दिल्ली में आवारा कुत्तों तो मुंबई में कबूतरों पर विवाद,क्यों?

दिल्ली में आवारा कुत्तों तो मुंबई में कबूतरों पर विवाद,क्यों?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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देश के दो महानगरों, दिल्ली और मुंबई में इन दिनों आवारा कुत्तों  और कबूतरों पर घमासान मचा हुआ है। दरअसल, दिल्ली में आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक सख्त आदेश सुनाया है। वहीं, मुंबई में कबूतरों को दाना खिलाने पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने पाबंदी लगा दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को हटाने और उन्हें डॉग शेल्टर में रखने का आदेश दिया है। हालांकि, कोर्ट के फैसलों का कुछ लोग स्वागत कर रहे हैं तो कुछ आलोचनाओं के सुर भी सुनाई दे रहे हैं।

दिल्ली में तीन लाख से ज्यादा आवारा कुत्ते: मेनका गांधी

पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने इस फैसले को अव्यावहारिक बताया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में करीब तीन लाख से ज्यादा  आवारा कुत्ते हैं। उन सभी को शेल्टर होम में रखने में 15,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। दिल्ली सरकार के लिए यह संभव नहीं है। कोर्ट का यह फैसला पशुओं के अधिकारों की अनदेखी है। उन्होंने आगे कहा कि पकड़े गए कुत्तों को खिलाने में ही हर हफ्ते करीब 5 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जो जनता के गुस्से को भड़का सकता है। इतना ही नहीं डेढ़ लाख लोग देखरेख के लिए भी चाहिए।

राहुल गांधी ने भी फैसला पर जताया दुख

सुप्रीम कोर्ट के फैसला का राहुल गांधी ने भी विरोध किया है। उन्होंने कहा कि शेल्टर्स, नसबंदी, वैक्सीनेशन और कम्युनिटी केयर ही सड़कों को सुरक्षित रख सकती है। एक झटके में सामूहिक तौर पर कुत्तों को हटाने का कदम क्रूर, अदूरदर्शी है।

जैन समाज ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर क्या कहा?

दूसरी ओर बॉम्बे हाईकोर्ट के कबूतरों को दाना खिलने पर रोक संबंधी फैसला का जैन समाज और अन्य पक्षी प्रेमी ने विरोध जाहिर किया है। इन लोगों का मानना है कि कबूतरों को दाना खिलाना धर्म का हिस्सा है। कबूतरों को दाना ना खिलाना बेजुबान पक्षियों के साथ क्रूरता है। एक जैन मुनि ने कहा कि कुछ लोग बकरे का बलि देते हैं, वह उनका धर्म है। हम अपने धर्म का पालन करना चाहते हैं। हमारे जैन धर्म में कहा गया है कि चींटी से लेकर हाथी तक की रक्षा करनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के आवारा कुत्तों को पकड़कर आश्रय स्थल में रखने के निर्णय का विरोध बढ़ता जा रहा है। न्यायालय के फैसले के बाद आवारा कुत्तों पर मेनका गांधी के बाद उनकी बहन अंबिका शुक्ला  का दर्द छलक पड़ा है। पशु अधिकार कार्यकर्ता अंबिका शुक्ला को अदालत का ये फैसला बिल्कुल भी पसंद नहीं आ रहा है। दरअसल, आवारा कुत्तों की सुरक्षा की कामना करते हुए कई पशुप्रेमी कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर परिसर में पहुंचे हैं। पुलिस उन्हें वहां से हटाने का प्रयास करती दिखी।

सड़क दुर्घटना से की तुलना

अंबिका शुक्ला ने कहा कि कुत्तों के काटने तथा उससे इंसानों के मरने के मामलों की जानकारी जो इंटरनेट मीडिया में घूम रही है वह भ्रामक है जबकि अकेले 10 लाख लोग सड़क दुर्घटना में जान गंवा देते हैं। दिल्ली में कोई आश्रय गृह नहीं है। ऐसे में इन बेजुबानों का क्या होगा?

भारी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरुद्ध पशुप्रेमियों के बढ़ते विरोध-प्रदर्शनों को देखते हुए कनॉट प्लेस हनुमान मंदिर परिसर में भारी संख्या में दिल्ली पुलिस और अर्द्ध सैनिक बल के जवान तैनात किए गए हैं। इस विषय पर विदेशी मीडिया का भी रूझान दिख रहा है। प्रदर्शनस्थल पर विदेशी मीडिया बहुतायत में पहुंची दिखी।

मंदिर में पूजा करना चाह रहे पशुप्रेमी

प्रश्न यह भी है कि आखिर पशुप्रेमी कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर परिसर में क्या करने पहुंचे हैं? इसका जवाब देते हुए एक पशुप्रेमी ने कहा कि हम इन जानवरों के लिए मंदिर में पूजा करने आए हैं। इसलिए चार-चार की संख्या में जाएंगे। वे खुद को मीडिया के सामने जानवर सेवक बता रहे हैं।

पुलिस ने कहा- लेना होगा हिरासत में

उधर, प्रदर्शनकारियों की बढ़ती भीड़ देखकर पुलिस ने घोषणा करते हुए कहा कि यहां 163 बीएनएस लगी है, इसलिए प्रोटेस्ट नहीं कर सकते, अन्यथा हिरासत में लेने की चेतावनी दी जा रही है। पुलिस ने सबको जल्द से जल्द वह परिसर छोड़ने को कहा है।

‘यह इको सिस्टम पर है हमला’

वहीं, एक पशुप्रेमी अंबिका शुक्ला ने कहा कि यहां दो-चार लोग पहुंच गए हैं। पहली बार दिल्लीवालों को डर लग रहा है कुत्तों से। इसीलिए यहां कुछ प्रदर्शनकारियों के लिए एक हजार से अधिक सुरक्षाकर्मी खड़े कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि कुत्तों को जेल में डालने का निर्णय सही नहीं है। यह इको सिस्टम पर हमला है। सवाल यह है कि बंदर, कुत्ते, चूहे, कबूतर और कौवे का क्या होगा?

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