सीवान के लाल मनोज भावुक को भारतीय भाषा सम्मान 2025 से सम्मानित किया गया

सीवान के लाल मनोज भावुक को भारतीय भाषा सम्मान 2025 से सम्मानित किया गया

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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तमिल, तेलुगु, मलयालम, गुजराती, मराठी, पंजाबी, सिंधी, संस्कृत, ओड़िया, असमिया, नेपाली, बंगाली आदि भाषा के साथ भोजपुरी भी सम्मानित.

हिन्दुस्थान समाचार द्वारा महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी के गाँधी अध्ययन पीठ सभागार में आयोजित “भारतीय भाषा समागम-2025″ में भोजपुरी भाषा के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए मनोज भावुक को भारतीय भाषा सम्मान- 2025 से सम्मानित किया गया.

उन्हें सम्मान प्रदान किया कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मा. उपराज्यपाल, जम्मू-काश्मीर मनोज सिन्हा, हिन्दुस्थान समाचार समूह के अध्यक्ष अरविंद भालचंद्र मार्डीकर और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक अतुल भाई कोठारी ने.

सभा को संबोधित करते उपराज्यपाल ने कहा कि ” भाषा केवल संवाद का साधन नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक चेतना की आत्मा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि मातृभाषा के उपयोग से शिक्षा और प्रशासन में पारदर्शिता और सहजता बढ़ रही है। आने वाले समय में स्वभाषा ही आत्मनिर्भर भारत की कुंजी बनेगी।”
वहीं आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल बाई कोठारी ने कहा कि मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं.

इस मौक़े पर मनोज भावुक ने मीडिया से कहा, ” हमारी मातृभाषा भोजपुरी अपना हक़ और सम्मान चाहती है. जैसे हिन्दुस्थान समाचार समूह ने इस भाषा को सम्मान दिया है, देश की सरकार भी सम्मान दे और इस भाषा को 8वीं अनुसूची में यथा शीघ्र शामिल किया जाय. भोजपुरी के सम्मान के लिए मै हिन्दुस्थान समाचार समूह के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ. ‘’गौरतलब है कि इस समय मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम के काशी दौरे और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेजबानी में पूरा काशी भोजपुरीमय है. यहाँ तक कि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता भी हिंदी या अंग्रेजी के बजाय भोजपुरी में ब्रीफिंग दे रहे है तो भोजपुरी की अहमियत को समझा जा सकता है.

इस वर्ष यानी 2025 के लिए जिन साहित्यकारों को भारतीय भाषा सम्मान प्रदान किया गया, वे हैं- डॉ. मोतीलाल गुप्ता आदित्य (हिंदी), मनोज भावुक (भोजपुरी), डॉ. अनिल काशीनाथ सर्जे (मराठी), डॉ. एम संतोष कुमार (तमिल), डॉ. कुलदीप सिंह (पंजाबी), डॉ. सी शिवकुमार स्वामी (कन्नड़), प्रो. देबाशीष पात्र (ओड़िया), प्रो. बी विश्वनाथ (तेलुगु), प्रो. बृजभूषण ओझा (संस्कृत), बिनायक बनर्जीं (बंगाली), डॉ. भाग्येश वासुदेव झा (गुजराती ), डॉ. प्रेमराज नूपाने (नेपाली), डॉ. बिकास ज्योति बोरठाकुर (असमिया ), डॉ. शिवानी बी (मलयालम), डॉ. तेनजिन नीमा नेगी (तिब्बती भाषा), डॉ. रामकिशोर झा (मैथिली) और सुन्दर दास गोहरानी (सिंधी). इसके अलावा डॉ. शीलवन्त सिंह (सिविल सेवा), डॉ. नीलाक्षी चौधरी (विधि एवं न्याय), डॉ. सौरव राय और संतोष मधुप (पत्रकारिता), नवनीत कुमार सहगल और कार्यक्रम के समन्वयक राजेश तिवारी को भी सम्मानित किया गया.

“पंच प्रण: स्वभाषा और विकसित भारत” विषय पर केंद्रित इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे – प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी (माननीय कुलपति, काशी हिन्दू विश्विद्यालय वाराणसी), प्रो. आनंद कुमार त्यागी ( माननीय कुलपति, काशी विद्यापीठ वाराणसी), प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी ( माननीय कुलपति, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली) और डॉ. नीलकंठ तिवारी (पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार).

इस अवसर पर ‘युगवार्ता’ ( संपादक संजीव कुमार) और ‘नवोत्थान’ ( संपादक बद्रीनाथ वर्मा ) का लोकार्पण भी किया गया.हिन्दुस्थान समाचार समूह के निदेशक प्रदीप मधोक ‘ बाबा ने स्वागत और हिन्दुस्थान समाचार के संपादक जीतेन्द्र तिवारी ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया. कार्यक्रम का शुभारंभ संगीतकार डॉ. सुरेंद्र कुमार के गायन से हुआ.

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