सर्वोच्च न्यायालय ने पहलगाम हमले को लेकर याचिकाकर्ता की फटकार लगाई
पेड़ों को काटने की अनुमति के लिए करना होगा आवेदन
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
SC ने वकीलों की आलोचना की
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जांच के लिए न्यायिक आयोग के गठन की मांग करने वाली याचिका दायर करने वाले वकीलों की सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी आलोचना की है। जस्टिस सूर्यकांत और एन. कोटेश्वर सिंह की पीठ ने वकीलों से जिम्मेदार बनने को कहा है। पीठ ने कहा, “जिम्मेदार बनो। देश के प्रति तुम्हारा कुछ कर्तव्य है। क्या यही तरीका है, कृपया ऐसा मत करो। कब से एक एक सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश ऐसे मुद्दों की जांच करने के लिए विशेषज्ञ बन गए हैं?”
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “यह काफी महत्वपूर्ण समय है और देश के हर एक नागरिक ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए हाथ मिलाया है। ऐसी कोई प्रर्थना मत करो जिससे किसी व्यक्ति का मनोबल गिरे। मुद्दे की संवेदनशीलता को देखों।” हालांकि कुछ देर की बहस के बाद वकीलों ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांग ली।
पेड़ों को काटने की अनुमति के लिए करना होगा आवेदन
पेड़ काटने के लिए लेनी होगी अनुमति
जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि ताजमहल के पांच किलोमीटर के भीतर स्थित क्षेत्रों के संबंध में आठ मई 2015 का आदेश लागू रहेगा। ऐसे मामलों में पेड़ों को काटने की अनुमति के लिए आवेदन करना होगा, भले ही पेड़ों की संख्या 50 से कम हो। यह अदालत केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) से सिफारिश मांगेगी और उसके बाद पेड़ों को काटने की अनुमति देने पर विचार करेगी।
पेड़ काटने के लिए माननी होगी ये शर्त
ऐतिहासिक स्मारक से पांच किलोमीटर की दूरी से परे टीटीजेड के भीतर के क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई के लिए सीईसी के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) की पूर्व अनुमति लेनी होगी। अधिकारी उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम के प्रविधानों के तहत निर्णय लेंगे। अदालत ने सीईसी से रिपोर्ट भी मांगी है जिसमें यह बताया जाए कि क्या दो अन्य विश्व धरोहर इमारतों आगरा किला और फतेहपुर सीकरी की सुरक्षा के लिए कोई अतिरिक्त प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।