दृष्टि की समग्रता से सृष्टि में सकारात्मक ऊर्जा सृजित होती है: रामाशीष सिंह

दृष्टि की समग्रता से सृष्टि में सकारात्मक ऊर्जा सृजित होती है: रामाशीष सिंह

सीवान के अमलोरी स्थित बैकुंठ शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में मूल्यपरक शिक्षा विषय पर संगोष्ठी का हुआ आयोजन

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बच्चों में बढ़ते तनाव के मामले, बढ़ती प्रतिस्पर्धा के दौर में आत्महत्या की घटनाएं, सफल कैरियर के बाद भी अवसाद में आते युवा, देश में भ्रष्टाचार, नैतिक मानकों में आ रही गिरावट, पर्यावरणीय अवनयन, पारिवारिक रिश्तों में आती कमजोरी कहीं न कहीं मूल्य परक शिक्षा की आवश्यकता को रेखांकित करते दिखते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में मूल्य आधारित शिक्षा पर जोर दिया गया है।

जिसका मुख्य उद्देश्य छात्रों में नैतिक मूल्यों, सामाजिक जिम्मेदारी और संवेदनशीलता को बढ़ावा देना है। नैतिक मूल्यों के विकास, चरित्र निर्माण, सामाजिक जिम्मेदारी के निर्वहन, नैतिक निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाने, आधुनिक चुनौतियों का सामना करने के लिए छात्रों को सक्षम बनाने के लिए मूल्य परक शिक्षा को प्रदान किया जाना समय की मांग है। अभी की बड़ी आवश्यकता यह है कि हम आयातित मूल्यों और पाश्चात्य विचार शैली से अलग हट कर दया, करुणा, ममता जैसे भारतीय पारंपरिक मूल्यों का अनुसरण करें।

ये मूल्य सिर्फ रिश्तों को ही नहीं सींचते हैं अपितु जीवन को सार्थकता भी प्रदान करते हैं। भारतीय पारंपरिक मूल्यों के प्रति श्रद्धा और विश्वास को बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। पारंपरिक भारतीय मूल्य जब आत्मसात किए जाएंगे, तभी हमारा जीवन अर्थपूर्ण होगा।

ऐसे में बहुत जरूरी है कि शिक्षकों को प्रशिक्षण के दौरान ही उन्हें मूल्य परक शिक्षा के महत्व के बारे में बताकर उन्हें संजीदा और संवेदनशील बनाया जाय। शायद इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए बुधवार को सिवान के अमलोरी स्थित बैकुंठ शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में मूल्य परक शिक्षा विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसके मुख्य अतिथि प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य, प्रखर विचारक श्री रामाशीष सिंह थे।

संगोष्ठी की अध्यक्षता महाविद्यालय के अध्यक्ष सह विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षण संस्थान के पूर्व महामंत्री श्री रमेंद्र राय ने किया। इस संगोष्ठी में आयोजित दो सत्रों में भारतीय भाषा मंच के क्षेत्र संयोजक प्रोफेसर (डॉक्टर) नागेंद्र कुमार शर्मा, प्रोफेसर रविंद्र नाथ पाठक, प्रोफ़ेसर अशोक प्रियंवद, डायट प्राचार्य डॉक्टर एस पी सिंह ने भी अपनी बातें रखीं। बैकुंठ शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर एस एस पांडेय ने अतिथि परिचय कराया।

मुख्य अतिथि प्रखर विचारक श्री रामाशीष सिंह ने संगोष्ठी में कहा कि शिक्षा एक माध्यम मात्र है स्वयं लक्ष्य नहीं है। शिक्षा में समग्रता के भाव का समावेश अनिवार्य तथ्य है। दृष्टि की समग्रता से सृष्टि में सकारात्मक ऊर्जा सृजित होती है। मानव जीवन का उद्देश्य उत्पाद बनना कदापि नहीं हो सकता है। क्योंकि इससे तो मानवता की मूल अवधारणा ही संकट में पड़ जाती है।

यूनानी सभ्यता ने सैनिक संदर्भ को संजोया, चीनी सभ्यता ने आचरण संदर्भ को संजोया, भारतीय सभ्यता आध्यात्मिक चेतना से ऊर्जा प्राप्त करती रही है। यहीं आध्यात्मिकता मानवीय व्यक्तित्व के समग्र विकास को संपोषित करती है। भारतीय ज्ञान परंपरा सदैव आध्यात्मिक विकास से निकटता और विलासिता से दूरी का संदेश देती रही है। भारतीय ज्ञान परंपरा में मूल्य बेहद महत्वपूर्ण तथ्य रहे हैं वेद, पुराण, उपनिषद इन विशिष्ट मानवीय मूल्यों का संदेश देते रहे हैं।

हम जब मूल्य परक शिक्षा की बात करते हैं तो हमें अपने व्यक्तित्व में मूल्यों को आत्मसात करने के लिए सतत् प्रयासरत रहने की आवश्यकता है। हम शिव की चर्चा करते हैं लेकिन शिव की दिव्यता को आत्मसात करेंगे तो जीवन सार्थकता को प्राप्त कर सकता है। शिक्षा का अंतिम उद्देश्य आत्मबोध है जो राष्ट्र बोध की तरफ भी लक्षित है।

प्रोफ़ेसर (डॉक्टर) नागेंद्र शर्मा ने कहा कि मूल्य से अलग शिक्षा का कोई औचित्य नहीं होता। प्रोफ़ेसर रविन्द्र नाथ पाठक ने कहा कि हमें मूल्यों के महत्व को समझना होगा। मूल्य परक शिक्षा ही मानव जीवन को सार्थक बना सकता है। प्रोफ़ेसर अशोक प्रियंवद ने कहा कि समय के साथ हो रहे बदलावों पर भी नजर रखनी होगी। तकनीकी प्रगति के कारण तीव्र गति से बदलाव के क्रम में मूल्यों पर भी ध्यान देना होगा। डायट प्राचार्य डॉ एस पी सिंह ने कहा कि संयम और मर्यादा सदैव से हमारी प्राथमिकता में रहे हैं। शिक्षक का सकारात्मक व्यवहार भी छात्रों को प्रेरित कर सकता है।

बैकुंठ शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, अमलोरी के अध्यक्ष श्री रमेंद्र राय ने कहा कि शिक्षा की पंचकोशीय अवधारणा की प्रासंगिकता बढ़ती जा रही है। दया, त्याग, जैसे मानवीय मूल्य जिंदगी को सफल और सार्थक बनाते रहे हैं। शिक्षा प्रणाली में मूल्यों का समावेश समाज में सकारात्मकता का संचार कर सकता है।

मौके पर प्रज्ञा प्रवाह के विभाग संयोजक प्रोफ़ेसर अवधेश शर्मा, सिवान जिला संयोजक प्रोफेसर शैलेश राम, डॉक्टर गणेश दत्त पाठक, डॉक्टर विवेकानंद पांडेय, डॉक्टर राजेश पांडेय, दीन बंधु सिंह, अरविंद पाठक, सचिन पर्वत, अमन कुमार, एडवोकेट डॉक्टर विजय कुमार पांडेय सहित बैकुंठ शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के प्राध्यापकगण और छात्र भारी संख्या में मौजूद रहे।

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