सुप्रीम कोर्ट ने उदयपुर फाइल्स फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने से किया इनकार
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने उदयपुर फाइल्स फिल्म की रिलीज पर तत्काल कोई रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इस फिल्म में राजस्थान के उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल की 2022 में हुई नृशंस हत्या को नाटकीय रूप से दिखाने का दावा किया गया है। शीर्ष अदालत ने सभी संबंधित पक्षों को दिल्ली उच्च न्यायालय जाने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा कि वह आगामी सोमवार यानी 28 जुलाई को मामले की सुनवाई करे और लंबित याचिकाओं पर फैसला लें।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दर्जी कन्हैया लाल की हत्या पर आधारित हिंदी फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ से संबंधित याचिका के गुण-दोष की जांच करने से इनकार कर दिया. शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाई कोर्ट को निर्देश दिया कि वह 28 जुलाई को दुनिया भर के सिनेमाघरों में इस फिल्म को रिलीज करने की केंद्र की मंजूरी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करे. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने फिल्म की रिलीज पर कोई रोक नहीं लगाई है.
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के बाद उदयपुर फाइल्स के निर्देशक भरत श्रीनेत ने घोषणा की कि फिल्म 8 अगस्त, 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज होगी. राजस्थान के उदयपुर में 2022 में हुई दर्जी कन्हैया लाल हत्याकांड पर आधारित यह फिल्म विवादों के कारण चर्चा में रही है. इससे पहले निर्देशक भरत श्रीनेत ने बताया था कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) ने फिल्म में 150 कट लगाए हैं. कानूनी पचड़ों के कारण, उदयपुर फाइल्स 11 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज नहीं हो पाई.
फिल्म में विजय राज ने दर्जी कन्हैया लाल की भूमिका निभाई है और अमित जानी इसके प्रोड्यूसर हैं. निर्देशक भरत श्रीनेत ने कहा, ‘हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं और 8 अगस्त को फिल्म रिलीज करने के लिए तैयार हैं. जानी फायरफॉक्स फिल्म्स 8 अगस्त को उदयपुर फाइल्स का प्रमोशन शुरू करने और दुनिया भर में रिलीज करने जा रही है. सच्चाई की हमेशा जीत होती है.’
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अरशद मदनी और अन्य द्वारा केंद्र के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें 6 अतिरिक्त कट लगाने के सुझाव के बाद फिल्म की रिलीज को मंजूरी दी गई थी. पीठ ने यह भी कहा कि केंद्र की हाई पावर कमिटी द्वारा फिल्म का रिव्यू करने के निर्णय के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ फिल्म निर्माताओं की याचिका निरर्थक हो गई है.
सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने निर्माता के वकील से कहा, इन सभी विवादों ने फिल्म को अच्छी पब्लिसिटी दिलाई है.
जितनी ज़्यादा पब्लिसिटी होगी, उतने ज्यादा लोग देखेंगे. मुझे नहीं लगता कि आपको नुकसान होगा. दरअसल निर्माता की ओर से गौरव भाटिया ने कहा था कि सेंसर बोर्ड और सरकार की मंजूरी के बावजूद मेरा सारा जीवन भर का निवेश बर्बाद हो गया.जस्टिस कांत ने कहा कि हम कोई स्थगनादेश नहीं दे रहे हैं, इस पर हाईकोर्ट विचार करेगा.
सिब्बल-फिल्म को अभी इस रूप में प्रदर्शित नहीं किया जा सकता. सोमवार को हाईकोर्ट में इसकी मेरिट पर सुनवाई होनी है.गौरव भाटिया ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कृपया ये चार फैसले देखें, जिनमें सुप्रीम कोर्ट ने स्टे हटाया है. अदालत को क्यों इस पर स्थगनादेश प्रदान करना चाहिए, इस पर वो हाईकोर्ट में बहस कर स्टे प्राप्त कर सकते हैं. मेरे पहले ही 12 दिन बर्बाद हो चुके हैं.
जस्टिस कांत- 12 दिन का कोई नुकसान नहीं हुआ है, जितना कि आपको प्रचार मिला है, जो फिल्म के लिए बेहतर साबित होगा
गौरव भाटिया- फिल्म रिलीज के लिए 1200 स्क्रीन बुक की गई थीं. काफी सारा पैसा लगाया गया. किसी की भावनाएं आहत होंगी, ये कहकर आप अदालत आते हैं और स्टे की मांग करते हैं.
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