सरकार अरावली पहाड़ियों के संरक्षण और बहाली के लिए प्रतिबद्ध है

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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अरावली खनन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (29 दिसंबर) को अपने पुराने फैसले पर रोक लगा दी है. कोर्ट के फैसले का केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने स्वागत किया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्वीट किया- मैं अरावली रेंज से जुड़े अपने आदेश पर रोक लगाने और मुद्दों का अध्ययन करने के लिए एक नई समिति बनाने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का स्वागत करता हूं.

हम अरावली रेंज की सुरक्षा और बहाली में MOEFCC से मांगी गई सभी सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध हैं. मौजूदा स्थिति के अनुसार, नए माइनिंग लीज या पुराने माइनिंग लीज के रिन्यूअल के संबंध में खनन पर पूरी तरह से रोक जारी है.”

उच्चस्तरीय समिति गठित करने का प्रस्ताव

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने 20 नवंबर के फैसले में दिए गए निर्देशों को स्थगित कर दिया है, जिसमें पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक समिति की सिफारिश पर अरावली पहाड़ियों और पर्वत श्रृंखलाओं की एक समान परिभाषा को स्वीकार किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे की व्यापक और समग्र समीक्षा के लिए इस क्षेत्र के विशेषज्ञों को शामिल कर एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का प्रस्ताव रखा.

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फैसले पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (29 नवंबर) को अपने 20 नवंबर के फैसले में दिए गए उन निर्देशों को स्थगित रखने का आदेश दिया, जिसमें अरावली पहाड़ियों और पर्वतमाला की एक समान परिभाषा को स्वीकार किया गया था. भारत के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की अवकाशकालीन पीठ ने इस मुद्दे की व्यापक और समग्र समीक्षा के लिए इस क्षेत्र के विशेषज्ञों को शामिल कर एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का प्रस्ताव रखा है.

पीठ ने कहा- हम यह निर्देश देना आवश्यक समझते हैं कि समिति की ओर से प्रस्तुत सिफारिशों के साथ-साथ इस कोर्ट की ओर से 20 नवंबर, 2025 के फैसले में निर्धारित निष्कर्षों और निर्देशों को स्थगित रखा जाए. कोर्ट ने केंद्र सरकार और अन्य को नोटिस जारी कर मामले को आगे की सुनवाई के लिए 21 जनवरी को सूचीबद्ध किया है.

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2025 में अरावली पहाड़ियों के संबंध में क्या निर्णय लिया?
न्यायालय ने अरावली पहाड़ियों और पर्वतमालाओं की एक समान, वैज्ञानिक परिभाषा को मंज़ूरी दी, नए खनन पट्टों पर रोक लगा दी और सतत खनन के लिये एक प्रबंधन योजना (MPSM) तैयार करने का आदेश दिया।

 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित ढाँचे के तहत अरावली पहाड़ियों को किस प्रकार परिभाषित किया गया है?
अरावली पहाड़ियों को स्थानीय भू-भाग से 100 मीटर या उससे अधिक ऊँचाई वाली भू-आकृतियों के रूप में परिभाषित किया गया है तथा इस पहाड़ी प्रणाली को, जिसमें सहायक ढलान और संलग्न भू-आकृतियाँ शामिल हैं, पूरी तरह से संरक्षण प्राप्त है।

नई परिभाषा के अनुसार अरावली पर्वतमाला किसे माना जाएगा?
एक दूसरे से 500 मीटर की दूरी के भीतर स्थित दो या दो से अधिक अरावली पहाड़ियों को एक ही पर्वतमाला माना जाएगा और इनके बीच का पूरा क्षेत्र संरक्षण के दायरे में आएगा।

 अरावली ग्रीन वॉल पहल क्या है?
यह पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) के नेतृत्व में चलाया जाने वाला एक भूदृश्य पुनर्स्थापन कार्यक्रम है, जो गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में स्थित अरावली पर्वतमाला और इसके बफर क्षेत्रों को कवर करता है। इसका उद्देश्य मरुस्थलीकरण और भूमि क्षरण से निपटना है।

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