चुनाव आयोग मतदाता सूची का घर-घर जाकर सत्यापन करेगा,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार की तर्ज पर घर-घर जाकर मतदाता सूची के सत्यापन की मुहिम अब तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल सहित देश के पांच और राज्यों में भी शुरू होगी। चुनाव आयोग ने इस साल के अंत तक इन सभी राज्यों में इसके शुरू होने के संकेत दिए है। इन राज्यों में अगले साल यानी 2026 के मध्य में विधानसभा के चुनाव भी है।

ऐसे में आयोग ने समय रहते ही इसकी तैयारी शुरू कर दी है। प्रत्येक मतदाताओं को सत्यापन के दौरान एक घोषणा पत्र के साथ अपने जन्म तिथि व जन्म स्थान से जुड़े दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। चुनाव आयोग ने यह पहल मतदाता सूची में गड़बडि़यों पर लगातार उठ रहे सवालों के साथ ही मतदाता सूची को त्रुटिरहित बनाने की अपनी मुहिम के तहत शुरू की है।

पांच राज्यों में सत्यापन का अभियान चलेगा

  • इसके तहत आयोग ने सबसे पहले बिहार में इस अभियान को शुरू किया है। बिहार में इस साल नवंबर में विधानसभा के चुनाव प्रस्तावित है। इसके बाद जिन पांच राज्यों में सत्यापन का यह अभियान चलेगा, उनमें असम, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल और पुडुचेरी शामिल है। इस पूरे अभियान में आयोग का सबसे अधिक फोकस अप्रवासी और विदेशी घुसपैठियों को लेकर है।
  • खासकर बंगाल से चोरी-छुपे आकर जो देश में रह रहे है और इनमें कुछ मतदाता सूची में भी अपने नाम भी दर्ज करा लिए है। चुनाव आयोग की मानें तो ऐसे लोगों की पहचान करने के लिए अब सभी मतदाताओं की जन्म तिथि व जन्म स्थान से जुड़े दस्तावेज लिए जाएंगे। साथ ही उनके माता-पिता की और जिस स्थान पर वे रह रहे है उसकी भी जानकारी जुटाई जाएगी।
  • उनकी ओर से मुहैया कराए गए सारे दस्तावेजों जांच के बाद ऑनलाइन अपलोड होंगे। आयोग से जुडे सूत्रों की मानें तो इसके आधार पर लंबे समय से राज्य से बाहर रहने होने के बाद भी मतदाता सूची में शामिल लोगों के साथ गलत तरीके से मतदाता सूची में जगह पा चुके विदेशी अवैध अप्रवासी को खासकर बांग्लादेशियों को बाहर किया जाएगा।

मतदाताओं को देने होंगे यह दस्तावेज

आयोग ने मतदाता सूची के सत्यापन को लेकर जो मानक तैयार किए है, उनमें प्रत्येक मतदाता से एक घोषणा पत्र भी लिया जाएगा। इनमें नए मतदाताओं को बताना होगा कि उन्होंने 18 साल की उम्र पूरी कर ली है। साथ ही इसे प्रमाणित करने वाले दस्तावेज, जिससे जन्मतिथि और जन्म स्थान दर्ज हो मुहैया कराना होगा।

साथ ही यदि किसी का जन्म एक जुलाई 1987 से पहले हुआ है तो उन्हें भी अपने जन्म तिथि और जन्म स्थान को प्रमाणित करने वाले दस्तावेज देने होंगे। वहीं एक जुलाई 1987 से दो दिसंबर 2004 के बीच जिनका जन्म हुआ है, उन्हें जन्मतिथि और जन्म स्थान को प्रमाणित करने वाले दस्तावेज देने होंगे।

इन लोगों को दिखाने होंगे पासपोर्ट

इसके साथ ही माता-पिता के जन्म और जन्म स्थान से जुड़े कोई भी दस्तावेज देने होंगे। यदि किसी का जन्म दो दिसंबर 2004 के बाद हुआ है, तो उन्हें जन्म और जन्म स्थान को प्रमाणित करने वाले दस्तावेजों के साथ ही माता-पिता दोनों के अलग-अलग जन्म तिथि और जन्म स्थान के भी दस्तावेज मुहैया कराना होगा।

यदि माता-पिता में कोई भारतीय नहीं है तो अपने जन्म के समय का वैध पासपोर्ट और वीजा मुहैया कराना होगा। यदि किसी जन्म देश से बाहर हुआ तो उन्हें भी भारतीय मिशन की ओर से जारी किया गया जन्म प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। वहीं यदि किसी ने भारत की नागरिकता ली है, तो उन्हें भी जांच के दौरान इसके प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने होंगे।

 

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