बिहार कांग्रेस में सियासी घमासान मच गया है,क्यों?

बिहार कांग्रेस में सियासी घमासान मच गया है,क्यों?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
previous arrow
next arrow
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
00
previous arrow
next arrow

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपने 6 उम्मीदवारों की चौथी लिस्ट जारी की है. इस तरह कांग्रेस ने 60 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, लेकिन टिकट बंटवारे को लेकर पार्टी में घमासान छिड़ गया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने बागी रुख अख्तियार कर लिया है और टिकट बेचने तक के आरोप लगाए जा रहे हैं.

राहुल गांधी ने बिहार में कांग्रेस को दोबारा से खड़ी करने के लिए अपने करीबी नेताओं को लगाया था. कृष्णा अल्लवरू को बिहार का प्रभारी तो राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था. साथ ही शाहनवाज आलम और देवेंद्र यादव को सह-प्रभारी नियुक्त किया था. राहुल के यही ‘सिपहसालार’ अब सियासी कठघरे में खड़े नजर आ रहे हैं.

बिहार कांग्रेस के तमाम नेताओं ने प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लवरू और प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम पर टिकट बेचने के गंभीर आरोप लगाए हैं. विधायक शकील अहमद और सांसद पप्पू यादव भी निशाने पर हैं. कहा जा रहा है कि इन्हीं कांग्रेस नेताओं के चलते महागठबंधन में सियासी रार छिड़ी और कांग्रेस में भी घमासान मचा है.

बिहार में कांग्रेस के सीट शेयरिंग से लेकर टिकट वितरण तक की जिम्मेदारी राहुल  के सिपहसालारों पर थी, न ही वे आरजेडी के साथ सीट बंटवारा कर सके और न ही कांग्रेस के उम्मीदवारों का बेहतर सेलेक्शन कर सके. इसी का नतीजा है कि बिहार की साठ सीटों पर महागठबंधन के दल आमने-सामने मैदान में हैं. लालगंज, वैशाली, राजापाकर, बछवाड़ा, रोसड़ा, बिहार शरीफ, गौड़ाबौराम और कहलगांव सीट पर रार साफ नजर आ रही है.

महागठबंधन में आपसी समन्वय की कमी की वजह से इन सीटों पर सहयोगी दल एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं. एनडीए की तरफ से सभी सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा और स्पष्ट रणनीति के बीच, विपक्षी महागठबंधन की अव्यवस्था खुलकर सामने आ चुकी है. इतना ही नहीं कांग्रेस जिन सीटों पर लंबे समय से चुनाव लड़ती रही है, वो भी उसके हाथ से चली गई हैं.

प्राणपुर सीट पर कांग्रेस के सचिव तौकीर आलम चुनाव लड़ते रहे हैं, लेकिन इस बार उनकी सीट बदल दी गई है. प्राणपुर सीट से वो चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन अब उन्हें बरारी से उम्मीदवार बना दिया गया है. आरजेडी ने प्राणपुर सीट पर अपना उम्मीदवार उतार दिया है.

जाले सीट पर कांग्रेस अभी तक मुस्लिम प्रत्याशी को चुनाव लड़ाती रही है, लेकिन यह सीट पैराशूट कैंडिडेट को दे दी गई. कांग्रेस ने मशकूर की जगह नौशाद को प्रत्याशी घोषित किया, लेकिन बाद में टिकट काट दिया और उनकी जगह ऋषि मिश्रा को प्रत्याशी बनाया. ऋषि मिश्रा का टिकट पहले घोषित हो गया और उन्होंने बाद में कांग्रेस का दामन थामा.

कांग्रेस विधायक के निशाने पर राहुल के सिपहसालार

कांग्रेस के मौजूदा विधायक और पूर्व मंत्री मोहम्मद आफाक आलम का टिकट काट दिया गया है, जबकि वे तीन बार से जीतते आ रहे हैं. ऐसे में उन्होंने अपनी ही पार्टी के बड़े नेताओं पर टिकट बेचने का आरोप लगाया है. आफाक आलम का राजेश राम के साथ बातचीत का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. विधायक दल के नेता शकील अहमद खान, प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, प्रदेश कांग्रेस प्रभारी कृष्ण अल्लावरु और पूर्णिया सांसद पप्पू यादव पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

आफाक आलम ने कहा कि कांग्रेस में आज विचारधारा नहीं, पैसा बोल रहा है, जो पैसा दे रहा है, उसे टिकट मिल रहा है. पार्टी को बर्बाद करने की सुपारी लेकर मनमाने ढंग से काम कर रहे हैं. कस्बा सीट पर हमारा टिकट काटकर ऐसे शख्स को प्रत्याशी बनाया है, जो समिति का भी चुनाव नहीं जीत सका. कांग्रेस में 3 बार के विधायक का टिकट काटने को लेकर सवाल उठ रहे हैं और क्षेत्र में नाराजगी भी बढ़ रही है.

