सिंधु नदी हिंदू सभ्यता का प्राचीनतम प्रमाण है जो आज भी विद्यमान है

सिंधु नदी हिंदू सभ्यता का प्राचीनतम प्रमाण है जो आज भी विद्यमान है

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
01
previous arrow
next arrow
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
01
previous arrow
next arrow

लालकृष्ण आडवाणी जी को एक बार लद्दाख जाने का अवसर मिला था, जिस गेस्ट हाउस में वो ठहराये गये थे, उसके पीछे उन्हें किसी नदी के बहने की कल-कल ध्वनि सुनाई दी, आडवाणी जी ने पूछा कि ये कौन सी नदी है? जबाब मिला – “सिन्धु”

ये शब्द सुनते ही बिना जूता-चप्पल पहने और सुरक्षा की चिंता किये ही आडवाणी जी नंगे पांव सिन्धु की ओर दौड़ पड़े, और जाकर उसके जल को प्रणाम किया।

जानते हैं क्यों क्योंकि आडवाणी जी मूलतः जिस क्षेत्र से आते हैं, वो सिंधु नदी के नाम पर ही हैं – सिंधु देश। आडवाणी जी को सिन्धु नदी ने अपनी जननी जन्मभूमि के करीब होने की अनुभूति कराई।

ये सिंधु नदी हिंदू सभ्यता का प्राचीनतम प्रमाण है जो आज भी विद्यमान है,

– इसी के तीर पर वेदों की ऋचाओं का दर्शन ऋषियों को हुआ था।

– ऋग्वेद के कई मंत्र इस पवित्र नदी के लिए लिए समर्पित हैं।

– इस नदी का स्मरण हम प्रतिदिन हमारे स्नान मंत्र में करते हैं।

गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती ।

नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु ॥

– इसी के किनारे हड़प्पा और मोहनजोदड़ो जैसी प्राचीन सभ्यताएं विकसित हुईं।

– इसी के नाम पर एक सागर का नाम है, जिसे अपनी अज्ञानता में अरब सागर कह देते हैं, जबकि वह सिन्धु सागर है।

लगभग 3200 किलोमीटर तक प्रवाहमान यह नदी लगभग बारह लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को सिंचित करती है मगर दुर्भाग्य यह कि पाकिस्तान अधिकृत भारतीय कश्मीर के उनके कब्जे में जाने के बाद यह नदी भारत के केवल डेढ़ सौ किलोमीटर क्षेत्र में ही बह रही है, और इसकी अपार जीवनदायिनी जलराशि का उपयोग अब शत्रु मुल्क कर रहा है, और हमें इसके लिए कोई पीड़ा भी नहीं होती।

इसी नदी में पंजाब की पांच नदियां आकर विलीन होती हैं जो इसकी पवित्रता को बहुगुणित कर देती है।

एक बात और पाकिस्तान में प्रवाहमान यह एकमात्र नदी है जिसका नाम आज तक शत्रु बदल नहीं पाये हैं, यानि आशा की किरणें अभी धूमिल नहीं हुई है।

बिन सिन्धु, हम कैसे हिन्दू?

इसी पीड़ा को हृदय में लिए हिन्दू राजनीति के लौहपुरुष भारत रत्न माननीय श्री लालकृष्ण आडवाणी जी ने सिन्धु नदी के तट पर प्रतिवर्ष सिन्धु मेला का आयोजन आरम्भ किया था।

आज जब उन्हें देश के सर्वोच्च भारत रत्न से सम्मानित किया गया है तो पवित्र सिन्धु नदी भारत भूमि में पुनः पूर्णरूप से प्रवाहित हो, ये संकल्प भी अवश्य लेना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!