भोरे की धरती भोजपुरी आंदोलन कि पहली अलख 1947 में जगाई थी- डॉ जयकांत सिंह ‘जय’।

भोरे की यह धरती भोजपुरी आंदोलन की पहली अलख 1947 जगाई थी- डॉ जयकांत सिंह ‘जय’। भोजपुरी के लिए अमही ग्राम जैसा सभी गांवों में कार्यक्रम होना चाहिए- डॉ कमलेश राय। भोजन के बाद मनुष्य की सबसे बड़ी आवश्यकता संस्कृति है,जिसकी अभिव्यक्ति हमारी माई भाषा में है, वह हमारी भोजपुरी है-सतीश कुमार त्रिपाठी, अध्यक्ष, जय…

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