इस बार 36 घंटा 52 मिनट का निर्जला व्रत करेंगी छठ व्रती

इस बार 36 घंटा 52 मिनट का निर्जला व्रत करेंगी छठ व्रती

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श्री नारद मीडिया अरविंद रजक पंचदेवरी

जिले में लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर पूरे देश में धूम मची है, लोग छठ घाटों की साफ-सफाई में जुट गए हैं। जिले के विभिन्न छठ स्थानों पर छठ पूजा को लेकर सुरसुप्ता की रंगाई पुताई व साफ सफाई का अभियान जारी है। हर कोई इस पुनीत कार्य मे शामिल होकर पुण्य के भागी बनना चाहता है। जिले में सुरसुप्ता बनाकर छठ माई की पूजा करने की मान्यता सदियों से चली आ रही है। इस सनदर्भ मे मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से कोई मन्नत मांगता है और वह मन्नत पूर्ण होता है, तो वह सुरसुप्ता बनाकर भक्ति भाव से छठी माई की पूजा करता है और सुख शांति समृद्धि की कामना करते है। आचार्य पं अजय कुमार पांडेय ने बताया कि इस बार 28 अक्टूबर शुक्रवार को नहाए खाए हैै। 29 अक्टूबर शनिवार को व्रती खरना करेंगे। उसी दिन शाम को 05 बजकर 35 मिनट के पहले मीठा भोजन कर व्रत की शुरुआत करेंगी। 30 अक्टूबर को सूर्योदय 06 बजकर 26 मिनट से हो रहा है। उसी दिन सूर्यास्त 05 बजकर 34 मिनट पर डुबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। वही उगते सूर्य को छठ व्रती 31 अक्टूबर को सूर्योदय 06 बजकर 27 मिनट के बाद अर्घ्य देंगे। ऐसे में इस बार 36 घंटा 52 मिनट तक निर्जला व्रत छ्ठ व्रती करेंगे।

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छ्ठ पूजा कि तिथि

पहला दिन- नहाय खाय 28 अक्टूबर शुक्रवार

दूसरा दिन- खरना 29 अक्टूबर शनिवार

तीसरा दिन- अस्तचलगामी सूर्य को अर्घ्य 30 अक्टूबर रविवार

आखिरी दिन व चौथे दिन- उदीयमान सूर्य को अर्घ्य 31 अक्टूबर सोमवार

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छठ पूजा के नियम

छठ पूजा के नियम पूरे चार दिनों तक चलते हैं। कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को स्नानादि से निवृत होने के बाद ही भोजन ग्रहण किया जाता है। इसे नहाय खाय भी कहा जाता है। इस दिन कद्दू भात का प्रसाद खाया जाता है। कार्तिक शुक्ल पंचमी के दिन नदी या तालाब में पूजाकर भगवान सूर्य की उपासना की जाती है। संध्या में खरना करते हैं। खरना में खीर और बिना नमक की पूड़ी आदि को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। खरना के बाद निर्जल व्रत शुरू हो जाता है। कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन भी व्रती महिलाएं उपवास रहती हैं और शाम में किसी नदी या तालाब में जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। यह अर्घ्य एक बांस के सूप में फल, ठेकुआ प्रसाद, ईख, नारियल आदि को रखकर दिया जाता है। कार्तिक शुक्ल सप्तमी की भोर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन छठ व्रत संपन्न हो जाता है और व्रती व्रत का पारण करती है।

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छठ पूजा का महत्व

छठ पर्व श्रद्धा और आस्था से जुड़ा है। जो व्यक्ति इस व्रत को पूरी निष्ठा और श्रद्धा से करता है उसकी मनोकामनाएं पूरी होती है। छठ व्रत, सुहाग, संतान, सुख-सौभाग्य और सुखमय जीवन की कामना के लिए किया जाता है। मान्यता है कि आप इस व्रत में जितनी श्रद्धा से नियमों और शुद्धता का पालन करेंगे, छठी मैया आपसे उतना ही प्रसन्न होंगी।

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