स्नेह के भाव से निहाल हो उठती है समग्र सृष्टि: सुग्रीव जी महाराज

स्नेह के भाव से निहाल हो उठती है समग्र सृष्टि: सुग्रीव जी महाराज

लखनऊ के बेनीगंज स्थित लक्ष्यार्थ इंटरनेशनल स्कूल के प्रांगण में श्रीमद्भागवत कथा में श्रीकृष्ण जन्म प्रसंग पर भाव विभोर हो गए श्रद्धालु, सुमधुर भजनों पर झूम उठे भक्तगण

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श्रीनारद मीडिया, लखनऊ (यूपी):

मनुष्य के जीवन में यदि स्नेह का समावेश होता है तो उसे अद्भुत आनंद की सदैव प्राप्ति होती रहती है। स्नेह के भाव से समग्र सृष्टि ही निहाल हो उठती है। स्नेह की भावना के कारण भगवान श्याम सुंदर की असीम कृपा की प्राप्ति होती है। हमारे दयानिधान भगवान श्रीकृष्ण भी तो अपने भक्तों से बस स्नेह की आकांक्षा रखते हैं। अहंकार उन्हें बिल्कुल भी नहीं भाता है। स्नेह की भावना व्यक्तित्व में सकारात्मक संदेशों को संचारित करती है। जब जीवन सकारात्मक होता है तो आध्यात्मिक ऊर्जा के आधार पर जीवन भी आलोकित और श्रृंगारित हो उठता हैं।

खुशी और सुकून का समावेश जीवन को सार्थकता भी प्रदान करता है। ये बातें मंगलवार की रात्रि में लखनऊ के बेनीगंज स्थित लक्ष्यार्थ इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दौरान सुग्रीव जी महाराज शारदानंद जी ने कही। मंगलवार को विद्यालय प्रांगण में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव प्रसंग के दौरान सुमधुर भजनों की धुन पर उपस्थित श्रद्धालुगण झूम उठे।

मालूम हो कि श्री हरि की असीम कृपा से सेवानिवृत्त कर्नल विजय कुमार द्विवेदी, एडवोकेट अभिषेक द्विवेदी, एडवोकेट वर्षा द्विवेदी आदि यजमान गण के यहां श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा प्रवाहित हो रही है। लीलावती देवी, उर्मिला देवी, दमयंती मिश्रा, मनोरमा द्विवेदी, हेमलता पांडेय, रेखा पाठक, सुमन द्विवेदी आदि श्रद्धालुओं ने बताया कि सुग्रीव जी महाराज के भजन हमें अद्वितीय आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति करा रहे हैं। इस अवसर पर भारी संख्या में ग्रामीणजन भी उपस्थित रहे।

आचार्य सुग्रीव जी महाराज शारदानंद जी ने भागवत ज्ञान गंगा के दौरान कहा कि कलयुग में भगवान के नाम का सुमिरनन ही जिंदगी का सबसे बड़ा आधार है। भागम भाग की दुनिया में जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है। इसलिए हरसंभव पल में भगवान का नाम जप लेना जिंदगी को सार्थकता प्रदान करता है। विनम्रता, स्नेह के भाव पर श्री भगवान मुग्ध हो जाते हैं। अहंकार भगवान को बिल्कुल नहीं भाता।

अहंकारी के अहंकार को चूर चूर कर भगवान उसे अपने शरण में लाते हैं। भगवान तो अपने भक्तों के स्नेह के भूखे होते है। सुदामा का स्नेह हो या शबरी का कृपा निधान तो स्नेह के वश में आकर अपनी अहैतुक कृपा को बरसाते रहते हैं। बस आप उनसे स्नेह कीजिए देखिए कैसे दयानिधान आपके हो जाते हैं? उनकी निरंतर बरसती कृपा दृष्टि आपको निहाल कर देगी।

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