चैनपुर में  कशेश्वर महादेव मंदिर का तालाब  बना कचरा घर

चैनपुर में  कशेश्वर महादेव मंदिर का  तालाब  बना कचरा घर

श्रीनारद मीडिया, प्रसेनजीत चौरसिया, सीवान (बिहार)

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सरकार तालाबों के संरक्षण और जीर्णोद्धार के लिए जल-जीवन-हरियाली योजना चला रही है लेकिन सिसवन प्रखंड के चैनपुर बाजार के बीच स्थित कशेश्वर महादेव मंदिर का सबसे प्राचीन तालाब जो लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ है।

पदाधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण आस्था के इस तालाब में गंदगी और कचरे की ढेर लगी हुई है।तलाब के आस पास के दर्जनों घरों का कचरा इसी तालाब मे फेंका जा रहा है।

तालाब में भरी गंदगी और कचरे के कारण मंदिर में पूजा अर्चना करने आनेवाले श्रद्धालुओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।कचरे के बदबू से लोगों को काफी परेशानी होती है।यहां तक कि कचरे पर सुअर लोटते नजर आते हैं।

इससे संक्रमण फैलने की स्थिति बनी हुई है।स्थानीय लोगों के अनुसार यह तालाब पहले कभी नहीं सुखता था यह अंदर ही अंदर सीधे दाहा नदी के स्रोत से जुड़ा हुआ था।समय बीतता गया लोगों ने इसमें कचरा फेंकना शुरू किया तब से इसका आधा से अधिक भाग का जल कचरे के नीचें चला गया। तालाब के किनारे खड़ा रहना भी मुश्किल हो गया।कभी यह तालाब जल भंडार के रूप में काफी समृद्ध था। लेकिन, बदलते परिवेश में बढ़ती आबादी के साथ अतिक्रमण कर स्थानीय लोगों ने आवासीय मकान, दुकान आदि का निर्माण कर लिया। पारंपरिक जलस्त्रोतों का दोहन कर उसे समाप्त करने में आसपास के लोगों ने पूरी सक्रियता दिखाई।

तालाब के चारों ओर रह रहे स्थानीय मोहल्ले के लोगों ने तालाब की जमीन को अपनी मानकर उस पर अतिक्रमण कर कब्जा कर लिया है।जिसके बाद स्थानीय अवधेश यादव एवं मुरारी पांडेय ने कशेश्वर महादेव बाबा मे आस्था रखने वाले लोगों से चंदा लेकर मंदिर का गेट,नाला,चाहरदीवारी आदि का निर्माण कराया।तालाब से सैकड़ों ट्राली कचरा निकाला गया।जिसके बाद कुछ लोगों ने इसका विरोध किया। मामला अंचलाधिकारी के पास पहुंचा जहां से अंचल द्वारा मापी कराई गई।अतिक्रमणकारियों को चिन्हित किया गया।

 

अतिक्रमण हटाने को लेकर नोटिस चस्पाया गया लेकिन अतिक्रमण नहीं हटा और नहीं तालाब की सफाई हुई।मामला ठंडे बस्ते में चला गया जिसके बाद आसपास के लोगों ने फिर से कचरा फेंकना शुरू कर दिया तब से गंदगी और कचरा से पटा हुआ रहता है। सफाई के अभाव में पानी की जगह पूरे तालाब में जंगली घास, झाड़ी है।मुरारी पांडेय एवं अवधेश यादव ने बताया कि जल संरक्षण के लिए तालाब, पोखर व अन्य पारंपरिक जलस्त्रोत मुख्य अंग है। इसकी सफाई और इसे अतिक्रमण मुक्त करना भी जरूरी है।

 

इसके लिए कार्रवाई की जा रही है। आम लोगों को भी तालाब को सुरक्षित एवं संरक्षित करने के लिए आगे आना होगा। सीओ पंकज कुमार ने बताया कि तालाब से अतिक्रमण हटाने को लेकर अभिलेख खुल गया है।प्रपत्र एक मे नोटिस भेजा गया है।दूसरी नोटिस भेजने की तैयारी की जा रही है उसके बाद अतिक्रमण हटाने की कार्यवाई की जाएगी।

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