संघ किसी से भी भेदभाव नहीं करता-पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
जाति के आधार पर संघ में भेदभाव नहीं
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में किसी भी प्रकार की अस्पृश्यता और जातिगत भेदभाव नहीं होता। इस संबंध में फैली निराधार भ्रांति को दूर करने की आवश्यकता है।
RSS के समारोह में कोविंद चीफ गेस्ट
पूर्व राष्ट्रपति गुरुवार को नागपुर में आरएसएस के परंपरागत विजयादशमी समारोह को संबोधित कर रहे थे। संघ के 100 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर वह इस समारोह में मुख्य अतिथि थे। स्वयं अनुसूचित जाति से आने वाले पूर्व राष्ट्रपति ने वर्ष 2001 में लाल किला परिसर में आयोजित ‘दलित संगम रैली’ का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि उस समय मैं अनुसूचित जाति मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष था। तब अटल जी देश के प्रधानमंत्री थे। देश में बहुत से लोग संघ परिवार तथा अटल जी पर दलित विरोधी होने का दुष्प्रचार करते रहते थे। उस रैली को संबोधित करते हुए अटल जी ने उद्घोष किया था कि हमारी सरकार दलितों, पिछड़ों और गरीबों की भलाई के लिए बनी है। हमारी सरकार मनुस्मृति के आधार पर नहीं, बल्कि भीम स्मृति के आधार पर काम करेगी। भीम स्मृति अर्थात भारत का संविधान। उन्होंने यह भी कहा कि हम भीमवादी हैं, अर्थात आंबेडकरवादी हैं।
अटल जी तथा संघ की विचारधारा के प्रति समाज के इस वर्ग में जो दुष्प्रचार प्रसारित किया जा रहा था, उसे दूर करने में अटल जी के उस संबोधन की ऐतिहासिक भूमिका रही है। संघ सामाजिक एकता और सुधार का प्रबल पक्षधर रहा है।
कोविंद ने आगे कहा कि अभी भी समाज के बहुत से लोगों को यह जानकारी नहीं है कि संघ में किसी भी प्रकार की अस्पृश्यता और जातिगत भेदभाव नहीं होता है। मैं समझता हूं कि समाज के अनेक वर्गों में संघ से जुड़ी निराधार भ्रांतियों को दूर करने की जरूरत है।
जाति के आधार पर संघ में भेदभाव नहीं
संघ के शताब्दी समारोह में मुख्य अतिथि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संबोधन की शुरुआत विजयादशमी की बधाई से की। कोविंद ने कहा कि मेरे जीवन में नागपुर के दो महापुरुषों का बहुत बड़ा योगदान है- डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार और बाबा साहब भीमराव आंबेडकर। पूर्व राष्ट्रपति ने हेडगेवार से लेकर भागवत तक संघ के अब तक के सफर में सरसंघचालकों के योगदान भी गिनाए।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस दौरान कानपुर का जिक्र किया। कोविंद ने कहा कि कानपुर की घाटमपुर विधानसभा सीट से बीजेपी का प्रत्याशी था, तब संघ से मेरा परिचय हुआ। जातिगत भेदभाव से रहित लोग संयोग से संघ के स्वयंसेवक और पदाधिकारी ही थे। उन्होंने कहा कि संघ में जातीय आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता। संघ सामाजिक एकता का पक्षधर रहा है। मेरी जीवन यात्रा में स्वयंसेवकों के साथ जुड़ाव और मानवीय मूल्यों से कैसे प्रेरणा मिली, इसका उल्लेख अपनी आत्मकथा में किया है, जो इस साल के अंत तक प्रकाशित हो जाएगी।
घ के विजयादशमी उत्सव में 21 हजार स्वयंसेवक शामिल हो रहे हैं। इस आयोजन के साथ ही संघ की स्थापना के सौ साल पूरे होने पर वर्षभर चलने वाले आयोजनों की शुरुआत हो गई है।