योगी के सामने चुनौतियां अनेक, राह नहीं है आसान?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भाजपा नेतृत्व ने योगी आदित्यनाथ को दोबारा प्रदेश की सत्ता सौंपी तो कई नए चेहरों को भी टीम में जगह मिली है। कई मिथक तोड़कर दूसरी बार सरकार बनाने वाली भाजपा ने पिछली सरकार के कई बड़े मंत्रियों को किनारे कर दिया। 22 पुराने मंत्रियों को बदलकर 32 नए चेहरों को लेकर नई सरकार बनाई है। पार्टी के ‘रिपोर्ट कार्ड’ में बेहतर रैंकिंग लाने वाले केशव प्रसाद मौर्य को फिर उपमुख्यमंत्री बनाया गया है तो डा. दिनेश शर्मा के स्थान पर ब्रजेश पाठक को उप मुख्यमंत्री बनाया गया है। मंत्रिमंडल में पिछड़ों पर विशेष प्रेम बरसाते हुए जिस प्रकार हर जाति-वर्गो को साधने का प्रयास दिख रहा है, उससे स्पष्ट है कि अभी से वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव लड़ने की पार्टी ने मजबूत तैयारी शुरू कर दी है।

प्रदेश की राजनीति में 37 वर्षो बाद भाजपा ने लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी का रिकार्ड बनाया तो पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के बाद दोबारा शपथ लेने का इतिहास योगी आदित्यनाथ ने बनाया। समारोह का मंच सजते ही तमाम प्रकार की अटकलों पर भी विराम लग गया। शपथ लेने वाले जब कुर्सियों पर बैठना शुरू हुए तो सभी हतप्रभ रह गए। यद्यपि केशव प्रसाद मौर्य को दोबारा उप मुख्यमंत्री बनाए जाने की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन डा. दिनेश शर्मा को हटाकर यह कुर्सी पिछली सरकार में विधि मंत्री रहे ब्रजेश पाठक को सौंपकर भाजपा ने अचरज में अवश्य डाल दिया।

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प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाया गया तो चुनाव प्रबंधन का मोर्चा संभालने वाले प्रदेश महामंत्री जेपीएस राठौर, बलिया से जीते प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह और पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र कश्यप को अपने वर्ग में काम करने का उपहार मिला है। तीनों को स्वतंत्र प्रभार के साथ राज्यमंत्री बनाया गया है। टीम योगी में सहयोगी दलों का भी ख्याल रखा गया है। अपना दल (एस) के कार्यकारी अध्यक्ष आशीष पटेल और निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. संजय निषाद को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। दूसरे दल से आए राकेश सचान और दिनेश प्रताप सिंह को मंत्री पद दिया गया है। जितिन प्रसाद का कैबिनेट मंत्री का पद बरकरार है तो पिछली सरकार में विधानसभा उपाध्यक्ष बनाए गए नितिन अग्रवाल अब राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाए गए हैं।

दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को बता दिया है कि अगले पांच वर्षो तक उन्हें किस तरह से काम करना है। समय से कार्यालय पहुंचने की हिदायत देते हुए उन्होंने स्पष्ट कहा है कि कोई भी पत्रवली लंबित नहीं रहनी चाहिए। योगी आदित्यनाथ का मानना है कि पहले कार्यकाल में चुनौती कुव्यवस्था से थी। प्रदेश में पिछले पांच वर्षो में सुशासन की स्थापना हुई है। आगामी पांच वर्षो में प्रतिस्पर्धा अपने पहले कार्यकाल के कार्यो से होगी। अब सुशासन को और मजबूत करने के लिए स्वयं से हमारी प्रतिस्पर्धा शुरू होगी। जिलों के नोडल अधिकारी अपने जिले के विकास कार्यो की स्थिति की नियमित समीक्षा करें। प्रभारी मंत्री के साथ प्रत्येक माह जिले का भ्रमण कर योजनाओं का क्रियान्वयन मौके पर परखें और जनता से फीडबैक लेकर अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को दें।

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वर्ष 1985 के बाद योगी आदित्यनाथ प्रदेश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिनके नेतृत्व में पार्टी ने दूसरी बार सत्ता संभाली। यूं तो योगी आदित्यनाथ ने राज्य के 33वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथग्रहण की, लेकिन व्यक्ति के तौर पर यह जिम्मेदारी संभालने वाले वह 22वें व्यक्ति हैं। योगी से पहले एक से अधिक बार मुख्यमंत्री का दायित्व नौ लोगों ने संभाला है।

इस बार का विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी ने योगी आदित्यनाथ को चेहरा बनाकर लड़ा था। भाजपा दो तिहाई बहुमत हासिल करने में सफल रही तो वास्तव में यह सरकार के पिछले पांच वर्ष के काम-काज पर जनता की मुहर है। सत्ता विरोधी लहर का असर नहीं दिखा तो इसका मतलब यह है कि लोगों का विश्वास जीतने में सरकार सफल रही। नई सरकार के सामने अब एक बार फिर पांच साल तक लोगों का यह विश्वास बनाए रखने की चुनौती है। नि:संदेह चुनौतियां बढ़ी हैं। मतदाताओं ने कानून व्यवस्था को समर्थन दिया है, लेकिन अभी और काम करने की जरूरत है। बेसहारा पशुओं के मामले पर भी उसे ज्यादा तेजी से जुटना होगा। नगरीय क्षेत्र में सड़कों की हालत सुधारनी होगी।

 

 

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