भगवान श्री कृष्ण सुदामा की कथा के मार्मिक प्रसंग को सुनते ही श्रद्धालुओं की आंखें हुई नम

भगवान श्री कृष्ण सुदामा की कथा के मार्मिक प्रसंग को सुनते ही श्रद्धालुओं की आंखें हुई नम।

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श्रीनारद मीडिया,  कुरूक्षेत्र, हरियाणा (बिहार):

संकट में काम आने वाला ही परम मित्र : आचार्य श्याम भाई ठाकर।
जयराम विद्यापीठ में भागवत पुराण की कथा का आरती तथा पूजन के साथ हुआ समापन।

ब्रह्मसरोवर के तट पर श्री जयराम विद्यापीठ परिसर में गीता जयंती महोत्सव 2023 के अवसर पर चल रही श्रीमद् भागवत पुराण की कथा का विधिवत मंत्रोच्चारण, पूजन तथा आरती के साथ समापन हो गया।
कथा के समापन पर व्यासपीठ पर देशभर में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी के सान्निध्य में व्यासपीठ पर आरती की गई। कथा के अंतिम दिन व्यासपीठ पर विराजमान भागवत भास्कर आचार्य श्याम भाई ठाकर ने मधुर संगीतमयी शैली में भगवान कृष्ण के घटनाक्रमों का वर्णन कर श्रद्धालुओं को कृष्ण भक्ति में झूमने पर मजबूर कर दिया। श्रद्धालुओं से खचाखच भरा पंडाल भक्ति रस में डूबा रहा।

इस दौरान आचार्य श्याम भाई ठाकर ने सुदामा चरित्र की कथा के साथ राजा परीक्षित का मोक्ष एवं भगवान श्रीकृष्ण के स्वधाम गमन की कथा सुनाते हुए कथा को विराम दिया। कथा में श्रद्धालु नाचते, थिरकते नजर आए। भगवान की भक्ति को मुक्ति पाने का माध्यम बताते हुए आचार्य श्याम भाई ठाकर ने भजनों के साथ इसका वर्णन किया। अपनी भजन प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने आखिरी दिन की कथा मे राजा परीक्षित को शुकदेव जी द्वारा सुनाई जा रही भागवत कथा के अंतिम चरण का वृतांत सुनाते हुए सुदामा के चरित्र का वर्णन किया। कथा प्रसंग में सुदामा का द्वारिकाधीश से मिलने जाना, पहरेदारों द्वारा सुदामा को द्वारिका के द्वार पर ही रोक देना और भगवान श्रीकृष्ण को सुदामा के आने का पता चलने पर नंगे पैर दौड़ते हुए बिना पिताम्बर धारण किए अपने परम मित्र सुदामा से मिलने जाना, सुदामा का आतिथ्य का जब वर्णन किया तो सभी भक्तगण भाव -विभोर हो उठे।

उन्होंने बताया सुदामा की मित्रता को निभाकर भगवान ने अपने दीनदयालु नाम को सार्थक किया। कृष्ण सुदामा की कथा के मार्मिक प्रसंग को सुनते श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गई। भागवत भास्कर आचार्य श्याम भाई ठाकर ने कहा कि इस कथा से यह संदेश मिलता है कि मित्रता में पद और प्रतिष्ठा को आड़े नहीं आना चाहिए। इससे तात्पर्य है कि मित्रता में एक दूसरे का सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें कोई छोटा बड़ा नहीं होता। सत्ता पाकर व्यक्ति को घमंड नहीं करना चाहिए। बल्कि उसे भगवान श्रीकृष्ण जैसा विनम्रता एवं उदारता का आचरण अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा जो इंसान भगवान श्रीकृष्ण के जैसा आचरण अपना लेता है। वह संसार के मोह माया को पूरी तरह त्याग कर देता है। कथा में बताया गया कि भगवान के लिए प्रेम कितना महत्वपूर्ण है।

भगवान कैसे प्रेम के भूखे हैं और यही कारण था कि भगवान श्री कृष्ण जी अपने मित्र सुदामा के पहुंचने पर नंगे पांव उनसे मिलने के लिए दौड़े चले गए। सुदामा-कृष्ण की मित्रता आज के दौर में दोहराई जाए तो मानवीय मूल्य सब लोगों के भीतर आत्मसात होंगे। आचार्य श्याम भाई ठाकर की भक्तिमय एंव रस मधुर वाणी में प्रस्तुत कथामृत का भरपूर आनंद श्रोताओं ने प्राप्त किया। उन्होंने कथा के अंतिम दिन शुकदेव द्वारा राजा परीक्षित को सुनाई गई श्रीमद् भागवत कथा को पूर्णता प्रदान करते हुए कथा में विभिन्न प्रसंगों का वर्णन किया।

उन्होंने अंतिम दिन की कथा में अग्र पूजा के दौरान शिशुपाल द्वारा श्रीकृष्ण का अपमान करने के पश्चात् भगवान श्री कृष्ण द्वारा सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध, गुरु भक्त सुदामा एवं भगवान श्री कृष्ण का द्वारका में परम स्नेही मिलन, भगवान श्री कृष्ण का स्वधाम गमन एवं अंत में राजा परीक्षित को मोक्ष प्राप्ति के प्रसंगो को सुनाया। कथा के दौरान आचार्य श्याम भाई ठाकर के भगवान श्री कृष्ण के भक्तिमयी भजनों की प्रस्तुति से सत्संग स्थल पर उपस्थित श्रद्धालु झूम उठे तथा दोनों हाथ ऊपर उठा कर श्री कृष्ण भजनों पर झूमते हुए कथा एवं भजनों का आनंद लिया।

इस अवसर पर सेवानिवृत आयुक्त टी के शर्मा, श्रवण गुप्ता, कुलवंत सैनी, के.के. कौशिक,सत नारायण सिंगला, टेक सिंह, ईश्वर गुप्ता, एस.एन. गुप्ता, राजेश सिंगला, के.सी. रंगा, पवन गर्ग, महेंद्र सिंगला, रणबीर भारद्वाज, सतबीर कौशिक, रोहित कौशिक, डा. मनमुदित नारायण शुक्ल, जयपाल शर्मा, संगीता शर्मा, संतोष यादव इत्यादि भी मौजूद रहे।
जयराम विद्यापीठ में भागवत पुराण की कथा के समापन अवसर पर व्यासपीठ पर आरती एवं पूजन करते हुए परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी, कथावाचक आचार्य श्याम भाई ठाकर व अन्य।

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