बेटी पढ़ाओ- बेटी बचाओ का असर अब देश में दिखने लगा है,कैसे?

बेटी पढ़ाओ- बेटी बचाओ का असर अब देश में दिखने लगा है,कैसे?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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बेटियों को पढ़ाने को लेकर दस साल पहले यानी 2015 में शुरू किए गए बेटी पढ़ाओ- बेटी बचाओ अभियान का असर अब देश में दिखने लगा है। दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं में बेटियों के पास होने का प्रतिशत कुल छात्रों के मुकाबले न सिर्फ बढ़ा है, बल्कि अच्छे नंबरों से पास होने का उनका प्रतिशत भी बढ़ा है।

विज्ञान जैसे विषयों में बेटियों का रुझान

इतना ही नहीं, विज्ञान जैसे विषयों में पढ़ाई को लेकर भी उनका रुझान पिछले एक दशक में बढ़ा है। इनमें एससी और एसटी वर्ग की बेटियों का बढ़ा प्रतिशत और भी ज्यादा चौंकाने वाला है। शिक्षा मंत्रालय की ओर से पिछले 11 वर्षों में दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम को लेकर कराए गए एक अध्ययन में बदलाव सामने आया है।
इसके तहत बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं में 2013 के मुकाबले 2024 में जहां शामिल होने वाले कुल छात्रों की संख्या में 10.60 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, वहीं बेटियों की संख्या में इन वर्षों में 19.8 प्रतिशत यानी दोगुना की बढ़ोतरी दर्ज हुई है।

बोर्ड परीक्षाओं में 60 प्रतिशत से अधिक अंकों पास होती छात्राएं

यही नहीं, बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं में 60 प्रतिशत से अधिक अंकों से पास होने वाले कुल छात्रों के प्रतिशत में 2013 के मुकाबले 2024 में जहां 85.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है, वहीं बेटियों में 95.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। इनमें एससी वर्ग की बेटियों के प्रतिशत में 157 और एसटी वर्ग की बेटियों के प्रतिशत में 251 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई है।

बेटियों की संख्या में 110 प्रतिशत की बढ़ोतरी

इसके साथ ही बेटियों में अब विज्ञान की पढ़ाई को लेकर भी रुझान तेजी से बढ़ा है। 2013 के मुकाबले 2024 में विज्ञान की पढ़ाई करने वाले छात्रों की संख्या में जहां 68 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, वहीं बेटियों की संख्या में 110 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। एससी बेटियों की संख्या में 142 और एसटी बेटियों की संख्या में 146 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

बेटियों की पढ़ाई का प्रदर्शन दसवीं बोर्ड परीक्षाओं में भी देखने को मिला

रिपोर्ट के अनुसार, बेटियों की पढ़ाई का प्रदर्शन दसवीं बोर्ड परीक्षाओं में भी देखने को मिला है। दसवीं की बोर्ड परीक्षा में 2013 के मुकाबले 2024 में छात्रों की संख्या में कुल तीन प्रतिशत की वृद्धि हुई है, वहीं बेटियों में यह नौ प्रतिशत से अधिक रही।

दसवीं और बारहवीं बोर्ड परीक्षाओं बेटियों के पास होने की संख्या बढ़ी

एससी बेटियों की संख्या में करीब 15 और एसटी बेटियों की संख्या में 81 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। दसवीं और बारहवीं बोर्ड परीक्षाओं व उनमें पास होने में बेटियों की बढ़ी संख्या को पिछले कई सालों से उनके लिए तैयार किए जा रहे अनुकूल माहौल के परिमाण के रूप में देखा जा रहा है।

सरकारी हो या निजी स्कूल, हर जगह बेटियों ने ही लहराया परचम

दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं में बेटियों का प्रदर्शन हर जगह दिखा है। यह चाहे सरकारी स्कूल रहे हों या फिर निजी स्कूल। रिपोर्ट के अनुसार, 2024 की दसवीं की बोर्ड परीक्षाओं में सरकारी स्कूलों में बेटों के पास होने का प्रतिशत जहां 81.82 प्रतिशत था, वहीं बेटियों का 85.31 प्रतिशत था।
ऐसे निजी स्कूलों में दसवीं में बेटों के पास होने का प्रतिशत 90.14 प्रतिशत था तो बेटियों का प्रतिशत 94.6 प्रतिशत था। बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं में बेटियों के पास होने का प्रतिशत बेटों से अधिक था।

कॉलेजों में विज्ञान विषयों की सीटें बढ़ाने के लिए केंद्र लिखेगा राज्यों को पत्र

स्कूलों में बेटियों की तेजी से बढ़ती संख्या के साथ ही विज्ञान विषयों में उनकी बढ़ती रुचि को देखते हुए शिक्षा मंत्रालय अब सभी राज्यों से अपने उच्च शिक्षा संस्थानों में विज्ञान विषयों की सीटों को बढ़ाने के लिए अनुरोध करेगा। साथ ही उन्हें इसके लिए जरूरी आंकड़े भी मुहैया कराएगा।
इस आधार पर राज्य ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित भी कर सकेंगे। इसके साथ ही दसवीं व बारहवीं के अलग-अलग बोर्ड संचालित करने वाले आंध्र प्रदेश, असम, केरल, मणिपुर, ओडिशा, तेलंगाना और बंगाल को भी केंद्र जल्द ही पत्र लिखेगा। उन्हें इसकी जगह एक बोर्ड गठित करने का सुझाव देगा।

 

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