बिहार में 1 अगस्त को प्रस्तावित मतदाता सूची के प्रकाशन पर रोक लगाने से मना कर दिया है-सुप्रीम कोर्ट

बिहार में 1 अगस्त को प्रस्तावित मतदाता सूची के प्रकाशन पर रोक लगाने से मना कर दिया है-सुप्रीम कोर्ट

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

1001467106
1001467106
previous arrow
next arrow
1001467106
1001467106
previous arrow
next arrow

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के तहत 1 अगस्त को प्रस्तावित ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित करने पर रोक से इनकार कर दिया, यानी इस प्रक्रिया पर कोई रोक नहीं लगाई गई। जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि सोमवार को विस्तृत सुनवाई नहीं कर सकती, क्योंकि जस्टिस सूर्यकांत को दोपहर में मुख्य न्यायाधीश के साथ एक प्रशासनिक बैठक में शामिल होना है। याचिकाकर्ता एडीआर की ओर से अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन पेश हुए, उन्होंने कहा कि करीब 4.5 करोड़ मतदाताओं को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। एक बार यदि ड्राफ्ट सूची प्रकाशित हो गई, तो जो लोग सूची से बाहर हो जाएंगे, उन्हें आपत्ति दायर करने और नाम जुड़वाने के लिए अलग से प्रक्रिया अपनानी होगी।

SC से EC को राहत

10 जून को अंतरिम रोक की मांग इसलिए नहीं की गई थी, क्योंकि कोर्ट ने वादा किया था कि सूची प्रकाशित होने से पहले सुनवाई होगी। चुनाव आयोग की ओर से राकेश द्विवेदी ने कहा कि यह सिर्फ एक ड्राफ्ट सूची है, न कि अंतिम। ड्राफ्ट पर आपत्तियां और सुधार की प्रक्रिया खुली रहती है। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह तो केवल मसौदा सूची (Draft List) है। अगर, कोई अवैधता पाई जाती है, तो कोर्ट अंततः पूरी प्रक्रिया को रद्द भी कर सकता है।

याचिकाकर्ता ने ये कहा

याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि ECI ने सुप्रीम कोर्ट के 10 जुलाई के आदेश का पालन नहीं किया, जिसमें आधार कार्ड, मतदाता फोटो पहचान पत्र (EPIC) और राशन कार्ड को पहचान दस्तावेज के रूप में मानने का निर्देश दिया गया था। ECI के वकील ने कहा कि उन्हें राशन कार्डों में फर्जीवाड़े को लेकर आपत्ति है। इस पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने मौखिक रूप से निर्देश दिया कि आधिकारिक दस्तावेजों को सही माना जाता है,

आप आधार और EPIC को स्वीकार करें। अगर, किसी मामले में जालसाजी है, तो वो केस-टू-केस देखा जाएगा। जमीन पर कोई भी दस्तावेज फर्जी हो सकता है लेकिन सभी को एक साथ खारिज नहीं किया जा सकता। हटाने के बदले जोड़ने (‘En masse exclusion’ की जगह ‘en masse inclusion) की सोच रखें।

30 जुलाई को सुनवाई

पहले भी, अवकाशकालीन पीठ में जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस बागची ने मौखिक रूप से कहा था कि नागरिकता तय करना चुनाव आयोग का कार्य नहीं है, बल्कि ये केंद्र सरकार का विशेषाधिकार है। पीठ ने ECI से अनुरोध किया था कि वो Aadhaar, Voter ID और राशन कार्ड को स्वीकार करे। सुप्रीम कोर्ट ने अब मामले की अगली सुनवाई 30 जुलाई के लिए तय की है और पक्षकारों से अपने-अपने तर्कों की संभावित समयसीमा जमा करने को कहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!