चैत्र नवरात्र इस बार आठ दिन का होगा

चैत्र नवरात्र इस बार आठ दिन का होगा

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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हिंदू कैलेंडर का नववर्ष विक्रम संवत-2082 का शुभारंभ 30 मार्च से हो जायेगा, इसी दिन हिंदू नववर्ष मनाया जायेगा. यह हिंदू नववर्ष की पहली तिथि है और इसी तिथि से शक्ति की नौ दिवसीय उपासना प्रारंभ होती है. इसी तिथि से चैत्र नवरात्र का शुभारंभ होगा. इस बार के चैत्र नवरात्र में घटस्थापना का मुहूर्त दिनभर है, लेकिन दोपहर 12.00 बजे से पूर्व कलस्थापना सर्वोत्तम होगा. इस बार के चैत्र नवरात्र में एक तिथि का क्षय है, जिससे इस बार का नवरात्र आठ दिन का है. चौठी एवं पंचमी तिथि एक ही दिन है.

चैती छठ पूजा का नहाय-खाय कब है?

30 मार्च को प्रतिपदा, 31 मार्च को द्वितीया और एक अप्रैल को तृतीया तिथि पड़ेगी. वहीं, दो अप्रैल को चौठी एवं पंचमी तिथि पड़ेगी. इसी तिथि को चैती छठ पूजा का नहाय-खाय एवं खरना होगा. वहीं, तीन अप्रैल को अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य एवं चार अप्रैल को उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य दिया जायेगा. इस बार का चैती छठ तीन दिन का ही है. वहीं, नवरात्र की बात करें, तो तीन अप्रैल को षष्ठी, चार अप्रैल को सप्तमी, पांच अप्रैल को महाअष्टमी, छह अप्रैल को महानवमी यानी रामनवमी मनायी जाएगी.

कलश स्थापना कब होगा?

30 मार्च को कलश स्थापना व मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री देवी की पूजा होगी. वहीं, 31 मार्च को मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा होगी. एक अप्रैल को मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप देवी चंद्रघंटा, दो अप्रैल को चतुर्थी एवं पंचमी तिथि है, इसलिये इस दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप देवी कुष्मांडा व पंचम स्वरूप देवी स्कंदमाता की पूजा एवं ध्यान किया जाएगा. तीन अप्रैल को मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी देवी की पूजा होगी. इस दिन बेलनेवतन किया जायेगा.

महा-अष्टमी तिथि कब है?

चार अप्रैल को सप्तमी तिथि को मां दुर्गा के सप्तम स्वरूप देवी कालरात्रि की पूजा होगी. इसी दिन विशेष पूजा के बाद आम श्रद्धालुओं के दर्शन एवं पूजन-अर्चन के लिए मां के पूजा पंडाल का पट खोल दिया जाता है. पांच अप्रैल को नवरात्र की महा-अष्टमी तिथि है. इस दिन मां दुर्गा के अष्टम स्वरूप देवी महागौरी की पूजा एवं ध्यान किया जाएगा. इसी तिथि को निशा पूजा, व्रत-उपवास एवं रात्रि जागरण का विधान है. छह अप्रैल को नवरात्र की नवमी तिथि को मां दुर्गा के नवम स्वरूप देवी सिद्धिदात्री की पूजा एवं ध्यान किया जाएगा. इस दिन कन्या पूजन, हवन एवं कन्या भोजन एवं दान-पुण्य का विधान है.

इस बार की नवरात्रि का महत्व इस कारण भी बढ़ गया है क्योंकि मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं. इसे एक शुभ संकेत माना जाता है. मां दुर्गा का हाथी पर आना और जाना, दोनों ही शुभ माने जाते हैं.

माता दुर्गा के हाथी वाहन का महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नवरात्रि के आरंभ और समापन के दिन के आधार पर माता दुर्गा का वाहन निर्धारित होता है. इस वर्ष नवरात्रि रविवार से प्रारंभ होकर सोमवार को समाप्त हो रही है. इस नियम के अनुसार, रविवार को आगमन और सोमवार को प्रस्थान का अर्थ है कि माता दुर्गा हाथी पर सवार होंगी. भागवत पुराण में भी माता की हाथी पर सवारी को अत्यंत शुभ माना गया है. यह वाहन सुख, समृद्धि, शांति और आर्थिक विकास का प्रतीक है. कहा जाता है कि जब माता हाथी पर आती हैं, तो देश में अच्छी वर्षा होने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे फसलें अच्छी होती हैं और धन-धान्य के भंडार भर जाते हैं.

चैत्र नवरात्रि 2025 की तिथियां

प्रतिपदा (कलश स्थापना) – 30 मार्च 2025, रविवार
मां शैलपुत्री की पूजा इस दिन की जाएगी

द्वितीया – 31 मार्च 2025, सोमवार
मां ब्रह्मचारिणी की आराधना का दिन

तृतीया – 1 अप्रैल 2025, मंगलवार
मां चंद्रघंटा की पूजा इस दिन होती है

चतुर्थी – 2 अप्रैल 2025, बुधवार
मां कूष्मांडा की आराधना का समय

पंचमी – 3 अप्रैल 2025, गुरुवार
मां स्कंदमाता की पूजा का दिन

षष्ठी – 4 अप्रैल 2025, शुक्रवार
मां कात्यायनी की आराधना इस दिन की जाती है

सप्तमी – 5 अप्रैल 2025, शनिवार
मां कालरात्रि की पूजा का अवसर

अष्टमी – 6 अप्रैल 2025, रविवार
मां महागौरी की आराधना इस दिन होती है

नवमी – 7 अप्रैल 2025, सोमवार
मां सिद्धिदात्री की पूजा के साथ नवरात्रि का समापन

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