देश की न्यायिक व्यस्था को ठीक करने की जरूरत- CJI बीआर गवई

देश की न्यायिक व्यस्था को ठीक करने की जरूरत- CJI बीआर गवई

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
previous arrow
next arrow
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
previous arrow
next arrow

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर गवई ने शनिवार को भारत के न्यायिक सिस्टम में मौजूद चुनौतियों पर चर्चा की। उन्होंने कहा, लीगल सिस्टम में कई चुनौतियां हैं, जिन्हें सही करने की बहुत ज्यादा आवश्यकता है। CJI गवई हैदराबाद की नालसर यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया की खामियों पर बात की।

CJI ने क्या कहा?

CJI गवई ने कहा, “हमारा देश और न्यायिक सिस्टम कुछ चुनौतियों का सामना कर रहा है। कई बार अदालत में ट्रायल दशकों तक चलता है। हमें ऐसे केस भी मिलते हैं जिनमें सालों जेल में बिताने के बाद शख्स निर्दोष साबित हो जाता है। हमारे देश के बेस्ट टैलेंट इस समस्या से निपटने में मदद कर सकते हैं।”

कई लोग रहे मौजूद

CJI गवई ने अभ्यार्थियों से गुजारिश की कि वो अपने माता-पिता के पैसों की बजाए स्कॉलरशिप पर विदेश जाएं। इस खास मौके पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, सुप्रीम कोर्ट के जज पीएस नरसिम्हा, तेलंगाना हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजॉय पॉल भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहे।

भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने बुधवार को यह क्लियर करते हुए बताया है कि देश का संविधान सर्वोपरी है। उन्होंने कहा कि हमारे लोकतंत्र के तीनों अंग (न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका) संविधान के अधीन काम करते हैं।

CJI गवई ने कहा कि कुछ लोग कहते हैं संसद सर्वोच्च है, लेकिन मेरी राय में देश का संविधान सबसे ऊपर है। बता दें, सुप्रीम कोर्ट के 52वें चीफ जस्टिस के रूप में उन्होंने पिछले महीने शपथ ली थी।

अपने होमटाउन पहुंचे CJI

सीजेआई अपने होमटाउन अमरावती के दौरे पर गए थे, जहां उनका अभिनंदन समारोह हो रहा था। समारोह में बोलते हुए उन्होंने कहा कि संसद के पास संशोधन करने की शक्ति है, लेकिन वह संविधान के मूल ढांचे को बदल नहीं सकती।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई ने कहा, “हमेशा इस बात पर चर्चा होती है कि लोकतंत्र का कौन-सा अंग सर्वोच्च है- कार्यपालिका, विधायिका या न्यायपालिका? कई लोग मानते और कहते हैं कि संसद सर्वोच्च है, लेकिन मेरे हिसाब से भारत का संविधान सर्वोच्च है।”

CJI ने न्यायाधीशों को दी सलाह

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के तीनों अंग संविधान के तहत काम करते हैं। सीजेआई ने कहा कि सरकार के खिलाफ आदेश पारित करने मात्र से कोई न्यायाधीश स्वतंत्र नहीं हो जाता है।

उन्होंने कहा, “एक न्यायाधीश को हमेशा याद रखना चाहिए की हमारा एक कर्तव्य है और हम नागरिकों के अधिकारों और संवैधानिक मूल्यों और सिद्धांतों के संरक्षक हैं। हमारे पास सिर्फ शक्ति ही नहीं है, बल्कि हम पर एक कर्तव्य भी डाला गया है।”

CJI ने कहा कि एक न्यायाधीश को इस बात से निर्देशित नहीं होना चाहिए कि लोग उनके फैसले के बारे में क्या कहेंगे या क्या महसूस करेंगे। उन्होंने कहा, “हमें स्वतंत्र रूप से सोचना होगा। लोग क्या कहेंगे, यह हमारी निर्णय लेने की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बन सकता है।”

वकील बनाना चाहते थे पिता

सीजेआई ने जोर देकर कहा कि उन्होंने हमेशा अपने फैसलों और काम को बोलने दिया है और हमेशा संविधान में निहित मौलिक अधिकारों के साथ खड़े रहे। ‘बुलडोजर न्याय’ के खिलाफ अपने फैसले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आश्रय का अधिकार सर्वोच्च है।

चीफ जस्टिस ने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा कि वह आर्किटेक्ट बनना चाहते थे, जबकि उनके पिता चाहते थे कि वह वकील बनें। उन्होंने कहा, मेरे पिता वकील बनाना चाहते थे, लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाए क्योंकि उस समय स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा होने के कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!