कालजयी बनने के लिए कालजीवी बनना आवश्यक- डॉ.सुनील कुमार पाठक

कालजयी बनने के लिए कालजीवी बनना आवश्यक- डॉ.सुनील कुमार पाठक

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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सरस्वती साहित्य संगम, सीवान द्वारा स्मारिका लोकार्पण सह वार्षिकोत्सव सह कवि सम्मेलन का आयोजन, मुख्य अतिथि भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि विध्वंश के आज के दौर में सृजन महत्वपूर्ण

सीवान नगर के अधिवक्ता संघ भवन में स्मारिका लोकार्पण समारोह सह वार्षिकोत्सव सह कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रख्यात कवि, लेखक, आलोचक भगवती प्रसाद द्विवेदी रहे जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ.सुशीला पांडेय ने किया। बतौर विशिष्ट अतिथि जनसंपर्क के उपनिदेशक सह वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.सुनील कुमार पाठक की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर अशोक प्रियंवद ने किया। इस अवसर पर भारी संख्या में नगर के प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्जवलन से हुई। आगत अतिथियों का स्वागत पुष्पमाला और अंगवस्त्र से किया गया। मुख्य अतिथि भगवती प्रसाद द्विवेदी और संस्थापक अध्यक्ष प्रो त्रिपाठी सियारमण का स्वागत सरस्वती साहित्य संगम की अध्यक्ष डॉक्टर सुशीला पांडेय और महासचिव प्रकाशचंद्र द्विवेदी ने किया। जबकि विशिष्ट अतिथि सुनील पाठक का स्वागत गणेश दत्त पाठक ने किया।

वैदिक मंत्रोचारण से माहौल में दिव्य अनुभूति हुई। विशेषकर 5 साल के अभिराज तिवारी ने वैदिक मंत्रोचारण से सभी को प्रभावित किया। इसके उपरांत स्कूली छात्राओं ने मनोहारी स्वागत गीत प्रस्तुत कर उपस्थितिजनों को भावाभिभूत कर दिया। कवि सुभाष यादव ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत किया। डॉक्टर सुशीला पांडेय ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने संस्था के प्रयासों पर भी प्रकाश डाला। इसके बाद आगत अतिथियों द्वारा स्मारिका सृजन स्वर का लोकार्पण किया गया।

मुख्य अतिथि भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि विध्वंश के आज के दौर में सृजन महत्वपूर्ण है। रचनाकारों की नई पीढ़ी को प्रेरित करने की आवश्यकता है। ज़िंदगी की सार्थकता को सामाजिक स्तर पर योगदान ही साबित करते हैं। जन्म लेना पढ़ लेना, नौकरी और फिर पेंशन पा लेना जिंदगी नहीं है। साहित्य ही आज समाज और देश का कुशल पथ प्रदर्शन कर सकता है।

विशिष्ट अतिथि जनसंपर्क के उपनिदेशक सुनील कुमार पाठक ने कहा कि कालजयी बनने के लिए साहित्यकारों को कालजीवी बनना अनिवार्य तथ्य है। समय के साथ प्रासंगिक रहना अनिवार्य है। नई पीढ़ी को साहित्य और सृजन से जोड़कर देश और समाज की मौजूदा चुनौतियों से उबरने की स्वाभाविक क्षमता विकसित की जा सकती है।

सरस्वती साहित्य संगम के संस्थापक अध्यक्ष प्रो त्रिपाठी सियारमण ने अपने संबोधन में कहा कि साहित्य हमें जीवंत बनाता है। सांस्कृतिक उन्नयन आज राष्ट्र की सबसे बड़ी आवश्यकता है। सरस्वती साहित्य संगम के महासचिव प्रकाश चंद्र द्विवेदी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें सुभाष यादव, सुनील कुमार तंग आदि कवियों ने काव्यपाठ कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इस अवसर पर सुभाष्कर पांडेय, बृजमोहन रस्तोगी, नागेंद्र मिश्र, गणेश दत्त पाठक, प्रेमशंकर सिंह, ओमप्रकाश दुबे, मनोज कुमार वर्मा, लल्लन जी मिश्रा, विभा द्विवेदी आदि उपस्थित रहे।

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