सोशल मीडिया बैन के विरोध का नेतृत्व सुदन गुरुंग ने किया,कैसे?

सोशल मीडिया बैन के विरोध का नेतृत्व सुदन गुरुंग ने किया,कैसे?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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नेपाल में लाखों युवा सड़कों पर उतर आए थे। युवाओं का गुस्सा वैसे सोशल मीडिया को बैन करने वाले नेपाल सरकार के हालिया फैसले को लेकर भड़का था, लेकिन इस आंदोलन की इबारत काफी समय पहले लिख दी गई थी। नेपाल के Gen-Z आंदोलन के पीछे सिर्फ एक चेहरा था- सुदन गुरुंग। सुदन गुरुंग की एक आवाज पर ही नेपाल के लाखों युवाओं ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। इन प्रदर्शनों में 20 लोग मारे गए, जबकि 200 से अधिक घायल हुए। लेकिन नेपाल के युवा अपनी मांगों से तस से मस नहीं हुए। पहले नेपाल के गृहमंत्री, फिर कृषि मंत्री और फिर स्वास्थ्य मंत्री ने इस्तीफा दे दिया।

हामी नेपाल ने युवाओं को एकजुट किया

नेपाल में पहले से ही सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार, आर्थिक असमानता और कुप्रशासन के खिलाफ गुस्सा भरा हुआ था। इस गुस्से की आग में घी डालने का काम सरकार के सोशल मीडिया को बैन करने वाले फैसले ने लिया। सुदन गुरुंग ने नेपाल के युवाओं को एक मंच पर लाने की कोशिश की। सुदन का संगठन हामी नेपाल वैसे तो खुद को गैर-लाभकारी संगठन बताता है, लेकिन Gen-Z आंदोलन के पीछे इस संगठन की बड़ी भूमिका है।

सुदन गुरंग पहले इवेंट मैनेजमेंट का काम करते थे। जिंदगी पार्टियों के इर्द-गिर्द घूमती थी। लेकिन 2015 में नेपाल में आए भूकंप ने उनकी जिंदगी बदल दी। सुदन गुरुंग ने मानवता के कामों में खुद को झोंक दिया और हामी नेपाल की स्थापना की। अब सुदन गुरुंग एक एक्टिविस्ट बन चुके थे। उनका संगठन 2015 से ही सक्रिय था, लेकिन 2020 में इसका रजिस्ट्रेशन हुआ।

सुदन गुरुंग बने युवाओं की आवाज

हामी नेपाल ने अपने देश के युवाओं की आवाज को अपना मुद्दा बनाया और सीधे उनके दिल तक पहुंच बनाई। सुदन गुरुंग ने नेपो बेबीज और देश के कुलीन वर्ग को निशाने पर लिया। 8 सितंबर के आंदोलन के लिए आह्वान करते हुए सुदन गुरुंग ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट पर लिखा, ‘भाइयों और बहनों। 8 सितंबर वो दिन है, जब नेपाल के युवा उठेंगे और कहेंगे कि अब पर्याप्त हो गया। ये हमारा समय है, हमारी लड़ाई है और ये हम युवाओं से ही शुरू होगी।’

पोस्ट में लिखा था, ‘हम अपनी आवाज उठाएंगे, मुट्ठियां भीचेंगे, हम एकता की ताकत दिखाएंगे, उनको अपनी शक्ति दिखाएंगे जो नहीं झुकने का दंभ भरते हैं।’ इस पोस्ट ने नेपाल के युवाओं में जोश भर दिया और 8 सितंबर को युवाओं ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने वीपीएन का इस्तेमाल करके को-ऑर्डिनेट किया और अपनी आवाज को ओली सरकार के सामने बेबाकी से रखा।

महंत ठाकुर की अगुआई वाली नेपाल की डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट पार्टी से संबद्ध एक युवा संगठन ने नेपाल-चीन सीमा पर अपने देश की जमीन का बीजिंग द्वारा अतिक्रमण करने के खिलाफ काठमांडू में प्रदर्शन किया। डेमोक्रेटिक यूथ एसोसिएशन के करीब 200 सदस्यों ने ध्वोज मान मोक्तान के नेतृत्व में काठमांडू शहर के बीचोंबीच मैतीघर मंडाला में प्रदर्शन किया और पोस्टर लहराए। पोस्टर पर लिखा था ‘हमारी कब्जाई जमीन लौटा दो’।प्रदर्शनकारियों ने यह मांग भी उठाई कि नेपाल-चीन सीमा पर लीमी लापचा से हुमला जिले में हिल्सा तक चीन द्वारा भूमि अतिक्रमण का अध्ययन करने के लिए बनाई गई समिति की रिपोर्ट सरकार को सार्वजनिक करनी चाहिए।

प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के नेतृत्व वाली सरकार ने हाल में समिति का गठन किया था। हालांकि सरकार ने अभी तक रिपोर्ट जारी नहीं की है।खबरों के अनुसार, चीन ने नेपाल की जमीन पर कब्जा कर लिया है और पिछले साल हुमला में नौ इमारतों का निर्माण किया। चीन के दूतावास ने हाल में एक बयान जारी कर दावा किया था कि नेपाल और चीन के बीच कोई सीमा समस्या नहीं है।

चीन ने नेपाल सीमा में दिया है दखल

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से मात्र 147 किमी दूर नेपाल के हुमला जिले में चीन की ओर से किया गया अतिक्रमण जांच में सामने आ गया है। रविवार को नेपाली जांच दल के प्रमुख समन्वयक गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव जयनारायण आचार्य ने गृह सचिव टेकनारायण पांडेय को जांच रिपोर्ट सौंप दी है। इसे अब सरकार सदन में रखकर नए सिरे से सीमांकन करा चीन को सीमा से बाहर करने का प्रयास करेगी।

जांच रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि हुमला जिले में चीन की ओर से दखल दिया गया है। समिति ने यहां नामखा ग्राम नगर पालिका से लिमी, लापसा व हिल्ल तक की सीमा के नए सिरे से अध्ययन की सिफारिश भी की है। असल में पिथौरागढ़ में लिपुलेख-गर्बाधार मार्ग के निर्माण के समय चीन समर्थित नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भारत पर अतिक्रमण का आरोप लगाया और पूरे देश का ध्यान पिथौरागढ़ से लगती सीमा पर केंद्रित कर दिया।

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