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 लड़के के पेट से डॉक्टर ने निकाला एक किलो का पत्थर, ऐसे बची  जान - श्रीनारद मीडिया

 लड़के के पेट से डॉक्टर ने निकाला एक किलो का पत्थर, ऐसे बची  जान

 लड़के के पेट से डॉक्टर ने निकाला एक किलो का पत्थर, ऐसे बची

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श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क :

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मुंबई के एक डॉक्टर ने कोलकाता के 17 वर्षीय एक लड़के के मूत्राशय से करीब एक किलोग्राम वजन का पत्थर निकाला है। 30 जून को एक जटिल सर्जरी के माध्यम से नारियल के आकार वाले इस पत्थर को डॉक्टर ने निकाला है।

दरअसल, मुंबई के डॉक्टर राजीव रेडकर ने यह पत्थर निकालकर रूबेन नामक लड़के को नया जीवन दे दिया है। जानकारी के मुताबिक, रूबेन के जन्म के समय से ही उनके मूत्राशय में विकृत थी। रूबेन एक्सस्ट्रोफी-एपिस्पेडियास कॉम्प्लेक्स (ईईसी) नामक बीमारी से पीड़ित थे। यह ऐसी दुर्लभ बीमारी है जो करीब 100,000 में से किसी एक में पाई जाती है।

ऐसे मामलों में यह दिक्कत होती है कि मरीज का मूत्राशय सामान्य रूप से कार्य नहीं कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप मूत्र रिसाव होता है। इतना ही नहीं डॉक्टर राजीव रेडकर ने दूसरी बार रूबेन के जीवन को बचाया है. करीब 15 साल पहले डॉ रेडकर ने रूबेन का इलाज किया था, तब उन्होंने मूत्राशय के आकार को बढ़ाने के लिए एक ऑपरेशन किया था ऐसी व्यवस्था की थी जिससे वह पेशाब कर सके।

 

पिछले महीने डॉ रेडकर को उस लड़के का फोन आया। उसे काफी दर्द था और वह अपनी पेशाब को नियंत्रित नहीं कर पा रहा था। लड़का अनाथ है, वह अपने किसी रिश्तेदार के साथ डॉ रेडकर के क्लिनिक में आया। इसके बाद 30 जून को डॉ रेडकर ने अपनी टीम के साथ सर्जरी की।

सर्जरी में रेडकर की टीम ने ब्लैडर से एक बड़ा कैल्शियम ऑक्सालेट स्टोन निकाला, जिसका वजन लगभग एक किलोग्राम निकला। उन्होंने उसके बढ़े हुए मूत्राशय का भी ऑपरेशन किया। हालांकि डॉक्टरों ने बताया कि यह एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया थी।

सर्जरी के बाद रूबेन ने अच्छा महसूस किया। डॉक्टरों ने बताया कि उसकी किडनी अच्छी तरह से सुरक्षित है और ठीक से काम कर रही है। डॉक्टर रेडकर ने बताया कि इस तरह के मामले को नियमित रूप से फॉलो-अप और चेक-अप करना चाहिए, ताकि आगे चलकर स्थिति इतनी गंभीर ना होने पाए।

बताया गया है कि लड़का अनाथ है. वह एक स्थानीय अभिभावक के साथ डॉक्टर के पास बिना पैसों के पहुंचा था. अगर इलाज नहीं कराया जाता तो यह जानलेवा साबित हो सकता था। जब अस्पताल को इस मामले के बारे में सूचित किया गया, तो उसकी जान बचाने के लिए उसका मुफ्त इलाज करने के लिए फैसला लिया गया।

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