भाषा को सियासत की बैसाखी की जरूरत नहीं,क्यों?

भाषा को सियासत की बैसाखी की जरूरत नहीं,क्यों? श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM00 आजादी से पहले रोजी-रोटी की तलाश में अपने पूर्वांचल से बंबई पहुंचे। ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे। विरार में ठिकाना बनाया। टोकरी में केले बेचने लगे। मेहनत और लगन ऐसी कि धीरे-धीरे वे केले के बड़े व्यापारी बन…

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