ट्रंप को सेना ने याद दिलाई 54 साल पुरानी बात

ट्रंप को सेना ने याद दिलाई 54 साल पुरानी बात

श्रीनारद मीडिया स्‍टेट डेस्‍क

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार भारत पर टैरिफ लगाने की धमकी दे रहे हैं। इसी बीच सेना ने अमेरिका का असली चेहरा एक बार फिर सबके सामने रख दिया है। आज से ठीक 54 साल पहले अमेरिका पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत के खिलाफ साजिश रच रहा था, जिसका सबूत सेना ने सोशल मीडिया पर साझा किया है।

भारतीय सेना के पूर्वी कमांड ने एक्स पर 54 साल पुरानी अखबार की एक तस्वीर पोस्ट की है, जिसमें बताया गया है कि 1954 से 1971 से बीच अमेरिका ने पाकिस्तान को 2 बिलियन डॉलर (1 लाख करोड़ रुपये) से ज्यादा के हथियार भेजे थे।

सेना ने दिखाई अखबार की कटिंग

सेना के द्वारा शेयर की गई अखबार की यह कटिंग 5 अगस्त 1971 की है। यह सबूत है कि अमेरिका दशकों से पाकिस्तान को हथियार दे रहा था, जिसके दम पर पाकिस्तान भारत से युद्ध की तैयारी कर रहा था। 1965 और 1971 का युद्ध इसी का परिणाम था, जिसका बीज अमेरिका ने दशकों पहले ही बो दिया था।

54 साल पुराना सच

सोशल मीडिया पर यह कटिंग शेयर करते हुए सेना ने कैप्शन में लिखा, “उस साल आज ही के दिन युद्ध की तैयारी चल रही थी – 5 अगस्त 1971” अखबार के इस पन्ने पर तत्कालीन रक्षा राज्य मंत्री वीसी शुक्ला का बयान भी मौजूद है, जिसमें उन्होंने राज्यसभा में कहा था कि बांग्लादेश में भड़के विद्रोह के मद्देनजर नाटो देश और सोवियत संघ से पाकिस्तान को हथियार देने के लिए कहा गया था।

पाकिस्तान पर मेहरबान अमेरिका

अखबार में साफ-साफ लिखा हैकि अमेरिका और चीन ने मिलकर पाकिस्तान को हथियार सप्लाई किए थे, जिनकी मदद से पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ 1971 युद्ध लड़ा था। आज भी अमेरिका पाकिस्तान को टैरिफ की धमकियां नहीं देता। जहां एक तरफ ट्रंप कई देशों पर अंधाधुंध टैरिफ लगा रहे हैं, तो वहीं उन्होंने पाकिस्तान का टैरिफ 29 प्रतिशत से घटाकर 19 प्रतिशत कर दिया है।

ट्रंप की धमकी पर भारत ने दिया जवाब

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को भी धमकी दी है कि अगर हम रूस से तेल खरीदना जारी रखेंगे, तो ट्रंप भारत पर 25 प्रतिशत से भी ज्यादा का टैरिफ लगा देंगे। ट्रंप को जवाब देते हुए भारत ने बताया कि जब हमने रूस से तेल खरीदना शुरू किया था तो अमेरिका ने ही इसे सही ठहराया था। विदेश मंत्रालय ने दो टूक शब्दों में कहा कि भारत को रूस से तेल न खरीदने की हिदायत देने वाले पश्चिमी देश खुद रूस से बड़े पैमाने पर व्यापार करते हैं।

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