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अपने गांव पहुंचे जज, बोले बच्चों को शिक्षा देना सबसे ज्यादा जरूरी - श्रीनारद मीडिया

अपने गांव पहुंचे जज, बोले बच्चों को शिक्षा देना सबसे ज्यादा जरूरी

अपने गांव पहुंचे जज, बोले बच्चों को शिक्षा देना सबसे ज्यादा जरूरी

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सीवान के कमांडो बेटियों की कहानी,मां रात में 2 घंटे तक दौड़ाती थी

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार में सीवान जिले के एक लाल ने कटिहार में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश बनकर सीवान समेत पूरे बिहार का नाम रोशन किया है। मंगलवार को पहली बार अपने पैतृक गांव पहुंचने पर ग्रामीणों ने फूल मालाओं के साथ उनका पुरजोर स्वागत किया।

दरौली प्रखंड के गूमावर गांव के एक मिडिल क्लास फैमिली में जन्मे सत्यनारायण लाल साहनी आज पूरे जिले के लिए प्रेरणा स्रोत बने हैं। बता देना कि शुरुआती दौर में सतनारायण लाल साहनी की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। फिर भी उन्होंने पढ़ाई प्रारंभ रखा और अंत में मंजिल हासिल कर लिया।

वह शुरू से ही पढ़ाई के मामले में काफी होनहार थे। परिवार की आर्थिक स्थिति दुरुस्त नहीं होने के बावजूद भी उन्होंने पढ़ाई करना नहीं छोड़ा। आज एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज बनकर अपने परिवार और गांव समेत जिले के लोगों का सर गर्व से ऊंचा कर दिया है।

कटिहार में जज बनकर पहली बार लौटे गांव

बिहार के कटिहार में पहली पोस्टिंग होने के बाद छठ पर्व मनाने के लिए अपने परिवार के साथ पैतृक गांव लौटे हैं। मंगलवार की दोपहर जैसे ही उनके गांव पहुंचने की जानकारी ग्रामीण और पंचायत के लोगों को हुई। उनके स्वागत के लिए भारी संख्या में लोगों की भीड़ एकत्रित हो गई। लोग अपने हाथों में फूल माला लिए हुए ढोल नगाड़ों के साथ जोरदार स्वागत किया।

ध्यान रहे जमीन भले ही गिरवी रख दें लेकिन बच्चे जरूर पढ़ें!

अपने गांव पहुंचने के बाद नौजवान युवाओं और उनके परिजनों को सीख देते हुए जज ने बताया कि बच्चों की शिक्षा दीक्षा में किसी प्रकार की कमी नहीं होनी चाहिए। शिक्षा ऐसी पूंजी है जिसे जितना हासिल करिएगा उतना ही फायदा मंद रहेगा। उन्होंने लोगों से कहा कि भले ही आपकी जमीन गिरवी चला जाए लेकिन बच्चों को आप जरूर शिक्षा दिलाएं। उन्होंने ग्रामीण प्रवेश से आने वाले युवाओं के हौसला अफजाई करते हुए शिक्षा दीक्षा में हरसंभव खड़ा रहने की आश्वासन दी है।

सीवान के कमांडो बेटियों की कहानी,मां रात में 2 घंटे तक दौड़ाती थी

आपने दंगल फिल्म तो जरूर देखी होगी। उसने 2 बेटियों के लिए एक पिता के संघर्ष को बताया गया है। वो सुबह-सुबह बेटियों को ट्रेनिंग देता है। लोगों के ताने सुनने के बाद भी बेटियों को उनके लक्ष्य तक पहुंचाता है। ठीक ऐसी ही कहानी है सीवान की सोनमती देवी की। सोनमती देवी ने सीवान की एक मां ने कड़ी मेहनत कर अपनी दो बेटियों के BSAP (बिहार स्पेशल आर्म्ड पुलिस) में कमांडो बनाया।

इसके लिए वो खुद उन्हें ट्रेनिंग देती थी। दोनों बेटियों के साथ दौड़ने जाती थी। गांव वाले मां को ताने देते थे। तो वो बेटियों को रात 1 बजे से 3 बजे तक अंधेरे में दौड़ाती थी। दोनों बेटियां BSAP में कमांडो हैं। दूसरी बेटी तो सब इंस्पेक्टर को ट्रेंड करती है। दोनों बेटियां अब मां के लिए घर बनवा रही हैं।

अपने माता-पिता के साथ पूजा कुमारी और पुनीत कुमारी।
अपने माता-पिता के साथ पूजा कुमारी और पुनीत कुमारी।

हम बात कर रहे हैं जिले के महाराजगंज प्रखंड के जिगरहवां की रहने वाली सोनमती देवी की। सोनमती देवी बताती है कि साल 2014 से ही उनके दोनों बेटियां पूजा कुमारी और पुनीत कुमारी को डिफेंस जॉइन करने की इच्छा थी। वह खुद भी चाहती थी की उनकी दोनों बेटियां पुलिस ऑफिसर बनें।

पुनीत कुमारी अब सब इंस्पेक्टर को ट्रेंड करती है।
पुनीत कुमारी अब सब इंस्पेक्टर को ट्रेंड करती है।

मां ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने से दो बार उनका सिलेक्शन होते-होते रह गया। पिता राजेंद्र पंडित राज मिस्त्री का काम करते थे। मेडिकल में 8 लाख रुपए की घूस मांगी गई थी।

बेटियों को ऑफिसर बनाने के लिए मां ने उठाया बीड़ा

जब चारों तरफ से रास्ते बंद हो गए तो सोनमती देवी ने दोनों बेटियों को प्रैक्टिस करानी शुरू कर दी। इस बीच उन्हें समाज के कई लोगों के ताने भी सुनने को मिले। वो रात 1 बजे का अलार्म लगाकर सोतीं और दोनों बेटियों के साथ खुद भी दौड़तीं। करीब 2 साल तक मां ने दोनों को कड़ी प्रैक्टिस करवाई।

उसके बाद मां के कठिन परिश्रम और बेटियों की ललक ने आखिरकार रंग लाया। आज दोनों बेटियां BSAP बिहार स्पेशल आर्म्ड पुलिस में कमांडो है। बड़ी बेटी पुनिता कुमारी आज राजगीर में बिहार दरोगा का कमांडो ट्रेनर है जबकि छोटी बेटी पूजा कुमारी बोधगया में BSAP में कमांडो के पद पर कार्यरत है।

बेटियों की कमाई के पैसों से बनवा रही मकान

मां सोनमती देवी बताती है कि उनके पति अपने पूरे जिंदगी में लोगों के मकानों के निर्माण के लिए राज मिस्त्री का काम करते रहे लेकिन कभी इतने पैसे नहीं हुए कि वह अपना मकान निर्माण करा सके। आज उनकी बेटियों की कमाई से एक नया आशियाना बन रहा है।

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