देश में 2050 तक 34 करोड़ बुजुर्ग होंगे,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

रिवर्स एन्यूटि मार्गेज (आरएएम) पेंशन का बड़ा साधन बन सकता है, लेकिन फिलहाल ग्राहक और बैंक दोनों की तरफ से इसे लेकर उदासीन रवैया है। लोगों में इसे लेकर जानकारी का अभाव है तो बैंक भी इस स्कीम को प्रोत्साहित नहीं करते हैं और न ही इसे लेकर लोगों में जागरूकता फैलाते हैं। नेशनल हाउसिंग बैंक की रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है।
रिपोर्ट में आरएएम या रैम को प्राथमिक उधार की श्रेणी में रखने के साथ इस लोन को लेने की न्यूनतम आयु सीमा को 60 से घटाकर 50 साल करने की सिफारिश की है। वरिष्ठ नागरिकों को इस लोन से मिलने वाली राशि को मन मुताबिक खर्च करने की आजादी देने की भी बात कही गई है।
अभी लोन के लिए बुजुर्गों को बताना पड़ता है जरूरतें
अभी लोन लेने वाले बुजुर्गों को अपनी जरूरतों को बताना पड़ता है और एक निर्धारित राशि मेडिकल खर्च में दिखाना पड़ता है। जिन लोगों को रैम स्कीम का पता है, वे भी असामाजिक ताना-बाना की वजहों से इसका लाभ नहीं उठाते हैं। उन्हें लगता है कि इस लोन को लेने से समाज में यह संदेश जाएगा कि उनके बच्चे उनकी देखभाल नहीं करते हैं या फिर वे अपने बच्चों को संपत्ति देना नहीं चाहते हैं।
जानिए रैम स्कीम के बारे में
मोटे तौर पर रैम स्कीम के तहत कोई भी व्यक्ति अपनी आवासीय संपत्ति को बैंक के पास गिरवी रखकर लंबे समय के लिए मासिक या सालाना रूप से बैंकों से एक निश्चित रकम प्राप्त कर सकता है। बुजुर्ग की मौत के बाद उनके बच्चे अगर उस संपत्ति पर लिए गए लोन को चुका देते हैं तो वह संपत्ति उन्हें वापस मिल सकती है, अन्यथा वह संपत्ति बैंक की हो जाती है।
75 लाख से अधिक का ले सकते हैं लोन
अभी रैम के तहत अधिकतम 75 लाख रुपए तक के लोन लिए जा सकते हैं। पिछले कई सालों से यह स्कीम तो है, लेकिन बैंक इस स्कीम का प्रचार नहीं करते हैं। पांच साल पहले तक देश भर में कुछ हजार लोग ही इस स्कीम के तहत लोन ले रहे थे।
सर्वे में क्या बात आई सामने?
रैम के बारे में व्यापक जानकारी को लेकर नेशनल हाउसिंग बैंक ने भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) से सर्वे कराया था जिसमें पाया गया कि कई लोन देने वाली संस्थाओं के प्रतिनिधियों को भी पूरे तरीके से इस स्कीम के बारे में पता नहीं था। कई लोग इसे विपत्ति वाला लोन समझते हैं तो कई लोगों की यह धारणा है कि यह लोन उन्हें भाता है जिनके बच्चे बुढ़ापे में उनकी देखभाल नहीं करते हैं।
2050 तक देश में 34.7 करोड़ बुजुर्ग होंगे
हाउसिंग बैंक का मानना है कि वर्ष 2050 तक देश में 34.7 करोड़ बुजुर्ग (60 प्लस) होंगे। विदेश के अनुभव से पता चलता है कि हाउस-फार-पेंशन स्कीम कैसे संपत्ति रखने वाले बुजुर्गों के जीवन को आसान बना सकती है। रिपोर्ट में इस स्कीम की बढ़-चढ़ कर मार्के¨टग करने के साथ बैंकर्स को इस प्रोत्साहित करने और स्कीम के दायरे को बढ़ाने की भी सिफारिश की गई है।