बिहार में भ्रष्ट अधिकारी पर निगरानी का शिकंजा, पटना और खगड़िया में हुई छापेमारी
श्रीनारद मीडिया, स्टेट डेस्क :
बिहार में बढ़ते भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए निगरानीविभाग ने कार्रवाई तेज कर दी है. निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की टीम ने पटना और खगड़िया में छापेमारी की है. जिस पुलिस अधिकारी के आवास पर छापे मारे गए हैं, वह मद्यनिषेध विभाग में डीएसपी के पद पर तैनात हैं. आय से अधिक संपति का जुड़ा मामला बताया जा रहा है.
भ्रष्ट अधिकारी पर शिकंजा: बुधवार की सुबह पटना मद्यनिषेध विभाग में डीएसपी के पद पर तैनात डीएसपी अभय यादव के घर पर निगरानी की टीम ने दबिश दी है. 11 बजे से ही उनके दोनों आवासों पर छापेमारी चल रही है. किसी को भी डीएसपी के घर आने-जाने की इजाजत नहीं है. छापेमारी को देखते हुए आवास के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात हैं.
खगड़िया आवास पर निगरानी की रेड: शहर के चित्रगुप्त नगर के कृष्णानगर मोहल्ले में डीएसपी अभय कुमार यादव का आवास है. दो घंटे से अधिक समय से निगरानी विभाग की टीम की ओर से छापेमारी जारी है. जिस आलीशान घर में 2 घंटे से भी अधिक समय से छापेमारी चल रही है, वहां बड़ी तादाद में पुलिस बल की तैनाती है.
पटना आवास पर भी निगरानी की रेड: डीएसपी के पटना स्थित आवास पर भी छापेमारी की गई है. स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने प्रेस नोट जारी कर बताया है कि डीएसपी अभय यादव के खिलाफ मामला दर्ज करके यह कार्रवाई की है. विजिलेंस कोर्ट पटना से तलाशी वारंट प्राप्त करने के बाद निगरानी टीम ने उनके दोनों ठिकानों पर छापेमारी शुरू की. मामला भ्रष्टाचार या अनियमित संपत्ति जमा करने से जुड़ा हो सकता है. हालांकि अभी आरोपों की पुष्टि नहीं हुई है.
मद्यनिषेध विभाग में हैं डीएसपी: अभय कुमार यादव मूल रूप से खगड़िया जिले के कृष्णापुरी मोहल्ले के निवासी हैं. वह वर्तमान में डीएसपी पद पर तैनात हैं. उनके खिलाफ विशेष निगरानी इकाई ने धारा 13(1)(बी) और 13(2) सहित भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है.
दस्तावेज के आधार पर होगा एक्शन: छापेमारी के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों और सबूतों की जांच की जाएगी. वहीं अगर आरोप साबित होते हैं तो उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई हो सकती है. निगरानी विभाग की यह कार्रवाई बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे अभियान का हिस्सा मानी जा रही है.
1994 बैच में बने थे दारोगा: आपको याद दिलाएं कि अभय यादव जब लखीसराय के कजरा में दारोगा के रूप में पदस्थापित थे, तब उनका नक्सलियों ने अपहरण कर लिया था. हालांकि काफी मशक्कत के बाद उनको छुड़ाया गया था. अभय यादव 1994 बैच में दारोगा बने थे.
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