देश को मिला दूसरा अंतरिक्ष यात्री?
शुभांशु शुक्ल वायुसेना में ग्रुप कैप्टन हैं
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
मेरिकी वाणिज्यिक स्पेस कंपनी- एक्सिओम (Axiom) अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) के लिए अपना एक्सिओम-4 मिशन लॉन्च कर चुकी है। भारत के शुभांशु शुक्ल पायलट के तौर पर इस मिशन में शामिल हैं। 41 साल बाद भारत का कोई शख्स अंतरिक्ष यात्री बनेगा। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय थे।
कैसे आईएसएस के लिए भेजे जाएंगे अंतरिक्षयात्री?
एक्सिओम-4 मिशन में शामिल अंतरिक्ष यात्री एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स की तरफ से निर्मित ड्रैगन कैप्सूल में बैठाकर रवाना किए जाएंगे। इसे अंतरिक्ष तक पहुंचाने में भी स्पेसएक्स के फैल्कन 9 रॉकेट की सहायता ली जाएगी, जो कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी- नासा का अहम साझेदार बन चुका है।
केप कैनेवरल से बुधवार दोपहर (भारतीय समयानुसार) लॉन्च होने के बाद फैल्कन 9 रॉकेट अंतरिक्ष में पहुंचकर ड्रैगन कैप्सूल से अलग हो जाएगा और अपनी गति के जरिए यह कैप्सूल स्वायत्त तौर पर आईएसएस तक पहुंच जाएगा। अगर स्थितियां सामान्य रहीं तो ड्रैगन कैप्सूल लॉन्च के करीब 28 घंटे बाद 26 जून को आईएसएस पर डॉक हो जाएगा।
एक्सिओम कंपनी को 2016 में नासा से जुड़े रहे दो पूर्व वैज्ञानिकों- माइकल टी. सफ्रेडिनी और कैम गैफेरियन ने ह्यूस्टन से शुरू किया था। इस कंपनी ने अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) में मिशन भेजने का लक्ष्य रखा। इसमें कुछ और निजी कंपनियों और नासा से मदद लेना शुरू किया। इस कंपनी ने कुछ समय बाद अपना एक्सिओम स्टेशन बनाने का भी लक्ष्य रखा है, जो कि आईएसएस के सेवानिवृत्त होने के बाद उसकी जगह ले सकेगा।
एक्सिओम ने अपने स्पेस स्टेशन की लॉन्चिंग 2030 तक करने का लक्ष्य बनाया है। एक्सिओम इससे पहले तीन मिशन्स के जरिए अलग-अलग देशों के यात्रियों को अंतरिक्ष में पहुंचा चुका है। इनमें इस्राइल का पहला एस्ट्रोनॉट और सऊदी अरब का अंतरिक्ष यात्री शामिल है। इसके अलावा इस कंपनी ने यूरोपीय संघ (ईयू) और अमेरिकी एजेंसी नासा के साथ कई अंतरराष्ट्रीय मिशन्स को अंजाम दिया है।
एक्सिओम मिशन क्या है और यह क्यों अहम?
एक्सिओम-4 मिशन एक्सिओम कंपनी का चौथा मानव मिशन है। इसे नासा और स्पेसएक्स की मदद से अंजाम दिया जाएगा। इसके तहत एक्सिओम निजी, वाणिज्यिक स्पेसक्राफ्ट में चार अंतरिक्ष यात्रियों को आईएसएस भेजेगा। अंतरिक्ष यात्री अपने लक्ष्यों के हिसाब से आईएसएस पर 60 से ज्यादा प्रयोग (एक्सपेरिमेंट) करेंगे।
इन प्रयोगों के जरिए अंतरिक्ष के माहौल में इंसानों के शरीर पर पड़ने वाले असर, अंतरिक्ष में होने वाली खेती और पदार्थों से जुड़े विज्ञान (मैटेरियल साइंस) को समझने की कोशिश की जाएगी। एक्सिओम मिशन इस लिहाज से भी अहम है कि इससे सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग को सफलतापूर्वक दर्शाया जा सकता है। एक्सिओम-4 मिशन में जिन लोगों को आईएसएस पर भेजा जा रहा है, उनमें अमेरिका और भारत के अलावा पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री भी आईएसएस पर जा रहे हैं, जो कि कई दशकों में पहली बार हुआ है।
भारत के शुभांशु शुक्ल वायुसेना में ग्रुप कैप्टन हैं। वे उत्तर प्रदेश के लखनऊ से आते हैं और पायलट हैं। उनके पास जैगुआर से लेकर सुखोई-30एमकेआई जैसे लड़ाकू विमानों को उड़ाने का 2000 घंटे का अनुभव है। शुभांशु को अंतरिक्ष भेजे जाने वाले भारत के पहले मानव मिशन गगनयान के लिए पहले ही चुना जा चुका है। एक्सिओम-4 मिशन के साथ ही शुभांशु शुक्ल 41 साल में अंतरिक्ष जाने वाले दूसरे भारतीय बन जाएंगे। उनसे पहले सिर्फ राकेश शर्मा ही स्पेस में गए हैं। उन्हें तब रूस के सल्युत-7 स्पेसक्राफ्ट के जरिए आईएसएस पहुंचाया गया था।
शुभांशु ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उनकी यह अंतरिक्ष यात्रा भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि वह आईएसएस पर एक निजी एजेंडे के साथ भी जा रहे हैं। वहां वे अपने अनुभवों को वे तस्वीरें और वीडियो के जरिए इकट्ठा करेंगे। शुभांशु ने कहा, मैं इन अनुभवों को साझा करुंगा, ताकि सभी भारतवासी मेरी आंखों से देखी गई चीजों को खुद महसूस करें। मैं भले ही एक व्यक्ति की तरह यह यात्रा कर रहा हूं, लेकिन यह सफर 1.4 अरब लोगों का है।
शुभांशु शुक्ला का टेस्ट पायलट होना उनके अंतरिक्ष मिशन के लिए चुने जाने की एक बड़ी वजह बना। हालांकि, अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए उन्हें लंबी और कठोर ट्रेनिंग से गुजरना पड़ा है। भारत और रूस के बीच गगनयान मिशन की ट्रेनिंग के लिए हुए समझौते के तहत शुभांशु को साथी भारतवासियों के साथ 2021 में मॉस्को में गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर भेजा गया। यहां उन्हें जीरो ग्रैविटी से लेकर आपात प्रोटोकॉल्स और स्पेसक्राफ्ट ऑपरेशंस तक की ट्रेनिंग दी गई।
भारत वापस आने के बाद शुभांशु इसरो के बंगलूरू स्थित ट्रेनिंग सेंटर में जारी परीक्षणों में भी शामिल रहे। 27 फरवरी 2024 को आखिरकार गगनयान मिशन के लिए जिन चार अंतरिक्ष यात्रियों के नाम का एलान किया गया, उनमें एक नाम शुभांशु शुक्ला का भी था।
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