बिहार कांग्रेस नेताओं की पूरी फौज नाराज

विधायक आफाक आलम ही नहीं खगड़िया सदर विधायक छत्रपति यादव का भी टिकट काट दिया गया है. छत्रपति यादव और कांग्रेस के रिसर्च सेल के अध्यक्ष एवं प्रवक्ता आनंद माधव, पूर्व विधायक गजानंद शाही, पूर्व विधायक सुधीर कुमार उर्फ बंटी चौधरी, बांका जिलाध्यक्ष कंचना कुमारी सिंह, सारण जिला अध्यक्ष बच्चू कुमार वीरू, पूर्व युवा कांग्रेस अध्यक्ष राजकुमार राजन, पूर्व युवा कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व प्रत्याशी नागेन्द्र पासवान विकल, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी सदस्य मधुरेन्द्र कुमार सिंह, खेल प्रकोष्ठ के चेयरमैन प्रद्युमन कुमार सिंह के साथ एक दर्जन से अधिक नेताओं ने टिकट बंटवारे में धनबल, पक्षपात और सिफारिश का आरोप लगाया है.

आनंद माधव का कहना था कि बिहार प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष ने राहुल गांधी के निर्देशों की अवहेलना करते हुए निजी स्वार्थ के तहत टिकट बांटे हैं. नाराज नेताओं ने यहां तक कहा कि प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष ने राहुल गांधी के भरोसे का दुरुपयोग किया है. उनका कहना है कि जिस तरीके से उम्मीदवारों की सूची बनाई गई, उसमें न तो संगठन की राय ली गई और न ही क्षेत्रीय संतुलन का ख्याल रखा गया. कई ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया गया जो पिछले पांच सालों में पार्टी कार्यक्रमों में नजर तक नहीं आए. इस तरह कांग्रेस के लिए 10 सीट जीतना भी मुश्किल है.

तारिक अनवर ने भी उठाए गंभीर सवाल

कांग्रेस सांसद तारिक अनवर भी नाराज हैं. उन्होंने बरबीघा सीट से मुन्ना शाही का टिकट काटे जाने पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि पूर्व विधायक गजेंद्र शाही उर्फ मुन्ना शाही का टिकट काट दिया गया, जबकि वे 2020 के चुनाव में बेहद मामूली अंतर से हार गए थे. उन्होंने कहा, मुन्ना शाही मात्र 113 वोट से हारे नहीं, बल्कि हराए गए थे. ऐसे व्यक्ति को टिकट न देना अन्याय है. उन नेताओं को तो टिकट दे दिया जो 30 हजार वोटों के बड़े अंतर से हारे थे. यह रवैया कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ेगा और जमीनी नेताओं को हतोत्साहित करेगा.

कांग्रेस के रणनीतिकार क्यों बिहार में हो गए फेल?

राहुल गांधी ने बिहार चुनाव की कमान अपने जिन सिपहसालारों को सौंपी है, उनमें से कई नेताओं ने कभी चुनाव ही नहीं लड़ा. कृष्णा अल्लावरु हों या शाहनवाज आलम, न ही वे विधानसभा का कोई चुनाव लड़े हैं और न ही लोकसभा का. ऐसे में बिहार चुनाव में टिकट बांटने और सीट शेयरिंग पर पेच फंसना ही था. यही वजह है कि आरजेडी से लेकर लेफ्ट तक के साथ कांग्रेस की टशन चल रही है और अब तो कांग्रेस के भीतर से भी उन पर सवाल खड़े होने लगे हैं. कांग्रेस के रणनीतिकार बिहार में पूरी तरह से फेल नजर आ रहे हैं.

सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के सिपहसालारों का शुरू से ही बिहार में खुद को मजबूत करने से ज्यादा फोकस आरजेडी को निपटाने पर था, क्योंकि उन्हें लगता है कि बिहार में आरजेडी उसी जमीन पर खड़ी है, जो कभी कांग्रेस की हुआ करती थी. इसीलिए कांग्रेस बिहार में तेजस्वी यादव को सीएम चेहरा बनाने के लिए रजामंद नहीं हुई और उसी का खामियाजा अब पार्टी को सीट शेयरिंग से लेकर टिकट वितरण तक में झेलना पड़ रहा है.

 

  • Beta

Beta feature

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!