाते हुए सफलता की एक शानदार दास्तां लिख डाली।
इलाहाबाद से मिलना शुरू हुआ डॉक्टर अतुल सहाय की प्रतिभा को संबल
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमएससी, पीएचडी करने के सफर तक गणित के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एचसी खरे ने इनकी प्रतिभा को पहचाना और स्नेहिल मार्गदर्शन प्रदान किया। इलाहाबाद डिग्री कॉलेज में प्राध्यापक की सेवा प्रदान करने के साथ इन्होंने आईआईटीएम, पुणे में वरिष्ठ वैज्ञानिक के तौर पर सेवा दी। अब तक वे राष्ट्रीय स्तर पर कई विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों को मार्गदर्शन भी प्रदान कर चुके हैं। इनके मार्गदर्शन प्राप्त कई शोधार्थी ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अमेरिका, एशियाई देशों में सफलता का परचम लहरा रहे हैं।
मानसून पर विशेष अनुसंधान में भूमिका
भारतीय कृषि मानसून के साथ जुआ कही जाती रही है तो मानसून की गुत्थी बाज्ञानिकों के लिए गंभीर मसला रही है। डॉक्टर अतुल सहाय भारतीय वैज्ञानिकों के उस समूह के प्रतिष्ठित सदस्य रहे हैं, जो मानसून की अनिश्चितताओं को समझने के लिए कठिन परिश्रम कर रहा हैं।
जलवायु परिवर्तन पर शोध में सहभागी
जलवायु परिवर्तन वर्तमान की सबसे बड़ी चुनौती हैं। इसके कारण और प्रभावों पर मंथन वैज्ञानिकों के लिए बेहद श्रम साध्य काम रहा है। डॉक्टर अतुल सहाय भी आईआईटीएम, पुणे के वरिष्ठ वैज्ञानिक के तौर पर जलवायु परिवर्तन की गुत्थियों को सुलझाने के लिए अथक परिश्रम करते रहे हैं।
विश्व मौसम संगठन में भी रही भूमिका
विश्व स्तरीय मौसम और जलवायु के मिजाज पर शोध के संदर्भ में डॉक्टर अतुल सहाय विश्व मौसम संगठन के कोर टीम का हिस्सा रहे। डॉक्टर अतुल सहाय विश्व मौसम संगठन के साइंटिफिक स्टीयरिंग कमिटी के वरिष्ठ सदस्य भी रहे। विश्वभर के मौसम वैज्ञानिकों के साथ अनुसंधान कर मौसम और जलवायु की उलझनों को सुलझाने के लिए विशेष तौर पर प्रयास करते रहे।
शोध पत्रों और वेबिनार से शोध का प्रचार प्रसार
अपने तकरीबन 200 शोध पत्रों के विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक आयोजनों में प्रकाशन के साथ वे अपने अनुसंधान को शोधार्थियों तक पहुंचाते रहे हैं। हाल के दिनों में महामारी जनित बाधाओं के बीच समय समय पर वेबिनारों के माध्यम से भी वैज्ञानिक तथ्यों को सर्वत्र पहुंचाते रहे हैं। यू ट्यूब पर उनके वेबिनार के वीडियो मौसम संबंधी जानकारियों का खजाना है।
सम्मान और अवार्ड से मेधा को मिलती रही प्रतिष्ठा
डॉक्टर अतुल सहाय के मौसम और जलवायु के क्षेत्र में अनुसंधान के महान कृतित्व को देखते हुए विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने मानद पद प्रदान किए तो कई अवार्ड्स और सम्मान भी इन्हे मिले। डॉक्टर सहाय को इंडियन meteorology सोसायटी ने अपना उपाध्यक्ष, चेयरमैन बनाया तो आईआईटीएम, पुणे ने गोल्डन और सिल्वर जुबली अवार्ड्स से नवाज। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने सर्टिफिकेट ऑफ़ मेरिट प्रदान किया। इंडियन मैथमेटिकल सोसायटी और नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज ने भी डॉक्टर सहाय के मेधा को सम्मानित करने के लिए तमाम जतन किए। ब्राजील की मौसम सोसायटी ने भी इन्हें सम्मानित किया है।
सिवान के महान बौद्धिक विभूति डॉक्टर अतुल सहाय की वैज्ञानिक उपलब्धियां इतनी हैं कि आराम से एक पुस्तक लिखी जा सकती हैं लेकिन डॉक्टर सहाय का व्यक्तित्व इतना सरल हैं कि इस महान व्यक्तित्व के समक्ष आप उनकी सहजता से भ्रमित हो जाएंगे। सिवान और बिहार के छात्रों को डॉक्टर अतुल सहाय से प्रेरणा लेकर मनोयोग से अपने कर्तव्य पथ पर समर्पित प्रयास करना चाहिए ताकि सिवान और बिहार का नाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रौशन हो सके।
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