संसार में व्याप्त अधर्म का विनाश करने के लिए ही ईश्वर का होता है अवतार

संसार में व्याप्त अधर्म का विनाश करने के लिए ही ईश्वर का होता है अवतार
श्रीनारद मीडिया, सीवान(बिहार):

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पार्वती जी भगवान शंकर से पूछती हैं कि राम तो ब्रह्म हैं. फिर अवतार क्यों लेते हैं? भगवान शंकर ने मां पार्वती को बताया का परमात्मा के अवतार के कारण परमात्मा की इच्छा है। ये बातें सुप्रसिद्ध श्रीराम कथा वाचक डॉ रमाशंकर नाथ दास जी महाराज नें कहीं। श्री महाराज ने जिले के बड़हरिया प्रखंड के गिरिधरपुर गांव में चल रहे श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन श्रीराम जन्म महोत्सव में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह जीव जगत में आता है। वह अपने पूर्व जन्म के कर्म के और वासना के अनुसार शरीर धारण कर आता है ।

ईश्वर जगत में आते हैं तो वे किसी कर्म या वासना के अधीन होकर नहीं,अपितु स्वेच्छा से आते हैं।परमात्मा के अवतार के कारण धर्म की रक्षा व अधर्म के विनाश के लिए होता है।परमात्मा तो लीला करने के लिए ही पधारते हैं। भक्तों को परम आनन्द दान करने के लिए परमात्मा जगत में पधारते हैं। प्रभु के द्वारपाल जय विजय सनत्कुमारों के शाप लगने से रावण और कुम्भकर्ण हुए थे । उनका उधार करने राम जी पधारे ।

स्वायम्भुवमनु और रानी सतरूपा ने अनेको वर्षों तक तपस्चर्या की उनके घर पुत्र के रूप में पधारने का प्रभु ने वरदान दिया । मनु महाराज और शतरूपा ने दशरथ कौशिल्या के रूप में जन्म लियस और इस प्रकार प्रभु श्रीराम होकर उनके घर पधारे।

श्री महाराज ने कहा कि एक समय नारदजी ने आदि नारायण परमात्मा को शाप दिया था । वह शाप सत्य करने के लिए प्रभु पधारे थे। श्रीधर स्वामी भागवत के प्रखर टीकाकार हैं। जय विजय के प्रसंग के विषय में लिखते हैं कि परमात्मा की इच्छा हुई कि हमें रमण करना है,लीला करनी है। परमात्मा की प्रत्येक लीला जीव के कल्याण के लिए है और इसलिये जीव के कल्याण करने के लिये जीव के ऊपर कृपा करके भगवान लीला करते है।जहां काम नही क्रोध नही शोक नही लोभ नही रजोगुण तमोगुण नहीं। जहां केवल सतगुण है, वहीं बैकुंठ है।

मौके पर बीजेपी नेता अनुरंजन मिश्र ने कथा की सार्थकता बताते हुए कहा कि श्रीराम कथा से मन का अंधकार दूर होता है। कथा का श्रद्धापूर्वक श्रवण से मन का विकार मिटता है और मन तृप्त होने के साथ पुण्य की प्राप्ति होती है। वृंदावन से पधारे परम् संत श्री श्रीनाथ दास जी महाराज,भाजपा नेता अनुरंजन मिश्र,परमेशर कुशवाहा, उपेंद्र गिरी,अभय भारती, सुजीत कुमार डबलू,अमित कुमार सिंह,डॉ सतेंद्र गिरि, युवा कथावाचक सुशील विनायक सूर्यवंशी के अलावे काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

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